आपसी समझ – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

गीतिका का पहला करवा चौथ था ।एक महीना पहले ही उसने मन ही मन तैयारी शुरू कर दी पर उसकी ससुराल में कोई हलचल नहीं थी । एक दिन ऑफिस में गीतिका की सहेली गुंजन ने कहा-

गीतिका, करवा चौथ के लिए क्या ड्रेस तैयार करवा रही हो ?

मैंने तो एक जॉरजेट का बड़ा ही प्यारा सूट देखा है । पर घर में तो कोई इस बारे में बात ही नहीं कर रहा ? यार, एक बात तो बता , तुम्हारी भी पहली करवा चौथ है , क्या तुम्हारे घर में कोई इस बारे में बातें कर रहा है?

ओर क्या, मम्मी जी पचासों बार कह चुकी है कि मैं जल्दी ड्रेस तैयार करवा लूँ नहीं तो  , बाद में टेलर टाईम पर  कपड़े नहीं देता

और मेरे पति भी कई बार पूछ चुके हैं कि गिफ़्ट में क्या चाहिए । शादी के बाद पहली करवा चौथ की एक्साइटमेंट ही अलग होती है । चेक भी कर लें , कहीं ऐसा तो नहीं कि तेरे पतिदेव की पहली करवा चौथ हो ही ना ?

गुंजन ने गीतिका को छेड़ते हुए कहा ।

“अरे नहीं, ऐसा कुछ नहीं , हम ही शायद कुछ जल्दी कर रहे हैं।“, गुंजन ने बात टालते हुए कहा ।

ऑफिस से घर आते समय गीतिका ने सोचा कि आज मैं ही घर में बात करूँगी, शायद किसी को याद ही ना हो ।

रात को रसोई में खाना बनाने की तैयारी करते समय गीतिका ने कहा-

मम्मी जी , करवा चौथ आ रहा है, क्यों ना इस संडे बाज़ार चलें , आराम से ख़रीददारी करेंगे ।

मैं तो व्रत रखती नहीं, हाँ बीज़ी के लिए नया सूट बनवाना है वो व्रत रखती हैं ।

बीज़ी….. पर यह व्रत तो पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है ना ?

हाँ बेटा , कहानियाँ तो ऐसी ही सुनी है । अपना – अपना विश्वास है । 

गीतिका को चुप और सोच में डूबी देखकर सास नीरजा बोली-

गीतू, क्या सोचने लगी ? बच्चे , मैं तो इसलिए व्रत नहीं रखती क्योंकि तुम्हारे पापाजी को इन व्रत- उपवासों में बिल्कुल भी विश्वास नहीं है । शुरू में मैंने कोशिश की पर जब देखा कि घर में बिना मतलब की कलह होती हैं तो इन्हें कहना ही छोड़ दिया । अब घर में जैसे सुबह- शाम पूजा करती हूँ, वही ठीक है ।

चलो , आपकी बात तो सही है कि पापाजी को पसंद नहीं सो आपने व्रत नहीं पकड़ा पर बीज़ी …?

चल , बीज़ी ही करवा चौथ के बारे में अच्छी तरह से समझाएँगी ।

उस दिन बीज़ी का खाना लेकर गीतिका ही उनके कमरे में गई। बीज़ी का नियम था कि वे सर्दियों में छह बजे और गर्मियों में ठीक सात बजे खाना खा लेती थी ।

उसके बाद बाहर बरामदे में थोड़ी देर घूमकर ड्राइंगरूम में बैठती थी और ऐन नौ बजे अपने कमरे में पहुँच जाती थी ।

बीज़ी, आपका खाना ।

पुत्तर , आज तू खाना लाई । नीरू क्या कर रही है ?

बीज़ी, मम्मी जी  रायते के लिए लौकी उबाल रही हैं । मुझे आपसे कुछ पूछना है इसलिए मैं आई हूँ ।

पूछ पुत्तर , क्या पूछना है ?

बीज़ी ! मुझे मम्मी जी ने बताया कि आप आज भी करवा चौथ का व्रत रखती हैं ।

हाँ । तेरे बाबाजी इतने नेक दिल इंसान थे कि मैं हर जन्म में उन्हें पति रूप में पाने के लिए करवा माता से प्रार्थना करती हूँ। पुत्तर!  मेरा व्रत केवल एक परंपरा नहीं है,  मैंने ब्याह के पाँच साल बाद यह व्रत करना शुरू किया था । इन पाँच सालों में मेरे दिल में उनके लिए इतना प्यार और सम्मान उत्पन्न हो गया

कि मैंने किसी दिखावे या केवल परंपरा निभाने के लिए नहीं बल्कि दिल की आवाज़ सुनकर यह व्रत रखने का निश्चय किया और तुम्हारे बाबाजी ने भी नियम निभाने में मेरा साथ दिया । उन्हें हर त्योहार मनाने का इतना शौक़ था कि महीना पहले ही सामान की लिस्ट बनाने लगते थे ।

एक तरफ़ मेरा बेटा है, उसे तीज -त्योहार पर ही लड़ने का मौक़ा मिलता है ।

आजकल तो हर रिश्ते, हर परंपरा की परिभाषा बदल चुकी है। लड़के- लड़कियाँ बहुत उतावले हो गए हैं, उनमें ना तो ठहराव है और ना ही गंभीरता ।  तुरंत ब्याह फिर तुरंत तलाक़।बच्चे, रिश्तों को समझने के लिए समय देना बहुत ज़रूरी हैं। 

ख़ैर, अपना- अपना चलन है , अपने-अपने विचार । मैं तो केवल इतना कह सकती हूँ कि हर रीत- रिवाज के पीछे एक संदेश छिपा होता है , कोई भी कार्य करने से पहले उसके महत्व को समझना चाहिए । 

इतना कहकर बीज़ी ने गीतिका को ख़ाली प्लेट पकड़ाईं ।

रसोई में जाती हुई गीतिका सोच रही थी कि सचमुच ही हमारी पीढ़ी को बड़ों के मार्गदर्शन की बहुत ज़रूरत है । व्रत – उपवास से महत्वपूर्ण है कि पहले आपसी विश्वास और समझदारी को मज़बूत बनाएँ ।

करुणा मलिक

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