सच का आईना – डॉ कंचन शुक्ला

“कहां मर गई कमबख्त कितनी देर से तुझे आवाज लगा रहीं हूं  तुम हो की कान में तेल डाले बैठी हो” सलमा बीबी ने अपनी बहू रजिया को गुस्से में चिल्लाते हुए आवाज लगाई। 

“आई अम्मी जी ” कहती हुई जल्दी से रजिया सलमा के पास पहुंची उसका हाथ आटे में सना हुआ था। 

“ये क्या भाभी आप अम्मी के सामने सिर खोलकर आ गई यही तमीज आपकी अम्मी ने आपको सीखाया है!!?” रजिया की ननद रूखसाना ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा। ननद की बात सुन रजिया जल्दी से सिर का दुपट्टा ठीक करने लगी उसके चेहरे पर घबराहट साफ़ दिखाई दे रही थी।

“अरे बिटिया ये तो है ही बेशर्म ऊपर से काम चोर इसका वश चले तो ये बिस्तर से नीचे न उतरे ये तो मैं हूं जो इसकी लगाम खींचें रहतीं हूं। मैं जानती हूं , ये अपनी खूबसूरती से मेरे बेटे को वश में करने की कोशिश में लगी हुई है पर मेरा बेटा इसकी बातों में नहीं आता नहीं तो ये कब का मुझे घर से निकाल चुकीं होती” सलमा ने नफ़रत से मुंह बनाते हुए कहा। 

” अम्मी आप मुझ पर झूठा इल्जाम क्यों लगा रहीं हैं मैं तो आपसे ऊंची आवाज़ में बात भी नहीं करती मैं आपको घर से क्यों निकालूंगी ये घर आपके बेटे का है आप मेरे शौहर की मां हैं  मैं भी आपको अपनी अम्मी ही समझती हूं फ़िर भी आपको मुझसे शिकायत रहती है” रजिया ने धीरे से कहा। 

“वह तो दिखाई दे रहा है ,तुम अम्मी की कितनी इज्ज़त  करती हो उनके सामने तड़ातड़ जुब़ान चला रही हो फिर कहती हो , मैं इज्ज़त करतीं हूं” रूखसाना ने हाथ नचाते हुए कहा। 

रजिया ने कोई जवाब नहीं दिया वो जानती थी इन दोनों के सामने कुछ भी कहना बेकार वह दोनों उसे ही दोषी ठहरा देगी। 

“अम्मी आपने क्यों बुलाया था?” रजिया ने बात को बदलते हुए पूछा।

” हां याद आया एक लोगों का खाना और बनेगा मेरी बड़ी बेटी फरजाना भी आ रही है उसकी पसंद की सब्जियां बना लो फिर ये नहीं कहना कि मैंने बताया नहीं था” सलमा ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा। 

तभी रजिया का एक साल का बेटा रेहान उठ गया जो अपनी दादी सलमा के बिस्तर पर सोया था रजिया ने उसे गोद में उठाने के लिए हाथ बढ़ाया तो सलमा ने झिड़कते हुए कहा “अरे इस समय बेटे को लेकर बैठोगी तो काम कौन करेगा !!?,तेरी मां बहन काम करने आएंगी तुम रसोई में जाओ मैं इसे सुला दूंगी”

रेहान अपनी मां को देखकर रोने लगा उसे रोता देखकर सलमा ने उसे भी डांट दिया रेहान डांट खाकर जोर-जोर से रोने लगा तब सलमा ने चिल्लाकर कहा  “रेहान के सामने से हट जा ये तुम्हें देखेगा तो और चिल्लाएगा तुम तो यही चाहती हो की तुम बेटे को लेकर बैठो और हम मां बेटी काम करें” रजिया अपना दिल कड़ा कर रसोई में चली गई

अपनी सास ननद की बात सुनकर रजिया की आंखों में आसूं आ गए उसके बेटे के रोने की आवाज़ उसे और दुखी कर रही थी पर वो कुछ कहती या जबरदस्ती अपने बेटे को गोद में लेने की कोशिश करती तो उसकी सास पूरा घर सिर पर उठा लेती फिर पूरा मोहल्ला घर की लड़ाई का मज़ा लेता इसलिए चुप रहने में ही भलाई थी। रजिया के रसोई में जाते ही रेहान चुप हो गया थोड़ी दे बाद ही रजिया की बड़ी ननद रूकैय्या भी आ गई फिर क्या था सास  ननदें बैठकर  प्रपंच करतीं रहीं ।

