आखिरी फैसला – उषा शिशिर भेरूंदा : Moral Stories in Hindi

आज मोबाइल में फ्रेंड रिक्वेस्ट में माधवी भाभी को दिखा, रेखा बड़ी खुश हुई। मोबाइल को धन्यवाद देते माधवी भाभी रिक्वेस्ट कबुल की।

और मन दोपहर को फोन लगाने का बनाया। भोजन बनाते-बनाते रमा मायके की गलियों में पहुंच गई। 

पड़ोस में रहने वाले सुभाष भैया की नई नवेली दुल्हन बनकर माधवी भाभी आई थी। मृगनयनी से आंखें बूंद भर केसर मिला दूध से रंगत, छरहरी माधवी भाभी राम के दिल को भा गई।

और फिर उसका ज्यादा समय पड़ोस में माधवी भाभी के साथ बीतने लगा स्वेटर बनाना सिंधी कढ़ाई केक बनाना सब माल भी माधवी भाभी से सीखा। 

समय बितता रहा वह भी सुधीर के साथ अपने दो बच्चों के गृहस्थी में मगन हो गई। मायके में उसके दोनों छोटे भाई श्याम और सुशील भी अपनी छोटी सी गृहस्ती में व्यस्त हो गए।

2 वर्ष पूर्व अचानक मां के देवलोक गमन का समाचार के समाचार ने रमा को बहुत आहत किया। मायके जाना भी पहले से बहुत कम हो गया

इस वर्ष रक्षाबंधन पर जब मायके गई देखा बाबूजीऋ दोपहर को है बहुत कमजोर हो गए हैं। बहुत असहाय और असहज महसूस किया सोचा मां के नहीं रहने से है।

दोपहर को फोन लेकर माधवी भाभी से बात करने बैठी मायके के समाचार सुन बहुत दुख पहुंचा श्याम तो शादी के 6 माह बाद ही अलग हो गया था

सुशील भी अलग ही रहता है भाभी से मालूम हुआ बाबूजी अकेले रहते हैं दवाई भोजन और भी दूसरी व्यवस्था मन होता है तो बेटे बहु कर देते हैं वरना भोजन तो अक्सर माधवी भाभी है देती है। 

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मैं सोचने लगी आखिर में भी तो उन्हीं की संतान हूं मैंने अपने बाबूजी के लिए क्या किया, कुछ भी नहीं मेरा भी उनके प्रति कुछ तो कर्तव्य है और मैंने अचानक एक फैसला किया

अब बाबूजी मेरे साथ रहेंगे। फिर सोचने लगी शायद सुधीर मेरे इस फैसले से सहमत ना हो जब सुधीर से इस विषय में बात की तो वह कहने लगे

बाबूजी की सेवा तुम्हारे भाई भाभी की जिम्मेदारी है सोच लो तुम्हारा मायके में दखल तुम्हारा मायका खत्म कर देगा भाभी भाई से संबंध बिगड़ जाएंगे

मैंने सोचा भविष्य की चिंता में वर्तमान के अनदेखी कैसे बुद्धिमानी है और मैं सुधीर से कहा नहीं बाबूजी अब मेरे साथ रहेंगे सुधीर कहने लगे क्या यह तुम्हारा आखिरी फैसला है मैंने बोला हां यह मेरा आखिरी फैसला है

उषा शिशिर भेरूंदा

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