रमा किचन में काम कर रही थी तभी उसे नीचे से किसी के जोर जोर से बोलने की आवाज आई।उसने बालकनी में से झांककर देखा तो उसकी बहु प्रिया,जो जिम होकर आई थी आठ दस साल के लड़के के साथ झगड़ा कर रही थी -“तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे आंटी कहने कि..?
मैं तुम्हें आंटी दिखाई देती हूं क्या?तुम्हारे माँ बाप ने तुम्हें बोलने की तमीज नहीं सिखाई?चाहे जिसको जो भी बोल दो।आगे से मुझे आंटी बोला तो एक थप्पड़ दूंगी जोर से.. बतमीज कहीं के।”बहु की बातें सुनकर रमा को एक तरफ शर्म महसूस हो रही तो दूसरा तरफ गुस्सा आ रहा था..एक छोटे बच्चे के साथ इतनी मुंह जोरी कर रही थी..
वहां से गुजरने वाले सभी लोग मुंह पे हाथ रख कर हंस रहे थे..वो सोचने लगी क्या सोच रहे होंगे लोग..कैसी औरत है?इतनी सी बात का बतंगड़ बना रही है।पहले रमा ने सोचा कि नीचे जाकर प्रिया को समझाकर ऊपर ले आए लेकिन फिर उसे लगा कि अगर वो सबके सामने प्रिया से कुछ कहेगी तो वो उसी से झगड़ा करने लगेगी क्योंकि प्रिया बहुत ही झगड़ालू थी
बस यही सोचकर रमा नीचे नहीं गई।कुछ देर बाद प्रिया तमतमाती हुई ऊपर आई और जोर से बॉथरूम का दरवाजा बंद करते हुए नहाने चली गई।रमा का बेटा रोहन घर से ही ऑफिस का काम कर रहा था।उसकी मीटिंग चल रही थी दरवाजे की आवाज सुनकर कमरे से बाहर आ गया और रमा पे गुस्सा करते हुए बोला -“माँ,आपसे कितनी बार बोला है जब मेरी मीटिंग चल रही हो तो दरवाजे खिड़कियां जरा धीरे से बंद किया करो पर आपको कोई बात समझ में ही नहीं आती।”
“बेटा,मैने नहीं बहु ने दरवाजा बंद किया था।वैसे मुझे तो तेरी हर बात समझ आती है पर शायद तेरी पत्नी को ही न तेरी बात समझ आती है न ये समझ आता है कि किसी से कैसे बात की जाती है?”
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“क्यों ऐसा क्या हो गया माँ?जो आप प्रिया के लिए ऐसी बात कह रही हो?”रोहन रमा की बात सुनकर नाराज हो गया।
“अब क्या बोलूं तुझे ?कुछ बोलूँगी तो बोलेगा कि मैं बहु की बुराई करती रहती हूं..तू जाकर खुद अड़ोस पड़ोस के लोगों से पूछ ले कि प्रिया ने आज क्या नाटक किया है?क्योंकि मेरी बात पर तो तुझे यकीन होगा नहीं।”
“बेकार की बातें मत करो,सही सही बताओ क्या हुआ था?”
