आखिर गलती समझ आई – डॉ संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : शगुन की नई नई शादी हुई थी विमल से,ससुराल में सब बहुत अच्छे थे,भरा पूरा परिवार था,सास,ससुर,देवर ,जेठ जेठानी और एक शादीशुदा नन्द,नंदोई।

सब शगुन को बहुत प्यार और सम्मान करते,वो भी खुश रहती थी पर कई दफा विमल के साथ जिस एकांत को वो शुरू से चाहती थी वो कहीं मिसिंग था।

विमल की आदत भी कुछ ऐसी ही थी कि वो पूरे परिवार में बहुत घुला मिला था।वो चाहता था कि शगुन भी वैसी ही हो जाए।

शगुन को लेकिन,आज भी अपने मायके के आगे कोई न जंचता,जब तक ससुराल रहती,सब कुछ करती पर बात अगर उसके मायके की हो तो वो सब कुछ भूल बस उन लोगों की तीमारदारी में लग जाती।ये बात विमल को बहुत खटकती।

विमल की मां उसे समझाती,अभी नई है,अपने परिवार से जुड़ाव होता ही है हर स्त्री का ,धीरे धीरे,इस घर की भी अपना समझने लगेगी, तू फिक्र न किया कर।

विमल चुप रह जाता और फिर एक मौका देता शगुन को सीखने और संभलने का।

इस बार न्यू ईयर का प्रोग्राम,शगुन ने विमल के साथ अकेले ही “कुफरी” जा कर मनाने का सोचा था,वहां गिरती बर्फ का आनंद वो सिर्फ विमल के साथ लेना चाहती थी।

विमल ने उसकी इच्छा का सम्मान करते हुए,अपनी मां के कहने पर,शगुन के साथ प्रोग्राम बनाया और वो बहुत खुश थी इस बात से।

करीब एक हफ्ते घूम कर वो लौटी तो घर में उसकी नन्द अपने दो बच्चों के साथ आई हुई थी अपने बच्चों की विंटर ब्रेक में,मायके जाना सबको ही अच्छा लगता है।

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शगुन को उनका आना अच्छा नहीं लग रहा था पर विमल के डर से वो बोली कुछ नहीं।उसकी बेरुखी घर में सब नोटिस कर चुके थे और उन्हें बहुत बुरा लग रहा था इस बात का।

शगुन को सबक सिखाना बहुत जरूरी है,ये ऊपर ऊपर से भली बनी रहती है पर दिल से किसी दूसरे को सहन नहीं कर पाती,जो बहुत गलत है,विमल ने सोचा और कुछ योजना बनाने लगा।

अगले ही दिन,उसकी योजनानुसार,शगुन का भाई उसे लेने आया,शगुन!मां ने बुलाया है तुम्हें कुछ दिन,तुम्हारी भाभी भी बेसब्री से तुम्हारा इंतजार कर रही है।

शगुन खुशी से उछल पड़ी, मै जरूर जाऊंगी,बस विमल आ जाएं फिर शाम को चलते हैं,उसने अपने भाई से कहा।

शाम को विमल,ऑफिस से लौटा,शगुन जाने को तैयार बैठी थी बस एक औपचारिकता पूरी करना चाह रही थी उससे पूछने की।

कहां की तैयारी है?विमल ने पूछा।

शोभित भैया लेने आए हैं,मां ने बुलाया है कुछ दिनो को…वो बोली।

और यहां दीदी और बच्चे आए हुए हैं..

उनको बुरा नहीं लगेगा?विमल बोला।

उनका क्या है?वो फिर आ जायेंगे…इनका तो लगा ही रहता है रोज का…

तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये कहने की?विमल गुस्से में चीखा,ये घर दीदी जा भी उतना ही जितना मेरा,तुम नादान हो,  अभी तक मै यही समझता रहा लेकिन तुम अब लिमिट क्रॉस कर रही हो…तुम भी तो झट अपने मायके जाने को तैयार हो गई,अगर तुम्हारी भाभी तुम्हारे लिए ये ही कहेगी तो सोचो कैसा लगेगा तुम्हें?

विमल ने कहा तो शगुन की आंखें झुक गई।वाकई में गलत तो नहीं कह रहे ये…और शोभित भैया भी सुबह से न जाने कहां चले गए,शाम को आने की कह गए थे…उसने मन में सोचा।

उसकी उलझन देखकर विमल समझ गया कि ये शोभित को लेकर परेशान है।

चले गए भैया घर…वो मेरे कहने पर ही यहां आए थे..तुम्हें सबक सिखाने…,वो बोला।

“मुझे माफ कर दो विमल…” शगुन ने धीमी आवाज में कहा,” मै स्वार्थ में भटक गई थी”

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 हर लड़की अपनी नन्द,जेठानी को कुछ भी कहते भूल जाती है कि वो भी ये सब रिश्ते कहीं निभा रही है,अपने लिए कुछ और , और दूसरे के लिए  कुछ और नियम …ये तो ठीक नहीं।

शगुन के चेहरे पर पश्चाताप के भाव साफ दिख रहे थे।

डॉ संगीता अग्रवाल

वैशाली

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