लड़के के पिता महेश और उसके पुत्र प्रबोध को लड़की के अभिभावक द्वारा अपनी लड़की के दिये गए फोटोग्राफ्स पसंद पड़ गये। इसके साथ ही उसके बायोडाटा व अन्य जानकारियों से भी पिता-पुत्र प्रभावित हुए। उसके परिवार के अन्य सदस्यों ने भी इस रिश्ते को पसंद किया था। महेश उस शहर का धनी व्यवसायी था।
किन्तु लेन-देन के मुद्दे पर जब बातचीत होने लगी तो फर्क पड़ने लगा, तब लड़की के पिता ललित पर महेश भड़क उठा। उसने ललित से कहा कि उसके यहाँ शहरों के रईसों और मशहूर लोगों के अनुरोध उसके मोबाइल में पेंडिंग पड़े हुए हैं, उसके पुत्र प्रबोध से शादी करने के मकसद से। उनके प्रपोजल को नजरअंदाज करके उसने उसकी लड़की से शादी करने का फैसला किया।
जवाब में ललित ने कहा, ” आपको वहाँ ज्यादा दान-दहेज़ भले ही मिलेगा किन्तु मेरी बेटी जैसी सर्वगुण संपन्न कन्या नसीब नहीं होगी।”
“यह कैसी बातें करते हैं भाई!.. आप एक तरह से चुनौती दे रहे हैं.. मेरे यहांँ बहुत बड़ी-बड़ी पार्टियों के रिश्ते आए हैं.. उनके द्वारा भेजे गए दर्जनों खूबसूरत और हर गुणों से परिपूर्ण लड़कियों की तस्वीरें अभी भी मेरे व्हाट्सऐप पर मौजूद है।.. अगर हम चाहें तो किसी भी लड़की के साथ चुटकी बजाते अपने पुत्र का रिश्ता तय कर सकते हैं “उसने तल्ख आवाज में कहा।
महेश की बातों से ललित आहत हो गया था। हालांकि उसकी लड़की भी सुंदर, सुसंस्कृत, शिक्षित और जाॅब करने वाली थी।
थोड़ी देर तक बतकुच्चन होने के बाद महेश ने कठोर स्वर में कहा कि वह अपने पुत्र का रिश्ता उसके यहाँ नहीं कर सकता है।
तब ललित ने कहा, ” आपकी बातों से घमंड की बू आती है।.. किसी इंसान को स्वयं पर इतना गुमान करना शोभा नहीं देता है” उसने तैश में कहा।
“तो तुम क्या समझते हो मेरा बेटा कुंवारा रह जाएगा..”
“चुप रहिए!.. जब लड़के की शादी का मौका आता है तो आप जैसे लोगों की आंँखों पर चर्बी चढ़ जाती है।.. हम भी इंसान हैं.. ” कहता हुआ वह गुस्से में उठा और वहाँ से प्रस्थान करने के लिए जूते पहनने लगा।
स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित
मुकुन्द लाल
हजारीबाग(झारखंड)
09-01-2025
# मुहावरा प्रतियोगिता