किरण मेरे जूते पालिश करने के लिए कहा था किया है कि नहीं ? यह किरण के पति अभिषेक की आवाज़ थी । किरण रसोई में पति के लिए ही लंचबॉक्स तैयार कर रही थी । उसकी तेज आवाज़ सुनते ही भागते हुए बाहर आते हुए कहती है मैंने पालिश कर दिया है । उस भागने में उसकी छोटी अंगुली दीवार से टकरा गई और उसमें चोट लगती गई । उससे खून बहने लगता है परंतु उसका ध्यान पति पर ही था ।
अभिषेक चीख कर कहता है कि पालिश कर दिया है पर देखो कहीं से भी पालिश किए हुए लग रहे हैं । एक काम ढंग से करना नहीं आता है । मैं भी कैसा मूरख हूँ जो तुमसे इन कामों की उम्मीद लगा बैठा हूँ ।
मैडम जी तो पढ़ी लिखी है यूनिवर्सिटी फ़र्स्ट हैं फिर ये घर के काम कैसे करेगी ना ना उनकी इज़्ज़त चली जाएगी और नौकरी यह भी हमारे बस की बात नहीं है ऑफिस से धक्के मारकर निकाल दिया है । बस मुफ़्त में बैठकर रोटी तोड़ रही है ।
वैसे भी तुम्हें क्यों बोलो मेरी क़िस्मत ही खोटी है और मेरे माता-पिता की गलती है जो तुम्हें मेरे मत्थे मढ़ दिया है । बड़बड़ाते हुए ऑफिस के लिए निकल गया ।
किरण की आँखों से आँसू की एक बूँद नहीं आई जो अभिषेक देखना चाहता था । वह मन ही मन सोचती भी जा रही थी कि किरण तू चुप चाप क्यों सह रही है तू कोई अभागन नहीं है पढ़ी लिखी है तुझे अपनी मदद खुद ही करनी पड़ेगी परंतु कैसे वह उसे घर से बाहर निकलने ही नहीं देता है ।
सोचते हुए उसे समय का पता नहीं चला। उसे बहुत भूख लग रही थी तो सोचा खाना खा लेती हूँ क्योंकि अभिषेक से लड़ना है तो मुझे अपने आप को स्वस्थ रखना ही है । उसने खाना खाया और पूरे घर की सफ़ाई की क्योंकि आजकल अभिषेक राक्षस के समान व्यवहार करता है ।
कहीं कुछ गंदगी दिखाई देती है तो उसे उठाकर मुँह पर फेंक देता है । कल की ही बात है कि जूते साफ करने के बाद भी नहीं किया है कहकर मेरे ऊपर फेंक दिया था मुझे मालूम था कि वह फेंकेगा मैं झट से सरक गई थी वरना मेरी नाक या आँख को लग जाती थी ।
वह अपनी पुरानी यादों में खो गई थी जब वह कॉलेज में पढ़ती थी । अभिषेक का घर भी उनके घर के पास ही था । उसे वह कॉलेज से आते जाते देखा करता था । यह उसे नहीं मालूम था । उस समय वह एम एसी फ़ाइनल ईयर में थी ।
वह हमारे घर भी आने जाने लगा था । माँ पिताजी से कहता था कि किरण कितनी होशियार है ना । मैं एम एसी में यूनिवर्सिटी फ़र्स्ट आई । वहीं कैंपस में मुझे अच्छी कंपनी में नौकरी भी मिल गई थी । यह सब देखकर उसने अपने माता-पिता को रिश्ते की बात करने के लिए भेज दिया था ।
मेरे माता-पिता ने कहा कि घर बैठे बिठाए अच्छा लड़का मिल गया है । हम उन्हें अच्छे से जानते हैं तो रिश्ते के लिए हामी भर देते हैं । अभिषेक भी अच्छी कंपनी में नौकरी करता था देखने में हेंडसम था । एक लड़की के लिए इससे अच्छा वर कौन हो सकता था । अभिषेक ने मुझसे बातें की मुझे उसकी बातें अच्छी लगी और मैंने हाँ कह दिया ।
हमारी शादी होने के पहले ही पता चला कि अभिषेक को कंपनी की तरफ़ से अमेरिका भेज रहे हैं । मैंने कहा कि मेरी नौकरी अच्छी है और अच्छी सेलरी भी मिल रही है तो मैं उसे छोड़ नहीं सकती हूँ ।
अभिषेक ने मुझे समझाया कि देखो किरण हम वहाँ परमेनेंट रहने नहीं जा रहे हैं । तीन साल रहकर वहाँ की टेक्नोलॉजी सीख कर वापस आ जाएँगे । इस तरह हमारी शादी हो गई थी ।