रमा सारा किस्सा रोहन को सुना ही रही थी कि प्रिया बाथरूम से निकलकर आ गई और गुस्सा करते हुए बोली -“माँ,अपको जरा भी शर्म नहीं आ रही ना मेरी बुराई करते हुए।”
प्रिया के मुंह से अपनी माँ के लिए ऐसे शब्द सुनकर रोहन को भी गुस्सा आ गया।बोला -“प्रिया तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई माँ से ऐसे बात करने की?शर्म उन्हें नहीं तुम्हें आनी चाहिए।और वो अपने मन से थोड़ी कुछ कह रही हैं जो तुम आज नीचे करके आई हो वो ही तो बता रही हैं ना।”
“मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया जो मुझे शर्मिंदा होना पड़े।अब कोई मुझे आंटी कहकर मेरी अपमान करेगा तो उसे मुझे सुनाना ही पड़ेगा ना।”
प्रिया बहस पे बहस किए जा रही थी और किसी कि कुछ सुन ही नहीं रही थी।वो इसी बात पर अड़ी हुई थी,कि मैं तो अभी बहुत यंग हूं मुझे कोई आंटी कैसे कह सकता है?रमा और रोहन उसे यही समझाए जा रहे थी कि किसी के कहने से कोई फर्क नहीं पड़ता..लोग तो कहते ही हैं इसका मतलब हरेक से लड़ाई करने थोड़ी लग जाते हैं।
पर प्रिया कहां चुप होने वाली थी?बोले जा रही थी…तभी डोर बेल बजी प्रिया सारा गुस्सा भूलकर खुशी से दरवाजे की ओर दौड़ी क्योंकि उसने ऑनलाइन कुछ जिम का समान मंगवाया था।जैसे ही उसने दरवाजा खोला,सामने डिलीवरी बॉय खड़ा था एक बैग दिखाते हुए बोला -“आंटी जी आपका समान है।आपके मोबाइल पे एक ओटीपी नंबर आया होगा प्लीज वो बता दीजिए।”
डिलीवरी बॉय के मुंह से अपने लिए आंटी शब्द सुनकर प्रिया का सारा उत्साह सारी खुशी एक मिनिट में गायब हो गई।उसकी हालत ऐसे हो गई मानों काटो तो खून नहीं।एक तो पहले ही से वो आज बिगड़ी बैठी थी ऊपर से डिलीवरी वाले का उसे आंटी कहना मानों आग में घी का काम कर गया।दोनों हाथ कमर पे रखकर उसे आँखें दिखाते हुए बोली -“मैं आपको तभी ओटीपी नंबर बताऊंगी जब आप ये बताओगे कि आपने मुझे आंटी क्यों कहा? मैडम भी तो कह सकते थे ना।”
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“अरे आंटी जी बेकार की बातें मत कीजिए।मुझे लेट हो रहा है जल्दी से ओटीपी नंबर बताइए।”डिलीवरी बॉय के मुंह से फिर से आंटी जी निकल गया तो प्रिया का गुस्सा सातवें आसमान पे पहुंच गया।फिर क्या था उससे भी भिड़ गई।उसे भी बोलने की तमीज सिखाने लगी।उधर रोहन और रमा प्रिया के चेहरे पे आते जाते भावों को देखकर बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी रोक पा रहे थे।उन्होंने बीच में बोलना उचित नहीं समझा और प्रिया को उसके हाल पे छोड़ दिया।प्रिया की बातों से डिलीवरी बॉय को गुस्सा आ गया।बोला
-“आपको नंबर नहीं बताना तो मत बताइए पर मेरा दिमाग मत खराब कीजिए।मैं समान वापिस लेकर जा रहा हूं।वैसे कभी खुद को आइने में देखना फिर आपको इस सवाल का जवाब मिल जाएगा कि लोग आपको आंटी क्यों कहते हैं?”कहकर डिलीवरी बॉय जैसे ही समान लेकर वापिस जाने लगा तो प्रिया ने उसे ओटीपी नंबर बताकर समान वापिस ले लिया।लटका हुआ मुंह लेकर प्रिया जैसे ही अपने कमरे को ओर मुड़ी तो रोहन तंज कसते हुए बोला -“बड़ी जल्दी हार मान ली तुमने।अभी तो मोहल्ले वालों को पता भी नहीं चला कि तुमने डिलीवरी बॉय को आंटी कहने पर कितनी बातें सुनाई हैं,उसे बात करने की तमीज सिखाई है।”
