नवीन अब नौ साल का हो गया । कुछ कुछ समझने भी लगा कि क्यों मां हर समय दुखी रहती है । क्यों मेरे पापा मेरे और मां के साथ नहीं रहते । लेकिन अभी वह इतना बड़ा भी नहीं कि कुछ मां को समझा पाये । कभी कुछ कहने की कोशिश भी की तो मां ने उसे चुप करा दिया कि तुम छोटे हो अपनी पढ़ाई में ध्यान लगाओ ।
उसे कुछ कुछ याद है कि जब वह चार या पांच साल का होगा तो पापा साथ ही रहते थे । बात बात पर गुस्सा करना और मां के साथ मारपीट करना उसे कतई अच्छा नहीं लगता था ।और कुछ समय बाद वे घर से चले गये और किसी दूसरी औरत के साथ रहने लगे ।
अब वे कभी नहीं आते । मां भी चार पांच घर में बरतन करके घर का खर्च निकालती है और उसे सरकारी स्कूल में पढ़ने भेजती है । वह चाहती है कि नवीन पढ़ लिख कर कुछ बन जाये ।
उसका नवीन पढ़ने में होशियार है
। इस बार अपनी कक्षा 5 में अब्बल आया और उसके हैडमास्टर साहब ने उसे बहुत प्यार किया और उपहार में एक किताब दी और आगे की पढ़ाई में सहयोग करने का वचन भी ।
अब नवीन के दिन फिर गये । साल दर साल सफलता की सीढ़ियां चढ़ते उसने कक्षा 12 प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की । आज वह बहुत खुश है । मास्टर जी ने अपनी जान पहचान के एक कारखाने में उसकी नौकरी भी लगवा दी । आज नवीन के आंसू पीकर रह जाने के दिन लद गये और खुशियों ने उसके दरवाजे पर दस्तक दी है ।
Regards-
Poonam Agarwal
Meerut
#आंसू पी कर रह जाना