भारत माता की जय। आज मैंने अपनी मां के आंसुओं का हिसाब कर लिया है” आतंकवादियों के कई अड्डों को तबाह करने के बाद फौजी रमन खुशी से चिल्लाया। उसके हर्ष से ओतप्रोत स्वर को सुनकर सभी सैनिक साथियों की नज़र उसकी ओर उठ गई मगर सभी इतनी बुरी तरह से थके हुए थे कि किसी को रमन के उस वाक्य का अर्थ समझने की हिम्मत नहीं थी ।
सभी फौजी खुशी की लहरों पर सवार होकर अपने अपने खेमों में आ गए और जलपान आदि करके विश्राम करने लगे। लेकिन रमन का मन तो कर रहा था कि वह इसी पल अपनी मां के पास पहुंच जाए और मां की आंखों में दर्द के आंसुओं की जगह खुशी के छलकते आंसुओं को देखे।
टेलीविजन पर भारतीय सेना की वीरता और साहस के परचम लहराए जा रहे थे। न्यूज एंकर बार बार भारतीय सेनाओं को एक के बाद एक मिलने वाली सफलता का
बयान कर रहे थे पर रमन को तो जैसे अठारह साल पहले की घटना टेलीविजन पर दिख रही थी । वह खौफनाक मंजर,जिसने एक पल में उसकी दुनिया बदल दी थी।
तब रमन आठ साल का था। उनका तीन सदस्यों वाला हंसता खेलता परिवार था – वह और उसके माता पिता। वह लोग अमीर तो नहीं थे पर थोड़े में भी ज़िंदगी सुखमय थी। उसके पिता एक मंदिर के बाहर फल सब्जी का ठेला लगाते थे।
मंदिर में आने वाले लोग उनके नियमित ग्राहक बन गए थे क्योंकि एक तो रमन के पिता का व्यवहार अच्छा था, दूसरे उनके सामान की दरें वाजिब थी और तीसरे उनके फल सब्जी एकदम ताज़ा होते थे। रमन भी एक अच्छे स्कूल में पढ़ रहा था। उस परिवार में किसी तरह का अभाव नहीं था।
पर उस दिन….. विशेष पर्व के कारण मंदिर में बहुत से लोग थे। साथ ही रमन के पिता के ठेले पर भी अच्छी खासी भीड़ थी। कई बार ऐसी स्थिति होने पर रमन की मां ठेले पर अपने पति की मदद के लिए आ जाती थी पर आज उसकी बहन आई हुई थी इसीलिए आज रमन के पिता सबको डिनर के लिए बाहर लेकर जाने वाले थे। वह काम खत्म करके जल्दी से जल्दी घर पहुंचना चाहते थे। रमन भी तैयार होकर अपने पिता का इंतजार कर रहा था।
तभी वहां मंदिर के बाहर एक के बाद एक तीन धमाके हुए। चारों तरफ अफरातफरी मच गईं। कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। हर तरफ चीख पुकार, भयावह शोर होने लगा। सामान के साथ ही इंसानों के चिथड़े चिथड़े हो गए और रमन के पिता भी बम धमाकों के शिकार हो गए। रमन का हंसता खेलता परिवार पल भर में तबाह हो गया।
रमन और उसकी मां अकेले रह गए। मां की आंखें आंसुओं से भर गई। जब तब छलक जाया करती थी । रमन ने तभी संकल्प किया कि जिन आतंकियों के कारण उसकी मां ने निरन्तर आंसू बहाए हैं उन्हें वह मिटाने की भरपूर कोशिश करेगा। इसी इरादे को मन में बसाए उसने सेना में जाने की इच्छा जाहिर की। मां ने भी उसके मजबूत हौसले को देखते हुए सहर्ष स्वीकृति दे दी।
मां ने बेटे को आशीर्वाद के साथ विदा करते हुए कहा था, ” उस दिन के लिए मैं ही नहीं कई माताओं और बहनों के साथ भारत माता भी रोई होगी। इन सबके आंसुओं का हिसाब चुकाना है तुम्हें।”
और रमन ने आज अपना संकल्प पूरा कर लिया था।
समाप्त
सरोज माहेश्वरी
जयपुर।