सरिता ,ये साड़ी तो शायद तूने पिछली बार मोहित की शादी में भी पहनी थी ! अबकी बार नई खरीदी नहीं क्या ! और रिशी ने भी वहीं गरम कोट पहना हैँ ! बुरा मत मानना ,पर क्या अच्छा लगता हैँ कि दुबारा घर की शादी में वही पुरानी शादी वाले कपड़े पहन लो ! फोटो में भी तुम दोनों की वैसी ही फोटो आयेंगी ,कोई नयापन नहीं ! अबकी बार तो लगता हैँ तूने फेशीअल ,वैक्स भी नहीं करवायी ! चाची जी सरिता को चिढ़ाते हुए बोली !
वो चाची जी ,अबकी बार थोड़ा हाथ तंग था और फिर बुराई क्या हैँ ! इतने महंगे कपड़े आते हैँ ! एक बार की आधी सैलरी एक शादी में ही खर्च हो जाती हैँ ! परिवार के लोगों के अलावा कोई क्या बाहर का ज़ान रहा है कि मैने वही साड़ी पहनी हैँ ! अब आप किसी को बता दे तो भले ही कोई ज़ान जायें ! सरिता बोली !
कुछ भी कहो सरिता ,हम तो अपना स्टैंडर्ड मेंटेन करके रखते हैँ कि जिससे हमारी समाज में इज्जत बनी रहे ! अपनी बहू विनिता को 20 हजार की साड़ी दिलवायी हैँ मैने ! पार्लर से तैयार होकर आयी हैँ ! कुल मिलाकर पचास हजार रूपये तो सिर्फ विनिता पर ही खर्च कर दिये मैने ! बाकी तो तू सोच ही सकती हैँ !
सरिता -अच्छी बात हैँ चाची ,आप लोग बड़े लोग हो ! हम कहाँ आपकी बराबरी कर पायेंगे !
चाची जी ये बात सुनकर घमंड से फूल के गुप्पा हो गयी !
तभी ज़िन ताऊ जी की बेटी की शादी के लिए सभी लोग ज़मा हुए थे ,वो दौड़ते हुए ,सरिता के पास आयें !
सरिता के दोनों हाथ पकड़कर बोलने लगे -तूने समय पर अपने ताऊ जी की इज्जत रख ली बेटा ! पूरे दो लाख रूपये तूने बस एक बार पूछते ही भेज दिये ! नहीं तो उस दिन जब दहेज की गाड़ी लेने समधी जी के साथ जा रहा था ! उन्हे दूसरी गाड़ी पसंद आयी ! वो पहले वाली से दो लाख रूपये महंगी थी ! मेरे पास रूपयों की बिल्कुल व्यवस्था नहीं थी ! सबको फ़ोन कर लिया ! सबने अपने अपने बहाने बता दिये ! तूने और दामाद जी ने एक बाप की पगड़ी उछलने से बचा ली ! ताऊ जी भावुक होकर फफ़क पड़े !
अरे ताऊ जी ,रोईये मत ! विनु की शादी हैँ ! उसे खुश होकर विदा कीजिये ! मेरी बहन हैँ वो मेरा इतना भी हक नहीं बनता उस पर ! चलिये ,काम बताईये अब मुझे और इन्हे ! हम आ गए हैँ !
ताऊ जी आंसू पोंछकर अपनी बीटिया सरिता को लेकर पंडाल में चले गए !
चाची जी अपने हाथ में 1000 रूपये का लिफाफा पकड़े ही रह गयी !
मीनाक्षी सिंह की कलम से
आगरा
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