आज का श्रवण कुमार

माता पिता दो बेटे… बिल्कुल साधारण सा परिवार… पिता कृत संकल्प अपने दोनों बच्चों को खूब पढ़ाना है, काबिल बनाना है ताकि वो एक शानदार जिन्दगी बसर कर सकें… किसी भी तरह का अभाव न रहे उनके जीवन में!!

प्राइवेट नौकरी गिनी चुनी तनख्वाह हाथ में आती जिसे लाकर पत्नि के हाथ में थमा देते… पत्नि उसे माता लक्ष्मी का प्रसाद समझ शिरोधार्य करती और बड़ी कुशलता से अपनी साधारण सी गृहस्थी का संचालन करती!!

बच्चों को पूरा पोषण मिले उसकी खातिर… घर पर ही रहकर लिफाफे बनाती, बोतलों में लेबल लगाने का काम करती.. जो भी कमाती, बच्चों को दूध बादाम में खर्च करती, कभी दो बादाम पति को खाने को देती तो वो वापस कर देते…. कहते.. बच्चों के काम आएंगे!!

बच्चे भी आदर्श पुत्र की भांति अपने लक्ष्य को पाने के लिए पूर्ण प्रयत्नशील , कोई व्यसन नहीं, सिर्फ़ पढाई में लीन… बस एक ही सपना मन में लिए.. माता पिता को सुख और ढेर सारी सुविधाएं देना है, उनके त्याग को व्यर्थ नहीं जाने देना है!!

वक्त का काम है चलना,तो वो अपनी गति से बढ़ता चला गया, बच्चों की मंज़िल पास आती गई और एक दिन बड़ा बेटा एक प्रसिद्ध बैंक में अच्छे ओहदे पर नियुक्त हो गया!!

परिवार ने उस दिन दीवाली सी मनाई… बेटा मिठाई लेकर आया, ईश्वर को अर्पण करने के बाद माता पिता और भाई का मुंह मीठा कराया…….. दोनों के पैरों में सिर रखकर भरे गले से बोला..

” ये सफ़लता आप दोनों के त्याग , विश्वास और परिश्रम की है, अपने को भूलकर आप दोनों हमारे लिए जीते रहे… मां ने दो साड़ी में इतना लंबा समय निकाल दिया, पिताजी टूटी चप्पल सुधरवाते रहे पर अपने लिए कभी कुछ लेने का सोच भी नहीं पाए…. भाई तूने भी बहुत इच्छाएं मारी हैं न? अब देखो मैं क्या क्या करता हूं सबके लिए “!!

भर्रा गई आवाज़ बोल न निकल पाए तो फूट फूट के रो पड़ा…. पिता ने तीनों को अपनी कमज़ोर सी बांहों में समेट लिया!!

ईश्वर की दया से दिन फिरे, अच्छी जगह घर किराए पर लिया , पिता को स्कूटर दिलाया , मां की सहायता के लिए गृह सहायिका रखी!!  खुद ज़मीन से इतना जुड़ा, सिटी बस से बैंक जाता, दोनो भाई पहले की तरह सादगी से जीवन जीते रहे!!

    कुछ वक्त बाद सोच समझकर, पिता ने सबकी मर्जी जानकर,अपने ही शहर की लड़की से बेटे का रिश्ता किया, बहू को सहर्ष स्वीकारा परिवार ने और प्यार से अगवानी की!!




बहू दो बहनें थीं, मध्यम वर्गीय परिवार अपना आवास था…. दोनों परिवारों में आना जाना होता रहा!!

छोटा भाई अपने ही शहर की नामचीन कंपनी में मैनेजर के पद पर नियुक्त हो गया, पूरा परिवार एक बार फिर से खुशियों के सागर में डूब गया!! जल्द ही अपने ही शहर से छोटे बेटे की जीवन संगिनी चुनी गई…… इस तरह परिवार पूरा हो गया!!

समय निकला, बड़े बेटे ने एक अच्छी कॉलोनी में बड़ा सा प्लॉट लेकर बहुत खूबसूरत बंगला बनाया, ऊपर की मंजिल में दो किराए के लिए पोर्शन, नीचे अपने लिए तीन बड़े बैडरूम, ड्रॉइंग रूम, डाइनिंग रूम, बड़ा किचन, मन्दिर, बनाया!!

तब तक छोटे भाई ने भी बढ़िया फ्लैट खरीद लिया और सपरिवार शिफ्ट हो गया!! माता पिता बड़े बेटे के ही साथ रहे!!

अचानक बैंक की तरफ से बेटे का हरियाणा ट्रांसफर किया गया, उसे जाना पड़ा, माता पिता ने कहीं और जाने से इनकार किया और अपने ही घर में बने रहे, सारी सुविधाएं करके बेटा अपने परिवार के साथ हरियाणा चला गया!!

छोटा बेटे का ऑफ़िस शहर के आख़िरी में था, वहीं उसका आवास था, हर रविवार वो आता… माता पिता को देख भी जाता, जरूरत की सब व्यवस्था करके चला जाता!!

दो वर्ष बाद, बच्चों की बड़ी कक्षाओं की वजह से बड़ी बहू अपने शहर वापस आ गई!! इस बीच उसके पिता का निधन हो गया, बहन विवाहित थी, मां अकेली पड़ गई…. बहू स्वार्थी हो गई, देवर को बुलाया और सास ससुर को साथ ले जानें को कहा…. भाइयों में इतना आदर और प्रेम कि छोटे ने न कोई प्रश्न किया न ही भाई को भड़काया, चुपचाप माता पिता को अपने साथ ले गया!!

इसी बीच बड़े बेटे का ट्रांसफर पुनः अपने ही शहर में हो गया….. घर आने पर पत्नि का ये बहाना बनाना कि माता पिता का यहां मन नहीं लगने के कारण छोटे के पास चले गए….. बेटा सारी बात समझ गया, उसने कड़ी दृष्टि पत्नि पर डाली…… गाड़ी उठाई और माता पिता को लेने निकल गया…. जाकर पूरा सामान लिया और अपने घर ले आया!!

आकर पत्नि से सिर्फ इतना कहा..

” अगर तुम्हें अपनी मां के अकेलेपन की चिन्ता थी तो मुझसे कहा होता, हम मिलकर कुछ उपाय करते… इस तरह छल कपट करके माता पिता को यहां से भेजने की क्या जरूरत थी? 




पत्नि शर्मिंदा हुई सास ससुर के पैरों में झुककर माफ़ी मांगी , बेटा बोला….. हमारे माता पिता सभी यहीं साथ रहेंगे, जिससे तुम्हें भी निश्चिंतता रहे और सभी बेफिक्र होकर रह सकें!! ईश्वर ने हमें भी तो दो औलादें दी हैं….. सोचो! ऐसा बर्ताव वो हमारे साथ करें तो?

 आज सारा परिवार एक साथ खुशी खुशी रह रहा है!!

ये मेरे पड़ोस में ही  रहने वाले एक परिवार की सच्ची कहानी है , सारी कॉलोनी वालों ने उस बेटे को “आज़ का श्रवण कुमार ” नाम दिया है!! सभी दुआ करते हैं ” ऐसी औलाद… अगर हर घर में हो तो वृद्धाश्रम की जरूरत ही क्या”!!

अच्छी परवरिश अच्छे संस्कार अपना असर जरूर दिखाते हैं, बड़ों का आदर और सम्मान करें, बुढापे में उनका साथ दें उनका ध्यान रखे, मां बाप का दिया आशीर्वाद बहुत कीमती और अनमोल होता है!!

#औलाद 

प्रीति सक्सेना

इंदौर

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