अभिषेक अपनी फॉरमलटीस पूरा करवा ही रहा था कि मेरी कंपनी ने भी मुझे अमेरिका भेजना चाहा फिर क्या था माता-पिता और सास ससुर भी मेरी क़िस्मत पर खुश हो गए थे । हम दोनों अपनी अपनी कंपनियों की तरफ़ से एक ही शहर में नौकरी करने के लिए चल पड़े ।
वहाँ जाकर हम दोनों खुश थे आराम से अपने काम कर रहे थे कि एक दिन अभिषेक ने कहा कि किरण अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा दे दो क्योंकि तुम्हें घर और ऑफिस का काम करने में दिक़्क़त हो रही होगी । मैं तो अच्छा कमा ही रहा हूँ ।मैंने कहा कि नहीं अभिषेक मैं नौकरी नहीं छोड़ सकती हूँ
क्योंकि कंपनी ने अपनी तरफ़ से पैसे लगाकर मुझे यहाँ भेजा है तो मेरा बीच में छोड़ना मुश्किल है और वैसे भी मैं दोनों काम अच्छी तरह से कर रही हूँ ना तुम्हें शिकायत का मौक़ा नहीं दे रही हूँ फिर क्यों छोड़ना कहकर बात को टाल दिया था ।
मुझे लगता था कि अभिषेक मेरी कितनी फ़िक्र करता है इसलिए बिचारा ऐसा ऑफर दे रहा था परंतु मैं भी तो मज़बूर हूँ ।
मुझे याद है कि कुछ दिनों से मेरे ऊपर काम का प्रेशर ज़्यादा हो गया था क्योंकि प्रॉजेक्ट सबमिट करने का समय नज़दीक आ गया था तो मैं घर पर भी काम करने लगी थी । इसी समय का फ़ायदा उठाकर अभिषेक ने मेरे प्रोजेक्ट के फ़ाइल डिलीट कर दिया था । जिससे कंपनी के हाथ से प्रॉजेक्ट निकल गया था और करोड़ों का नुक़सान कंपनी को हुआ और उन्होंने मुझे नौकरी से निकाल दिया था ।
अभिषेक बहुत ही खुश हो गया था और उसके अंदर का राक्षस बाहर आ गया था । मेरी नौकरी छूटने के बाद से उसने मुझे अपने कब्जे में ले लिया और अपनी मनमानी करने लगा । उस समय बातों बातों में अभिषेक की करतूत का मुझे पता चला । मैं कुछ नहीं कर सकती थी इसलिए चुपचाप उसकी बातों को सुन रही थी ।
अब मुझे लगता है कि इस तरह चुप नहीं बैठना है। उस आदमी को भी बताना है कि औरत अभागन नहीं होती है उसे बंद कमरे में उसकी मर्ज़ी के खिलाफ नहीं रख सकते हैं । औरतों की तरक़्क़ी को एक आँख से ना पसंद करने वाले व्यक्ति को सबक सिखाना है ।
अभिषेक किरण को बाहर जाने से रोकना चाहता था । उसकी सारी तैयारी कर दी थी लेकिन उसके दिमाग़ में चल रही हलचल को तो रोक नहीं सकता था ।
वह बेफ़िक्री से ऑफिस जाता था उसे मालूम है कि वह बिना पैसों के बाहर नहीं निकल सकेगी । मैं पी एच डी करना चाहती थी । मैंने सोचा घर पर बैठकर अपनी क़िस्मत पर रोने के बदले में इस समय का उपयोग करूँगी तो बेहतर होगा । इसलिए मैं घर के सारे काम ख़त्म करके सुबह ग्यारह बजे से शाम पाँच बजे तक अपनी मन पसंद विषय को चुनकर अभिषेक की ही
पुस्तकों से जानकारी हासिल करके अपना थीसेस बना दिया था । इसकी कानों कान ख़बर अभिषेक को लगने नहीं दिया था । किरण की ख़ासियत यह है कि उसकी मेमोरी फ़ोटोग्राफ़िक मेमोरी थी इसका उसे बहुत फ़ायदा हुआ ।
उसने अपनी थीसेस की प्लॉपी बनाई और अपना एप्लिकेशन और पूरी जानकारी एक पेज पर टाइप करके एक छोटे से काग़ज़ पर नोट भी लिखा था कि मेरी इस थीसेस को यूनिवर्सिटी में सबमिट करने में मेरी मदद करें । सब लिखकर रख तो लिया लेकिन सोच में पड़ गई थी कि इसे पहुँचाऊँगी कैसे ?
