अंकित ,क्यूँ आ रहे हैँ पापाजी (ससुर जी) गांव से ! तुम्हे पता हैँ हम दोनों वर्किंग हैँ ! शुभी (बेटी ) भी सुबह स्कूल चली जाती हैं ! पूरा दिन घर साफ सुथरा पड़ा रहता हैँ ! पापाजी को हमेशा बलगम रहता हैँ ! पूरे दिन खांसते और थूकते रहते हैँ ! और तो और उन्हे सुबह 5 बजे चाय चाहिए ,10 बजे खाना ,फिर शाम की चाय ! मैं ऑफिस से आकर थक जाती हूँ ! कुछ हल्का फुल्का बना लेती हूँ शाम को ! उन्हे तो पूरा खाना चाहिए होता हैँ ! कैसे मैनेज करूँगी यार ! पिछली बार तो मम्मी जी भी आयी थी तो उन्होने सारा काम संभाल लिया था ! पर अब मम्मी जी के जाने के बाद मुझसे अकेले किसी की सेवा नहीं होगी ! सुन रहे हो य़ा बहरे हो गए हो अंकित ! रानी ( अंकित की पत्नी ) झल्लाते हुए बोली !
अंकित -तो क्या चाहती हो मैं पापा से मना कर दूँ कि मत आईये ! आपकी बहू मना कर रही हैँ ! वो आपको दो रोटी भी नहीं खिला सकती !
तभी शुभी कमरे से आँख मलती हुई बाहर आयी ! क्या कहा आपने पापा ,दादू आ रहे हैँ ! आई एम वैरी हैप्पी ! मैं दादू को बहुत मिस कर रही थी ! अब तो दादी भी गोड के पास चली गयी हूँ ! दादू बहुत रोते हैँ मम्मा ! मैने फ़ोन पर बात की थी उनसे ! रो रहे थे ! कह रहे थे तेरी याद आ रही हैँ बिट्टू ! तभी आ रहे हैँ ! मेरी हर बात मानते हैं दादू ! अब मैं खूब मस्ती करूँगी उनके साथ ! आप तो रहती नहीं हैँ घर में ! स्कूल से आकर बोर हो जाती हूँ ! मम्मा ,मैं खेलने जा रही हूँ पार्क में ! सबको बताऊंगी मेरे प्यारे प्यारे दादू आ रहे हैँ ! चहकती हुई शुभी बाहर चली गयी !
अंकित – देख रही हो रानी ,कितनी खुश हैँ शुभी ! कितना जीवन होता हैँ बड़े बूढ़ो का ! वो खुश रहती हैँ अपने दादू के साथ ! और पापा भी माँ को ज्यादा याद करके परेशान नहीं होंगे ! वैसे भी वो ज्यादा दिन तो रुकते नहीं ! उन्हे गांव की याद आने लगती हैँ ! चले जायेंगे !
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रानी – तुम दोनों को कुछ करना नहीं पड़ता इसलिये ऐसा बोल रहे हो ! मेरी लाइफ तो बिल्कुल चकरघिन्नी सी हो जायेगी ! अब आ रहे हैँ तो आने दो ! पर मीरा (कामवाली ) को फिर बुला लेना ! और ज्यादा दिन रुके वो तो मैं मम्मी के पास चली जाऊंगी शुभी को लेकर ! वही से ऑफिस चली जाया करूँगी ! तुम दोनों बाप बेटे आराम से रहना !
अंकित – ठीक हैँ ,आने तो दो यार उन्हे पहले ! अभी से ही दिमाग खराब कर रही हो !
अंकित निर्धारित समय पर पापा जी को ले आया ! रानी ने दरवाजा खोला तो आश्चर्य में रह गयी क्यूंकी पापा जी अकेले नहीं आयें थे ,उनके साथ रानी के मायके से उसके मम्मी ,पापा भी साथ थे ! रानी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा ! उसने पापा जी के पैर छूये ! मम्मी पापा के गले लगी ! सभी को पानी दिया ! चाय नाश्ता कराया ! रानी ने अपनी मम्मी से खूब जी भरकर बातें की ! शुभी भी सभी लोगों को घर में एक साथ देखकर ख़ुशी से फूली नहीं समा रही थी ! मम्मी आप दोनों पापा जी के साथ यहाँ कैसे ! आपको तो एक दिन की भी फुर्सत नहीं होती ! मैं कहती हूँ तो भी नहीं आती आप !
