अवंतिका के मन में आज बार बार यह प्रश्न उभरकर उसके सामने आ रहा था कि आख़िर मेरे साथ ही यह सब क्यों होता है ।
उसे याद आ रहा था जब वह दसवीं कक्षा में पढ़ रही थी । उसके प्री फ़ाइनल परीक्षा चल रही थी । उसकी वजह से माता-पिता ने उसे घर पर ही छोड़कर मामा जी से मिलने उनके घर पर गए थे । जो उनके घर से दो तीन घंटे की दूरी पर स्थित था । उनका मामा जी से मिलना हो गया और जब वे वापस आ रहे थे तब ही एक हादसा हुआ जिसकी वजह से उनकी कार एक ट्रक से टकरा गई और दोनों की मौत वहीं घटनास्थल पर ही हो गई थी ।
दोनों की मृत्यु के बाद मामा उसे अपने साथ अपने घर लेकर आए थे । मामा जी के कमरे से ही पार्वती मामी की ज़ोर से बोलने की आवाज़ आ रही थी । मैं अपने बच्चों की देखभाल करूँगी लेकिन दूसरों के बच्चे को मैं नहीं पालूँगी । यह मेरी ज़िम्मेदारी नहीं है।
प्रसाद ने कहा कि तुम मानो या ना मानो मेरी बहन की बच्ची मेरे साथ इस घर में ही रहेगी । मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि तुम इतनी निर्दयी कैसे हो सकती हो ।
माता-पिता को खोकर बच्ची मेरे घर आई है और तुम कहती हो कि मैं घर में नहीं रखूँगी । पार्वती ने अंत में कहा कि देखिए अवंतिका दसवीं कक्षा में पढ़ रही है किसी हॉस्टल में भेज दो ताकि हम सब भी आराम से रह सकते हैं ।
प्रसाद ने कहा कि तुम ऐसे कैसे कह सकती हो ? मैं उसका मामा अभी जिंदा हूँ तो उसे हॉस्टल में क्यों भेजूँ ? अवंतिका को उनकी बातों को सुनकर बुरा लग रहा था ।
मामी की बात को मामा ने नहीं सुनी तो मामी ने भी कच्ची गोलियाँ नहीं खाईं हैं । इसलिए दसवीं के बाद उसे पढ़ने के लिए नहीं भेजा और सारे घर का काम उसी से कराने लगी । पति और लोगों के सामने इस तरह से अपने आप को प्रोजेक्ट करती थी जैसे वे ही पूरे घर का काम करती हो ।
एक बार उसकी बहन आई थी उससे मिलने के लिए तब उन्होंने मामी से कहा कि बहना इसकी शादी करा दे तो तेरी ज़िम्मेदारी ख़त्म हो जाएगी तुझे इस तरह से कुढ़ने की ज़रूरत नहीं होगी।
यह सुनकर उन्हें अच्छा लगा और वे मेरे लिए रिश्ते देखने लगी । क़िस्मत ने यहाँ भी मेरा साथ नहीं दिया था और अब तक कम से कम दस रिश्ते आए थे पर किसी को भी मैं पसंद नहीं आई थी । मुझे लगता है कि मुझसे ज़्यादा मेरा अनाथ होना उन्हें पसंद नहीं आया था ।
कुछ लोगों ने तो मुँह पर ही कह दिया था कि आप लोग तो इसकी शादी करके पल्ला झाड़ लेंगे बाद में हमारे बेटे के लिए ससुराल ही नहीं रहेगा ।
मामी और मामा को कल जो लोग मुझे देखने आए थे उनके रवैये से थोड़ी सी उम्मीद जाग गई थी कि शायद वे रिश्ते के लिए हाँ कह देंगे ।
दो तीन दिन के बाद भी जब उनके पास से कोई ख़बर नहीं आई तो मामी का पारा चढ़ गया था । मैंने पहले ही कहा था कि इसे अपने घर में पनाह मत दो परंतु आपने मेरी एक नहीं सुनी अब भुगतो कब तक इस महारानी को घर पर बिठाकर मुफ़्त की रोटी खिलाओगे ।