उसी दिन शाम को ऑफिस से आते ही अभिषेक ने कहा कि कल हमें एक पार्टी में जाना है । तुम बहुत अच्छे से तैयार हो जाना ।
किरण को बहुत ही अच्छा लगा इस बात को सुनकर भीषण गर्मी में पानी की एक बूँद भी लोगों के मन में आशा जगा देती है ।
उसी तरह अभिषेक की बात सुनते ही किरण के होंठों पर एक मुस्कान सी आ गई थी ।
अभिषेक सोच रहा था कि इतने टार्चर करने पर भी वह चुपचाप थी उसने सोचा था कि किरण रोएगी गिड़गिड़ाएगी परंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ था । अब उसे विश्वास हो गया था कि वह कहीं नहीं जाएगी । उसने अपने दोस्तों से पहले से ही कह दिया था कि जॉब में से निकाल दिये जाने से किरण डिप्रेशन में चली गई है ।
मैंने उसे बहुत समझाया है कि मैं हूँ ना अच्छा कमा रहा हूँ परंतु वह वैसी ही है ।
दोस्तों ने भी इस बात को मान लिया था । इसलिए उसने सोचा कि अब मैं उसे बाहर ले जा सकता हूँ । अभिषेक ने एक प्लान भी बनाया है किरण को रास्ते से हटाने का जिसे किरण नहीं जानती थी ।
अपने रास्ते से हटाने के पहले वह किरण को थोड़ी सी ख़ुशियाँ देना चाहता था । इसलिए उसे पार्टी में जाने के लिए तैयार होने के लिए कह दिया था । जब अभिषेक ऑफिस से आया तो देखा किरण तैयार थी । किरण ने अपना एडमिशन का फार्म प्लापी सब अभिषेक से छिपाकर बैग में रख लिया था । वह आज नीले रंग के कपड़े और सफायर्स पहनकर बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी । अभिषेक ने दिल से उसकी तारीफ़ की थी । दोनों हाथों में हाथ डालकर पार्टी में पहुँच गए थे । वहाँ सबने उनकी बहुत तारीफ़ की थी ।
किरण पूरी पार्टी में आँखें घुमाकर देख रही थी कि किसे वह अपने पी एच डी के पेपर दें । अभिषेक उसे एक मिनट भी छोड़ नहीं रहा था । कहते हैं कि अच्छे लोगों का साथ ईश्वर भी देते हैं । किसी पीने वाले ने अपने गिलास का शराब अभिषेक के कपड़ों पर गिरा दिया था तो वह उसे साफ करने गया । मैं झट से उठी और एक व्यक्ति को वह कागज और प्लापी देकर रिक्वेस्ट किया था कि प्लीज़ आप इसे सबमिट करने में मेरी मदद कीजिए और साथ में नोट है उसे भी पढ़ लीजिए । वह व्यक्ति कुछ समझ पाता वह जल्दी से अपनी जगह पर आकर बैठ गई ।
उसी समय अभिषेक आया और मुझे वहीं पर बैठा हुआ देख कर राहत की साँस ली ।
जब मैंने उस व्यक्ति की तरफ़ देखा तो उसने मेरे काग़ज़ों को कोट की जेब में रख कर आँखों से ही कह दिया था कि वह देख लेगा ।
उस व्यक्ति ने नोट को पढ़ा और यूनिवर्सिटी में फार्म सबमिट कर दिया था । उसे जल्दी से आगे बढ़ाने का काम भी किया । मेरी थीसेस उन्हें पसंद आई और मुझे पी एच डी करने के लिए एडमिशन मिल गया था ।
