आँसू बन गए मोती – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

उस दिन भी सूरज ऐसे ही तप रहा था, जैसे धरती से बैर हो। अर्जुन की छोटी सी झोंपड़ी में भीषण गर्मी के साथ एक और आग धधक रही थी – मां की लगातार बढ़ती खांसी। हर खांसी के साथ उसका कमजोर शरीर ऐसे कांपता,

मानो पतली डाली पर झूल रहा कोई पत्ता हो। अर्जुन, बारह वर्ष का वह किशोर, जिसके कंधों पर पिता के असामयिक चले जाने के बाद से ही परिवार की जिम्मेदारी आ गिरी था, मां के सिरहाने बैठा, उसके पसीने से तर माथे पर कपड़े की पट्टी रख रहा था।

“बेटा,” मां की आवाज़ धागे-सी पतली थी, हर शब्द निकलने में संघर्ष साफ झलकता था, “तू… तू बहुत मेहनत करता है। मेरी वजह से…”

“मां, कुछ नहीं,” अर्जुन ने जोर देकर कहा, अपनी आंखों में उतर आई नमी को रोकते हुए। “जल्दी ठीक हो जाओगी। बाबू दीवान ने कहा है, कल मेरी पगार मिलेगी। तब तुम्हारी दवा आ जाएगी।”

सच तो यह था कि बाबू दीवान का वह छोटा सा ‘शोमा ज्वैलर्स’ दुकान, जहां अर्जुन साफ-सफाई और चाय-पानी का काम करता था, उसकी मेहनत का मेहनताना अक्सर ‘कल’ के भरोसे ही टलता रहता था। उसकी पगार जितनी भी थी, उससे घर चलाना भी दुष्कर था, मां की दवाइयां तो सपने जैसी।

अगले दिन, जब अर्जुन दुकान पर पहुंचा, तो उसका दिल धड़क रहा था। आज पगार मिलनी थी। बाबू दीवान मोतियों की एक नाजुक माला को सँभाल कर देख रहे थे। चमकदार, गोल, दूधिया मोती। अर्जुन की नजर उन पर टिक गई।

इतने सुंदर! काश, वह ऐसे ही एक मोती मां के लिए ले जा पाता। बचपन से ही मां कहती आई थी – “बेटा, मोती तो समुद्र की गहराइयों में पैदा होते हैं, एक कौड़ी के अंदर घाव सहकर। दर्द ही उन्हें कीमती बनाता है।” अर्जुन को समझ नहीं आता था कि दर्द कैसे किसी चीज को कीमती बना सकता है।

शाम को, जब दुकान बंद होने लगी, बाबू दीवान ने अर्जुन को पुकारा। उसका दिल खुशी से धड़क उठा। लेकिन बाबू दीवान का चेहरा गंभीर था। “अर्जुन, मालूम है न, आजकल कारोबार ठीक नहीं चल रहा। तुम्हारी पगार… अगले हफ्ते दे पाऊंगा। पर तुम चिंता मत करो, ये लो…” उन्होंने मेज पर पड़े दो छोटे, थोड़े खराब, बेकार समझे जाने वाले मोती उठाकर अर्जुन के हाथ में थमा दिए। “ये तुम्हारे काम के लिए। इन्हें बेचकर कुछ पैसे कमा लेना।”

निराशा से अर्जुन का सीना भर आया। पगार नहीं, ये बेकार मोती? मां की दवा कैसे आएगी? उसने हताशा में मोतियों को जेब में डाल लिया और घर की ओर भागा।

झोंपड़ी के पास पहुंचते ही उसने देखा – पड़ोस की चाची जल्दी-जल्दी बाहर आईं, उनकी आंखें लाल थीं। “अर्जुन… बेटा… तेरी मां…” वाक्य पूरा नहीं हुआ। अर्जुन ने सारी दुनिया भूलकर अंदर कूदना चाहा। मां की चारपाई के पास खड़े डॉक्टर साहब ने उसे रोक लिया। “बेटा, बहुत देर हो चुकी है। हार्ट फेल… दर्द… बहुत दर्द सहा उन्होंने।”

अर्जुन जमीन पर गिर पड़ा। उसकी आंखों से आंसुओं की झड़ी लग गई। वह मां के पास जाकर उसका ठंडा हाथ थामे रोता रहा। वह सारी लाचारी, सारी कड़वाहट, सारा दर्द उसके आंसुओं में बह निकला। उसने मां के हाथ को चूमा, उसका माथा सहलाया। तभी उसकी नजर मां की खुली हथेली पर पड़ी। वहां, उसके गिरे हुए आंसू जमा हो गए थे, छोटे-छोटे गोलाकार बूंदों की तरह।

और फिर उसे याद आया – जेब में पड़े वे दो बेकार मोती। एक विचित्र प्रेरणा से उसने उन्हें निकाला। उसकी आंखों से गिरे आंसू अभी भी नम थे। उसने हिचकियों के बीच, कांपते हाथों से, मां की हथेली पर गिरे अपने आंसुओं को उन दो मोतियों के साथ जोड़ने की कोशिश की।

कुछ देर बाद, जब उसने देखा, तो वह स्तब्ध रह गया। उसके गिरे आंसू सूखकर, उन दो मोतियों के चारों ओर एक अद्भुत, सुंदर, मोम की परत-सी चढ़ा गए थे, जैसे उन्हें नया जीवन मिल गया हो। वे दोनों टुकड़े अब एक अनोखे, नाजुक, अश्रुओं से जड़े हार के दो मनकों जैसे लग रहे थे।

डॉक्टर साहब ने देखा। उनकी आंखें भी भीग गईं। उन्होंने अर्जुन के कंधे पर हाथ रखा, आवाज भर्राई हुई, “बेटा… तेरी मां सही कहती थी। तेरे आंसू ही असली मोती हैं। इनमें जो दर्द है, जो प्यार है, जो बलिदान है… यही तो असली मूल्य है। ये मोती… ये तेरी मां के लिए तेरा पहला और आखिरी हार है। इन्हें संभालकर रखना।”

अर्जुन उन मोतियों को अपनी मुट्ठी में भींचे रोता रहा। बाजार में चमकने वाले मोती तो केवल पत्थर थे। असली मोती तो वे थे जो उसकी आंखों से टपके थे – मां के प्रति अथाह प्रेम, अकथनीय वेदना और जीवन की उस क्रूरतम सच्चाई से बने हुए, जो कहती है कि कभी-कभी प्रेम की सबसे गहरी अभिव्यक्ति और सबसे कीमती उपहार भी दुख के सागर में ही जन्म लेते हैं।

उसके आंसू सचमुच मोती बन गए थे – चमकदार नहीं, पर जिनकी चमक उसकी आत्मा में हमेशा के लिए समा गई थी। वह कड़वा सत्य, उस नन्हे से मोती में सिमटकर, उसके जीवन का सबसे मूल्यवान सबक बन गया।

डॉ० मनीषा भारद्वाज

ब्याड़ा (पालमपुर )

हिमाचल प्रदेश

Leave a Comment

error: Content is protected !!