मम्मी – बेटा ,तेरे ससुरजी ने फ़ोन किया ! कहते आप लोगों से मिलने का मन हैँ और कुछ ज़रूरी बातें भी करनी हैँ ! आप लोग बहू के घर आ सकते हो तो आ जाईये ! मैं भी आ रहा हूँ ! समधी जी के आग्रह को हम ठुकरा नहीं पाये ! तभी रानी के ससुरज़ी ने सभी को आवाज लगायी ! सभी हाल में आ गए !
जी ,समधीजी ! कहिये ! आपने हम सब को किसी विशेष मकसद से बुलाया हैँ क्या ??
जी गुप्ताजी (रानी के पापा ) ! जब से मेरी पत्नी ,अंकित की माँ मुझे छोड़कर गयी हैँ तबसे बस ज़िन्दगी कट रही हैँ ! जी नहीं रहा हूँ ! बस रुक रुककर सांसे चल रही हैँ ! इसलिये अपनी सांसों का मुझे अब कतई भरोसा नहीं कब थम जाये ! तभी आप सब को बुलाया ! मैं अपनी जमीन जायदाद का बंटवारा करना चाहता हूँ ! सबकी मौजूदगी होनी आवश्यक हैँ !
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पर समधीजी ,अंकित तो अकेला हैँ ! सब उसी का है आपके बाद ! तो बंटवारे की क्या आवश्यकता ??
हाँ पापा ,,क्या ज़रूरत हैँ ! जब तक आप हैँ संभालिये ! फिर मैं देख लूँगा ! अंकित बोला !
पापा – बेटा ,वो मैं भी जानता हूँ ! पर कुछ चीजें साफ होना ज़रूरी हैँ ! बस वही बताना हैँ !
रानी मन ही मन डर रही थी कि कहीं मुंह बोली ननद को तो पापाजी हिस्सा नहीं देना चाहते !
अंकित – जी कहिये फिर पापा !
पापा – बात ये हैँ बेटा ,जीवन का कोई भरोसा नहीं कि पति पत्नी में कौन पहले दुनिया से विदा हो जायें ! इसलिये अगर तू पहले जाता हैँ ,तो बहू को कोई समस्या ना हो ! उसे इधर उधर कोर्ट कचहरी के चक्कर ना काटने पड़े ! अकेली औरत को दुनिया बहुत परेशान करती हैँ ! इसलिये मैं शहर का ये घर ,प्लोट ,खेत बहू के नाम कर रहा हूँ ! गांव का घर और जो थोड़ा बहुत हैँ वो तेरे नाम ! और तुम दोनों को इस कागज पर भी साइन करने हैँ ! अगर मेरे बाद सविता (मुंह बोली बेटी ) अपने मायके आती हैं तो उसे जैसा मान सम्मान अभी मिलता हैँ ,वैसा ही मिलता रहेगा अन्यथा वो जायदाद में हिस्सेदारी ले सकती हैँ ! बताओ तुम दोनों को मेरा फैसला मंजूर हैँ या नहीं !
रानी जो अपने ससुरजी को गलत समझती थी ,आज उनके फैसले को सुन स्तब्ध रह गयी कि बहू के नाम अपनी जायदाद करना बहुत बड़ी बात है ! रानी आँखों में आंसू लिए ससुरजी के पैरों में पड़ गयी ! बोली -पापा जी ,आप निश्चिंत रहिये ,दीदी के मान सम्मान में कभी कोई कमी नहीं आयेगी ! अगर आप ये बात नहीं भी कहते फिर भी मैं उनके मान सम्मान में कभी कमी नहीं आने देती ! अब आप कहीं नहीं ज़ायेंगे ,शुभी और हमारे पास रहेंगे हमेशा !
अंकित ने भी रानी की बात का समर्थन किया !
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पापा जी भी आँखों में आंसू लिए हाथ की लाठी को किनारे रख दोनों हाथों से रानी को आशिर्वाद देने लगे ! कांपती आवाज में बोले ! सदा सौभाग्वती रहो बहू !
समधी समधिन भी ये दृश्य देख भावुक हो गए !
#मासिक_प्रतियोगिता_अप्रैल
स्वरचित
मौलिक अप्रकाशित
मीनाक्षी सिंह
आगरा
Aisi bahuyen sirf kahaniyo me hoti hai
Unhe sara jamin jaydad chahiye seva karna nahi hai
Achhi kahani hai !! Message bhee achha hai!! Bahut nko property do aur wo Khushi Khushi sewa karegi! Magar agar Bahu talak lele fir ????
सुन्दर ओर पढ़ने योग्य साथ ही में शिक्षा प्रद कहानी
Kuch nahi yr kasshhh asa hota aur kahi na kahi jarur hota hai