“जले पे नमक मत छिड़को रोहन। तुम्हें तो सब भैया भैया कहते हैं ना इसलिए तुम क्या जानो कि जब हमें कोई उम्र से पहले ही बड़ा बना दे तो कितना बुरा लगता है?” प्रिया रुआंसी होकर बोली।
“बहु,रोहन आज जो इतना फिट व आकर्षक दिखता है उसके पीछे उसकी मेहनत है।उसको शुरू से हमने जैसे नियम से चलना सिखाया है वैसे ही आज भी वो सुबह जल्दी उठकर सैर करने जाता है फिर आकर तैयार होकर ऑफिस जाता है।ऑफिस जाने से पहले घर के छोटे मोटे काम भी करता है।दूध दही फल सबका समय से सेवन करता है।रात को भी समय से सो जाता है।इसलिए शायद वो अभी भी उतना ही लगता है जितना उसकी उम्र है।इसके विपरीत तुम ना घर का काम करती हो ना ही
स्वास्थ्यवर्धक चीजों का सेवन करती हो।तुम्हें मैं फल काटकर देती हूं तो तुमसे वो भी नहीं खाए जाते।दूध पीने को देती हूं तो तुम्हें उल्टी आती है।घर का काम करने में कभी तुम्हारी कमर दुखती है तो कभी हाथ दुखते हैं।तुम्हें तो बस सारा दिन आराम करना और जंक फूड खाना पसंद है।रात को देर तक मोबाइल देखती हो और फिर सुबह देर से उठती हो।तुम्हारा वजन दिन भर दिन बढ़ता जा रहा है तुम्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता पर कोई तुम्हें आंटी कह दे तो तुम्हें बुरा लग जाता है
और तुम उसके साथ लड़ने लग जाती हो।बेटा,यदि हम चाहते हैं कि हमेशा सुंदर आकर्षक और जवान दिखें तो उसके लिए हमें कुछ तो प्रयास करने ही पड़ेंगे ना।लोग तो जैसा देखेंगे वैसा ही बोलेंगे।वैसे भी मोटापा न केवल हमारी खूबसूरती को कम करता है बल्कि हमारे शरीर में कई बीमारियों को भी जन्म देता है। “
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“सही कह रहीं हैं आप माँ…गलती मेरी ही थी कि मैंने कभी अपने खान पान और रहन सहन के बारे में सोचा नहीं।शरीर किस ओर जा रहा है कभी ध्यान नहीं दिया बस दूसरों को दोष देती रही।अब से मैं अपना पूरा ध्यान रखूंगी और आंटी नहीं दीदी या भाभी बनकर दिखाऊंगी।”
“देखते हैं कितने दिन तक रखती हो अपना ध्यान?”रोहन चुटकी लेते हुए बोला।
“देखा माँ, आपका बेटा मेरा उत्साह बड़ाने की बजाय मेरा मजाक बना रहा है।”
“तू इसकी बातों पे ध्यान मत दे बस अपने पर ध्यान दे।मैं तेरे साथ हूं।”रमा प्रिया को समझाते हुए बोली।
इस एक घटना ने मानों प्रिया की जिंदगी बदलकर रख दी।अब वो धीरे धीरे अपनी आदतों में सुधार करने लगी।परिणाम स्वरूप उसका वजन पहले से कम हो गया।अब वो पहले जैसी स्लिम ट्रिम दिखने लगी।उसे जिम जाने की जरूरत भी नहीं पड़ती।यानी प्रिया के लिए अपमान वरदान बन गया।रोहन कभी कभी प्रिया को प्यार से छेड़ देता था…आंटी मत कहो मुझे…तो वो कुछ न कहती बस मुस्कुराकर रह जाती।ये शायद उसके तन के साथ साथ मन में भी सुधार होने की निशानी थी।
सच यदि अपमान को अपमान नहीं बल्कि एक सीख समझकर अपने में सुधार करने की कोशिश की जाए तो हमारे लिए अपमान भी वरदान बन जाता है..जैसे सोना तपकर ही कुंदन बनता है।
कमलेश आहूजा
#अपमान बना वरदान