बचपन से अपनी चाची को देखती हूँ घर मे जो भी बड़े बड़े काम होते चाची की सूझ बूझ से वह बहुत शानदार हो जाते थे ,चाची काफी पढ़ी लिखी थी टीचिंग जॉब करना चाह रही थी सेंट्रल स्कूल में उनको नौकरी मिल गई थी पर चाचा ने उन्हें जॉइन नही करने दिया घर की जिम्मेदारियो का हवाला देकर ,और उन्होंने जिम्मेदारियों को वखूबी निभाया दोनों बच्चों को अच्छी शिक्षा दी बेटा इंजीनियर और बेटी बैंक अफ़सर बन गई ।
मुझे चाचा की एक बात अच्छी नही लगती थी घर संभालने का वह चाची को कोई क्रेडिट नही देते उनके व्योहार से लगता था चाची बस घर की मैनेजर हैं ,उनकी अपनी कोई अहमियत नही रह गई थी चाचीजी बस सबकी जरूरतों की मशीन बन गई थीं ।
उम्र के साथ अब वह थक रही थी उनको जॉइन्टस में दर्द के साथ लिवर फैटी की दिक्कत थी डॉक्टर ने नियमित कुछ दबाइये खाने को कहा ,चाचाजी उनकी दबाइये तो मंगाते उनका चैक उप भी कराते लेकिन चार लोगों के बीच इस बात का बखान जरूर करते जो चाचीजी को बिलकुल अच्छा नही लगता । एक दिन दबाई की एक गोली जो चालीस रुपए की थी खाते समय गिरकर पानी मे चली गई
चाचाजी चिल्ला पड़े – मालूम है चालीस रुपये की गोली है ,
चाचाजी रिटायर हो गए थे बच्चे शादी होकर अपनी अपनी दुनिया मे खुश थे ।इस सब मे चाची का जो कर्तब्य था वह क्यों अनदेखा करते थे बहुत अच्छी पेंशन पाते थे ,मेरे सामने चाचीजी को इस तरह बोलना मुझे भी अच्छा नही लगा ।
चाचा जी आपका स्वस्थ कैसा है ? आपके ब्लडप्रेसर का क्या हुआ अब ठीक रहता है – मैन पूछा
अरे कहां गुड़िया अब तो हार्ट का चेकअप हर छह महीने में कराना पड़ता है
उसकी भी दबाईओ पर अच्छा ख़र्चा होता होगा ?
हा मेरी दबाईओ पर होता है पर मुझे अच्छी पेंशन मिलती
है सब ठीक है ।
चाचाजी एक बात पूछूँ आप बुरा मत मानियेगा ।
हा हा पूछो बेटा
चाची जी को कोई पेंशन क्यों नही मिलती ?
आज से चालीस साल पहले उन्होंने आपके कहने पर नौकरी नही की घर की चाकरी के लिये ,अब उनको तनखाह तो दी नही पर पेंशन तो बनती है जो आपको बिना काम करे मिलती है ।
चाचाजी मेरा मुह देख रहे थे बिना कोई जबाब दिये हुए ,
चाचाजी आप चाची को एक एक गोली की कीमत बताते हो ,आपका बी पी का इलाज जो कितने सालो से चलता है
क्या चाची जी ने आपके दबा की कीमत कभी सुनाई ?क्या उन्होंने चार लोगों के बीच आपके इलाज का वर्णन किया ?
चाची तो अभी साल भर से बीमार हुई वह भी कभी अपनी बीमारी बताएंगी भी नही आपकी जरूरतें जब पूरी करने में असमर्थ होती हैं तभी उनकी बीमारी का खयाल आता है सबको ।
पास खड़ी चाचीजी मेरी बातें सुन रहीं थी उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे ,जो पीड़ा अब तक अपने बच्चों ने नही समझी आज उनकी गुड़िया समझ रही थी ।
चाचाजी बोले -थैंक यू गुड़िया ,मै अब तक ये क्यो नही समझ पाया ,चाची के पास जाकर बोले –
सुनीता आई एम सॉरी ।
।।।।।पूजा मिश्रा ।।।।।