वह व्यक्ति मुझे बताने के लिए मेरे दिए हुए पते पर आ रहा था और उसी समय अभिषेक ने मुझे मारने का प्लान बनाया था । उसने कहा कि किरण अब तुम मरने के लिए तैयार हो जाओ आज का मुहूर्त बहुत ही अच्छा है अब मैं और तुम्हें बर्दाश्त नहीं कर सकता हूँ । मैं उसके हाथों इस तरह से मरना नहीं चाहती थी ।
मैं सोच रही थी कि किस तरह से यहाँ से भागूँ । उसने मेरे चेहरे की तरफ़ देखते हुए कहा कि तुम भाग नहीं सकती हो किरण आज तुम्हें मारने का मैंने ठान लिया है। मैं उसे बातों में उलझाकर रखना चाहती थी ताकि कुछ सोच सकूँ ।
उससे पूछा हम दोनों पढ़े लिखे सुंदर हैं । हमारे बीच कोई मनमुटाव नहीं था फिर तुम क्यों मुझे मारना चाहते हो ।
उसने कहा कि बचपन से मुझे पढ़ी लिखी होशियार लड़कियाँ नहीं पसंद हैं । तुम्हें कितनी बार मैंने समझाया था कि नौकरी छोड़ कर हाउस वाइफ़ बनकर रहो परंतु तुमने मेरी बात नहीं मानी । मुझे ऐसी लड़कियाँ बिलकुल नहीं पसंद हैं । इसलिए तुम्हें मारकर दूसरी किसी होशियार लड़की से शादी करके उसे भी मार दूँगा ।
मैंने कहा कि खूनी क़ानून की नज़रों से कभी बच नहीं सकता है । तुम भी कभी ना कभी पकड़े ही जाओगे । अभिषेक उससे बातें कर रहा था कि किरण ने उनके घर के सामने कार रूकने और किसी के उनके घर की तरफ़ आने की आवाज़ सुनी थी । वह ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी हेल्प हेल्प । अभिषेक ने सोचा नहीं था कि वह इस तरह से चिल्लाएगी वह घबरा गया और उसने किरण की गर्दन को जोर पकड़ लिया था ।
उनके घर आने वाला वही व्यक्ति था जो किरण को खुश खबरी देने आ रहा था । उसने क्विक रियाक्शन से दरवाज़े को रिवाल्वर से गोली मारकर खोल दिया । उसने अभिषेक को किरण की गर्दन पकड़े हुए देखा और रिवाल्वर दिखाकर किरण को छुड़वाया साथ ही पुलिस को सूचना देकर उसे पुलिस के हवाले कर दिया था ।
किरण ने कुछ ही महीनों में अपना पी एच डी ख़त्म किया और जब उसे डिग्री मिल रही थी तब उसने उस व्यक्ति को जिसका नाम जार्ज था धन्यवाद किया और उसने यह भी कहा कि मैं अपने पति को भी बहुत बहुत धन्यवाद देना चाहती हूँ क्योंकि वे अगर अच्छे रहते थे तो शायद इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी में मैं पी एच डी नहीं कर पाती थी ।
मुझे अभिषेक के लिए बुरा लगता है कि इतनी पढ़ाई और अच्छी नौकरी होने के बाद भी अपने अहंकार के कारण आज वह जेल में हैं ।
मैं आज सभी युवतियों को बताना ज़रूरी समझती हूँ कि स्त्री कभी अभागन नहीं होती है । वह चाहे तो कुछ भी करके दिखा सकती है । अपने मन में विश्वास भरो और आगे बढ़ते जाओ । किसी से डरने की ज़रूरत नहीं है । लोग हमें तब तक डराते हैं जब तक हम उनसे डरते हैं । मेरी ज़िंदगी को एक उदाहरण के स्वरूप लीजिए ।
धन्यवाद
पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था ।
के कामेश्वरी
nice story
Absolutely