आज मीरा के कदम जमी पर नहीं पढ़ रहे थे ! वह तो बस आरोही को निहारे जा रही थी, और उसको देख देख कर ईश्वर का भी बार-बार धन्यवाद करती जा रही थी ! आज खुशी में भी उसकी मां मीरा की आंखें बार-बार भीग रही थी !
आरोही ने जब देखा तो अपनी मां से प्यार से बोल पड़ी ! मां यह तो खुशी का दिन है! आज पिताजी की इच्छा और आपकी हिम्मत और हौसले से ही मैं इस मुकाम तक पहुंच पाई हूं फिर अपने तो वादा किया था कि आप अपनी आंखों को भीगना तो दूर नम भी होने नहीं देंगी फिर आपकी आंखे क्यों इस तरह बार बार भीग रही है ?
देखिए मां अब आपकी बेटी आपके आंसुओं का हिसाब रखने फिर आ गई है । हां यह बात अलग है कि कुछ दिन के लिए हमें और अलग रहना होगा ।
उसके बाद मां हम जीवन भर साथ साथ रहेंगे। जहां मैं वहां मेरी मां। आरोही की बात सुनकर मीरा मुस्कुरा कर कहने लगी। मुझे मेरी बिटिया का घर भी तो बसाना है ।
वह सब छोड़िए मां। हां मां ये बिल्कुल सच है ! आपकी बेटी अब आपका ख्याल रख पायेगी ! मुझसे दूर रहकर जितने आंसू बहाने थे । आपने बहा चुकी, जितनी मेहनत आपने करनी थी । आप कर चुकी,अब मेरी बारी कहते हुए आरोही अपनी मां के गले लग पड़ी !
मीरा को समझ नहीं आ रहा था ! वो आरोही को किस तरह आशीर्वाद दें ! इधर उसके ट्रेनिंग सेंटर में जाने की भी तैयारी करनी थी !
बरसों पहले आरोही के पिता हरीश जी ने एक सपना देखा था ! उनकी बेटी आरोही पायलट बने ! आसमान में उड़े,मगर अपनी बीमारी की वजह से बिटिया के सपने को पूरा करने के पहले ही वो इस दुनियां को छोड़ कर चले गए !
अचानक मीरा पर मानों गमों का पहाड़ टूट पड़ा था ! वो चारों ओर से हताश हो उठी थी, मगर फिर भी उसने हार नही मानी !
वो खुद ही अपनी पीठ पर हिम्मत की गठरी उठाकर चलने की तैयारी करने लगी !
उसने अपनी आंखों से बहते पानी को साफ किया, और आरोही को भी संभाला ! मीरा ने ठान लिया था ! अपने पति की इच्छा को वो जरूर पूरा करेगी! वो दिन रात लगन से अपनी मेहनत से आरोही को शिक्षा दिलवाने में लग गई !
उसके साथ जहां जाना पड़ता, वह जाती ! हां मुश्किलें तो बहुत आई मगर, उसने कभी भी हालातों से समझौता नहीं किया और अपने पति की इच्छा को पूरी करने में जुटी रही !
आरोही को भी उसके पिताजी हमेशा आसमान में उड़ता हुआ एरोप्लेन दिखा कर कहा करते थे ! देख बिटिया एक दिन तुझे भी इसी तरह आसमान में उड़ना है ! अपने पिता का नाम रोशन करना है !
आरोही बचपन से पिता की जुबान से यही सब सुनते सुनते कब ये उसका खुद का सपना बन गया ! उसे पता ही नहीं चला ! अचानक इस तरह पिता के जाने के बाद वह भी मां पर सारी जिम्मेदारियों का बोझ डालकर कैसे जी पाती, इसीलिए आगे की पढ़ाई छोड़ कर उसने साधारण नौकरी करने की ठान ली,क्योंकि पिता के सपने को पूरा करने के लिए उसे मां से दूर दूसरे शहर जाना पड़ता ।
जो उसे मंजूर नहीं था, क्योंकि पिताजी जाने के बाद आरोही अपनी मां को अकेले में अक्सर आंसू बहाते देखा करती थी। आरोही सोचने लगती, अगर मैं दूसरे शहर चली जाऊंगी, तो मेरी मां के आंसुओं का हिसाब कौन रखेगा, क्यों कि उसे तो कोई भी रोकने और संभालने वाला नहीं होगा।
यही सोच कर आज आरोही अपनी मां के गले में बाहें डालते हुए बोल उठी। मां मैं आपको छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी। मैंने अक्सर आपको अकेले में रोते हुए देखा है।
अब आप ही बताओ। जब मैं चली जाऊंगी,तो आपके आंसुओं का हिसाब कौन रखेगा मां। कौन आपको गले लगा कर बोलेगा। मां मत रो मैं हूं ना आपके साथ। बोलो मां कहते कहते आरोही की आंखों से भी आंसू निकल पड़े।
मीरा अपनी बेटी आरोही के आंसू पुछते हुए बोल उठी ।मुझे समझाने वाली बेटी खुद आंसू बहाने में लगी हुई है । अच्छा अब मेरी बात ध्यान से सुन।
आज के बाद मेरी आंखें नम नहीं होगी । यह मैं तुझे वादा करती हूं और देख बिटिया ये तेरे पिता का सपना है ! जिसे तुझे और मुझे दोनों को मिलकर पूरा करना है ! देख आरोही तू दिखला दे, इस पूरे शहर और समाज को की एक बेटी क्या नहीं कर सकती है ।
पता है बिटिया जब तू छोटी थी, तो मुझ से लोग अक्सर कहते थे। अरे मीरा तुम्हारे तो एक बेटी ही है। कल को जब इसे ब्याह दोगी, तो फिर तुम और हरीश तो जीवन भर अकेले रह जाओगे। कौन पूछेगा तुम्हें??
मैं उन सब की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा करती थी । जीवन देने वाला और संभालने वाला ईश्वर है । उसने कुछ सोच कर ही मुझे बेटी दी होगी । मैं और मेरे पति हरीश बहुत खुश है। कृपया आप सब हमारी चिंता ना करें।
मुझे ईश्वर और अपनी बेटी पर भरोसा है । आरोही इसीलिए तुझे पंख मैं दूंगी मगर उड़ना तो तुम्हें ही होगा ! मदद मैं करूंगी मगर पायलट तो तुम्हें ही बनना होगा !
आरोही अपनी मां की बात सुनकर जोश से भर उठी और खुश होकर बोल उठी ! हां मां मैं पिताजी का सपना जरूर पूरा करूंगी। ईश्वर और आपकी नजरों में भी पूरी खरी उतरने की कोशिश करूंगी और फिर देखते ही देखते इतना समय गुजर गया ।आज उसी का परिणाम आया था!
जिसमें आरोही का भी चयन हो गया था ! एक मां के हौसले के पंख लेकर अपनी मेहनत और लगन से आज एक बेटी आसमान में उड़ने और अपनी मां के आंसुओं का हिसाब रखने में सफल हो गई थी।
स्वरचित
सीमा सिंघी गोलाघाट असम
#मां के आंसुओं का हिसाब