अचानक से मेहमान आने पर दिमाग का पारा हाई हो जाता है अक्सर, पहले से पता हो तो सब काम खाना पीना टाइम से हो जाता है। काम निपटाने के बाद तो एक कप चाय की प्याली बनाना भी पहाड़ से कम नहीं लगता।
ऐसे ही दीवाली का दिन था ,
सुबह से भाग दौड़ लगी हुई थी काम की , महिमा ने रात तक का खाना तैयार कर लिया कि रात में पूजन और पटाखे बाकी काम सब आराम से हो जाएंगे।
दोपहर का खाना हो जाने बाद जैसे ही थोड़ा सुस्ताने गई कि डोर वेल बजी लगा कोरियर वाला होगा सोच कर जैसे ही दरवाजा खोला क्या देखती है उसके मामा ससुर का बेटा अपने दो दोस्तों के साथ आया है वो वहां होस्टल में पढ़ाई कर रहा था ।
मन में सोचा आया तो आया दोस्त भी ले आया, खैर अपने भावों को कंट्रोल करके स्वागत किया मुस्कुरा कर , महिमा की खासियत थी भले अंदर कुछ हो चेहरे पर नहीं आने देतीं थी।
सुबह से काम में लगी सुसता भी नहीं पाई थी ,इस झँझलाहट में अपने पति के पास जाकर गुस्सा दिखाती है ,वास्तविकता ये थी कि फोन उसके पति राज के पास एक दिन पहले आया था कजिन का कि दीवाली पर नही जा पा रहे हैं होम टाउन तो बुआ के घर आ जातें हैं और राज ऑफिस से आकर महिमा को बताना भूल गया।
खैर थोड़ा राज पर बिगड़ने के पश्चात, खाने का ही वक्त था तो औपचारिकता में पूछा पहले चाय या खाना ही लगाऊं ओर जवाब आया खाना ही खाएंगे भाभी चाय नहीं लेंगे।
फिर खाना हुआ और रंगोली बनाने लग गई महिमा, इधर महिमा की सासुमां को भी अच्छा नही लग रहा था कि बहु परेशान हो रही है फिर से रात का पूरा खाना बनाना पड़ेगा ,ओर बेटे को बोला भी कैसे बताना भूल गए तुम।
महिमा रंगोली बनाते हुए अपने आपको शांत करने की कोशिश करने लगी सोचा कि यदि इस तरह की परिस्थिति का भविष्य में उसका सामना हो और उसकी बहु ,भाई के बच्चे या उसके अन्य रिश्तेदार के आने पर मुंह बनाये आदर सत्कार न करे तो उसे केंसा महसूस होगा ये अहसास होते ही , तुंरत उसके मन में विचारों का जो कोलाहल था वो शांत हो गया ।
महिमा की सासुमां बड़ी सह्रदयी थीं ,दोनों ने मिलकर रात के खाने की तैयारी की ओर दीवाली पूजन के बाद सबने खुश होकर पटाखें चलाये ,सासुमां की भाभी बड़ी खुश हुईं की बेटा भले दीवाली पर न आ पाया पर बुआ के घर पर जाने से उसे घर की कमी नहीं लगी।
नंदिनी सोनू सिंह