अपनी मां के लगातार 8 दिन तक बुखार चढ़ने की वजह से सरिता जी के दोनों बेटे और बहुएं उनके दोनों पोता पोती के साथ उनसे मिलने तुरंत बेंगलुरु से मेरठ आए थे उन्होंने सरिता जी के सारे टेस्ट कराये जो कि नॉर्मल आए थे। उन्हें यहां आए आठ दिन हो चुके थे अब सरिता जी की तबीयत ठीक थी राहुल और दीपक दोनों भाई ड्राइंग रूम में बैठे आपस में बातें कर रहे थे।
सरिता जी को देखकर जब वे चुप हो गए तो उन्हें लगा कि शायद वो दोनों इस मकान को बेचने की बात कर रहे हैं। राहुल सरिता जी से बोला।देखो मां अब आपको हमारे साथ चलना ही पड़ेगा। दो दो बेटों के होते हुए आप यहां पर अकेली नहीं रह सकती, अब आपकी तबीयत भी ठीक नहीं रहती। बहुत कर ली आपने अपनी मनमानी। इतनी दूर से हम भी जल्दी-जल्दी आपके पास नहीं आ सकते। आप हमारे साथ बेंगलुरु चल रही हैं तो चल रही है बस। अगर किसी दिन ज्यादा तबीयत खराब हो गई तो हम अपने आप को कभी माफ नहीं कर पाएंगे।
अब मेरे बीमार होने से किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता है।अब तो तुम्हारे पापा भी नहीं रहे, जो हमेशा कहते रहते थे अपना ध्यान रखा करो सरिता तुम्हें अगर कुछ हो गया तो मैं भी तुम्हारे बिना जिंदा नहीं रह पाऊंगा और देखो ना खुद दुनिया से चले भी गए मुझे अकेला छोड़कर कहते-रहते उनकी आंखे भर आई और अपने साड़ी के पल्लू से आंस पछने लगी अच्छा है जितनी जल्दी भगवान मुझे भी अपने पास बुला ले।
मैं अपना घर छोड़ कर तुम लोगों के साथ हरगिज नहीं जाऊंगी। सरिता जी इसी जिद पर अडी थी। सरिता जी असमंजस में थी उनके मन में ना जाने कैसे विचार आ जा रहे थे। उन्होंने निर्णय ले लिया था कि मैं अपने पति का घर छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी और ना ही इस घर को दोनों भाइयों को बेचने दूंगी। कहीं यह दोनों भाई मुझे वृधाश्रम भेज कर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त तो नहीं होना चाहते। नहीं मैं अपने जीते जी कभी इस घर को नहीं बेचने दूंगी और ना ही वृद्ध आश्रम में जाऊंगी मैं अकेली रह लूंगी।
उनके दोनों बेटे बेंगलुरु में नौकरी करते हैं उनके पिता की मृत्यु हो चुकी है। लाख समझाने पर भी उनकी मां उनके साथ बेंगलुरु नहीं गई थी लेकिनअब वह बीमार रहने लगीथी इसीलिए वे दोनों उन्हें लेने के लिए आए थे। दोनों भाइयों के बेंगलुरु में एक ही सोसाइटी में अलग-अलग फ्लैट है। तभी राहुल अपनी मां से कहता है मां हम आपको अपने साथ बेंगलुरु लेकर जाएंगे आखिर हमें भी अपनी मां के साथ रहने का पूरा हक है। आपने कैसे सोच लिया कि आपके बीमार होने का हम पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
हम अपने पिता को खो चुके हैं और मां को बिल्कुल खोना नहीं चाहते अभी तो तुम्हें जीना है हमारे लिए। हमने नीचे का हिस्सा अपने पास रखकर ऊपर का सारा पोर्शन किराए पर चढ़ा दिया है। और किराएदार आपके अकाउंट में आपके पैसे डाल दिया करेंगे जिस पर केवल आपका हक है हम अपने पापा का घर कभी बेचना नहीं चाहते यहां पर हमारा सारा बचपन बीता है हम अपनी जड़ो से हमेशा जुड़कर ही रहना चाहते हैं।साल में एक बार 15 दिन की छुट्टी लेकर सब लोग यहां पर रहने आया करेंगे।
और वैसे भी आप अपने घर से अपने घर में ही जा रही हैं। मां हमारे साथ नहीं हम आपके साथ रहेंगे। अपने बच्चों की बातें सुनकर उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं और आंसुओं के साथ संदेह के काले बादल भी धुल जाते हैं। अपने मन में भी वे यही सोच रही थी पांचो उंगलियां एक जैसी नहीं होती मैं बिना मतलब ही अपने बच्चों पर शक कर रही थी और अपने बच्चों को गले से लगाकर फूट-फूट कर रोने लगती है। उनके दोनों पोता पोती भी उनके गले लग जाते हैं और शोर मचाने लगते हैं दादी हमारे साथ घर चल रही हैं चल रही हैं।
पूजा शर्मा