मामा कह रहे थे चुप होजा भागवान बच्ची सुन रही है । तुमने उसकी पढ़ाई नहीं रोकी होती तो वह एम ए करके नौकरी कर अपने पैरों पर खड़ी हो जाती थी लेकिन तुम्हें तो आराम करना था । इसलिए उसे घर में बिठाकर मुफ़्त की नौकरानी को पा लिया था ।
हाँ हाँ आप तो मुझे ही कहोगे यह भूल गए हैं कि पाल पोसकर इतना बड़ा उसे मैंने किया है । यह जन्मजली माता-पिता के साथ ही मर जाती थी तो अच्छा था या फिर खुद ही आत्महत्या कर लेती तो मैं गंगा नहा लेती पर ना उसे तो सबसे पहले मुझे ही खाना है परंतु सुन लो मैं ऐसे मरने वालों में से नहीं हूँ समझ रहे हो ना ।
अच्छा है भगवान ने हमें दो लड़के दिए हैं मुझे लड़कियाँ बिल्कुल पसंद नहीं है जब तीसरी बार मुझे पता चला कि मैं माँ बनने वाली हूँ और मेरे पेट में लड़की है । मैंने उसे गिरा दिया था । वह बोलती जा रही थी ग़ुस्से में उसने वह भी कह दिया जो अभी तक पति से छिपाकर रखी थी ।
प्रसाद को उसकी बातों को सुनकर इतना ग़ुस्सा आया था कि वे अपने आप को रोक नहीं सके और तड़ाक से एक चाँटा मामी के गाल पर मार दिया। अवंतिका को बुरा लगा था कि उसके कारण उनके घर में इतना कलह हो रहा है । इसलिए झट से उसने एक निर्णय लिया और मामा को पत्र लिख दिया था
कि मेरी वजह से आपके घर की शांति भंग हो यह मैं नहीं चाहती हूँ इसलिए मैं अपने माँ पापा के पास जाना चाहती हूँ । मामा मुझे माफ कर दीजिए मैं अपनी इस ज़िंदगी से तंग आ गई हूँ । आप से बहुत प्यार करती हूँ आपने मुझे अपनी बेटी से भी ज़्यादा प्यार दिया है । ईश्वर से प्रार्थना करूँगी कि अगले जन्म में मैं आपकी बेटी बनकर आपके घर में पैदा होऊँ ।
धन्यवाद मामा
उसने अपनी माँ की साड़ी ली और उसके छोर पर चिट्ठी बाँध ली । खुद साड़ी के सहारे पँखे से लटक कर जान देने ही वाली थी कि बाहर से मामा जी की आवाज़ सुनाई दी थी कि अवंतिका बेटा ख़ुशख़बरी है । सुन तो कहते हुए कमरे का दरवाज़ा खोला और अवंतिका को इस हालत में देख कर उसे ऊपर से उतारते हुए कहा कि देख तो मैं सही समय पर आ गया था नहीं तो इतना अनर्थ हो जाता था । मैं अपनी बहन को क्या मुँह दिखाता कहते हुए रोने लगे ।
अपने आपको सँभालते हुए कहा कि बेटा भगवान के घर देर होता है परंतु अँधेर नहीं होता है । तू उन लोगों को पसंद आ गई है बिना दहेज लिए वे तुझे उनके घर की बहू बनाना चाहते हैं । चल बेटा ख़ुशियाँ तेरे दरवाज़े पर हैं अब कभी यह ना सोचना कि आखिर मेरे साथ ही यह सब क्यों होता है?
अवंतिका भी खुश होकर मामा के गले लग गई और मामी भागते हुए आई और कहने लगी कि मैंने कहा था ना कि अवंतिका खुश नसीब है और यह रिश्ता जरूर हो जाएगा । अवंतिका की तरफ़ मुड़कर देखते हुए प्रसाद हँसने लगे ।
के कामेश्वरी