अहंकार कभी न करना – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” अंकित..खबरदार जो मनु के खिलौने को हाथ लगाया..लंदन से इसके पापा ने मंगवाया है..।तुम भी अपने पापा से..अ.रे.रे..रे..तुम्हारे पास तो ढ़ंग के कपड़े भी नहीं है..खिलौने कहाँ से..।” कहते हुए रीना व्यंग्य-से हँसी और उसने अपने जेठानी के बेटे अंकित के हाथ से खिलौना छीन लिया।

       रीना के ससुर दीनदयाल जी की अचानक मृत्यु हो जाने के कारण उनके बड़े बेटे सुनील को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ देनी पड़ी।वो पिता की दुकान पर बैठ गये और परिवार तथा अपने छोटे भाई निशांत की ज़िम्मेदारी अपने कंधों पर उठा ली।कुछ समय बाद सुनील की माँ ने एक भले परिवार की लड़की अनिता के साथ उसका विवाह करा दिया।अनिता देखने में जितनी सुंदर थी, व्यवहार में भी उतनी ही सरल और विनम्र थी।

      निशांत इंजीनियरिंग करके मुंबई की एक कंपनी में नौकरी करने लगा।तब अशोक ने उसका विवाह रीना के साथ करा दिया।कुछ दिनों तक तो रीना सबसे मिलकर रही लेकिन जैसे-जैसे निशांत की तरक्की होती गई, उसकी आँखों पर चर्बी चढ़ती गई। वो जब भी ससुराल आती तो कभी अपने पैसे का रुआब दिखाती तो कभी जेठानी को नीचा दिखाती।

एक दिन अंकित ने मनु का खिलौना ले लिया।बस इतनी-सी बात पर उसने अंकित को डाँट दिया।तब उसकी सास बोली,” छोटी बहू..पैसा तो हाथ का मैल है.. उस पर इतना अहंकार करना ठीक नहीं।” लेकिन उसने सास की बात को अनसुना कर दिया।

       समय के साथ रीना का घमंड भी बढ़ता गया। फिर समय फिरा…।निशांत जिस कंपनी में काम करता था, वो कंपनी एक दिन बंद हो गई और वो बेरोजगार हो गया।महीनों बेरोजगार रहने के बाद निशांत को ज़ाॅब तो मिली लेकिन पहले जैसी सैलेरी नहीं थी।रीना की रईसी खत्म हो गई जिसकी वजह से निशांत के साथ उसका झगड़ा होने लगा।

       अंकित पढ़ाई में होशियार था।वो दसवीं कक्षा की फ़ाइनल परीक्षा में पूरे जिला में प्रथम आया तो उसके पिता और दादी खुशी-से फूले नहीं समाये।उधर मनु छठी कक्षा में दूसरी बार भी फ़ेल हुआ।तब अंकित सीना चौड़ा करके बोला,” दादी…अब मैं चाची को बताऊँगा कि अच्छे अंक लाने के लिये पैसे की नहीं, मेहनत की ज़रूरत होती है।

” बेटे की बातों में घमंड देखकर अनिता ने उसे समझाया,” बेटे..तुम अभी से अपनी आँखों पर चर्बी चढ़ा लोगे तो अपनी राह से भटक जाओगे.. मंजिल तक नहीं पहुँच पाओगे। इसलिये बेटे..अहंकार कभी मत करना।अपने से बड़ों और छोटों का हमेशा सम्मान करना सीखो।फलों से लदा हुआ पेड़ हमेशा झुका हुआ होता है जबकि तना हुआ पेड़ टूट जाता।”

      ” साॅरी माँ..मुझे माफ़ कर दीजिये।थोड़ी देर के लिये मैं भटक….।” कहते-कहते अंकित का गला भर्रा गया।अनिता के लिये यही बहुत था कि बेटे को अपनी गलती का एहसास हो गया है।

                                             विभा गुप्ता

# आँखों पर चर्बी चढ़ना         स्वरचित, बैंगलुरु

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