रजिया ने सबको खाना खिलाया, रसोई का काम ख़त्म करने के बाद रज़िया जब रेहान के पास गई तो वो अभी भी सो रहा था रजिया ने रेहान को गोद में उठाया तो  वो कुनमुनाया भी नहीं रजिया ने इस बात पर गौर किया वो रेहान को लेकर कमरे में चली गई।

रजिया निठाल होकर रेहान के बगल में बिस्तर पर लेट गई उसे बहुत थकान महसूस हो रही थी वह रेहान के सिर पर हाथ फेरते हुए उसे बहुत प्यार से निहार रही थी। अपने बेटे के चेहरे को देखते हुए रजिया सोचने लगी जब वह इस घर में शादी करके आई थी तब घर में काम करने के लिए सबीना खाला थीं पर रजिया के आते ही सास ने अपनी बेटियों के कहने पर सबीना को नौकरी से निकाल दिया अब घर का सारा काम रजिया को अकेले ही करना पड़ता कभी कभी उसका पति सलीम उसकी मदद करने की कोशिश करता तो सलमा पूरा घर सिर पर उठा लेती और चिल्लाते हुए कहती “मेरा बेटा जोरू का गुलाम हो गया है” इसलिए रजिया ने मनाकर दिया था कि, वो उसकी कोई भी मदद न करे। 

सलीम को रजिया की हालत देखकर दया आती पर वह चाहकर भी कुछ कर नहीं पाता रेहान के जन्म के बाद सलीम ने सबीना को नौकरी पर रख लिया था पर सलमा ने एक महीने बाद फिर सबीना को निकाल दिया उसने गुस्से में कहा ” “एक महीना बहुत आराम हो गया अब नौकरानी की जरूरत नहीं है घर में काम ही कितना है।

घर में कलह न हो इसलिए रजिया भी सब-कुछ सहन करती जा रही है लेकिन इधर रजिया ने महसूस किया कि,रेहान दिन भर होता रहता है जब रजिया उसको अपना दूध पिलाने के लिए जगाती तो भी वह पूरी तरह जागता नहीं था। रजिया ने इस विषय में अपनी सास और सलीम से बात भी की तो सास ने हाथ नचाते हुए कहा “अरे इस उम्र में बच्चे जितना सोएं उतनी उनकी सेहत अच्छी रहती है मैं अपने पोते की इतनी मालिश करतीं हूं कि,वह सो जाता है

तुम्हें काम न करना पड़े इसलिए तुम चाहती हो ,की रेहान सोएं ही नहीं दिन भर जागता रहे इसी बहाने तुम उसके साथ आराम करो” अपनी सास की बात सुनकर रजिया चुप हो जाती लेकिन इधर जबसे उसकी ननदें आई थीं तबसे रेहान कुछ ज्यादा ही सोता था।

आज भी जब रजिया अपनी सास के कमरे में गई तो वह अपनी बेटियों के साथ बातें कर रहीं थीं और रेहान सो रहा था। आज रेहान शाम तक सोता रहा वो उठा ही नहीं तब रजिया ने उसे उठाया पर वो उठा ही नहीं  रजिया को  कुछ अजीब लगा उसका मन घबराने लगा शाम को जब सलीम घर आया तो रजिया ने रेहान के बारे में बताया सलीम ने भी देखा की रेहान की आंखों में नींद भरी हुई है

वो उठाने पर भी चैतन्य नहीं हो पाया था। तब रजिया ने सलीम से कहा “हमें रेहान को किसी डाक्टर को दिखाना चाहिए  अगर अम्मी को पता चला कि, मैं आपके साथ डाक्टर के पास जा रहीं हूं तो वह फिर यही समझेंगी मुझे काम न करना पड़े इसलिए रेहान के बहाने मैं डाक्टर के पास जा रहीं हूं आप ऐसा कीजिए  आप ही रेहान को बाहर घुमाने के बहाने डाक्टर को दिखा दीजिए” सलीम को रजिया की बात ठीक लगी वो रेहान को लेकर बाहर चला गया सलीम के बाहर जाने के बाद सास ने पूछा ” सलीम रेहान को लेकर कहां गया है?” 

“अम्मी सलीम रेहान को लेकर बाहर पार्क में गए हैं” रजिया ने धीरे से कहा। 

दो घंटे बाद सलीम वापस आए उनके चेहरे पर चिंता और आक्रोश देखकर रजिया परेशान हो गई उसका मन घबरा रहा था। सलीम आज अपनी अम्मी और बहन के पास भी नहीं गया जब मां ने पूछा “क्या बात है बेटा आज कुछ परेशान लग रहे हो?” 

“कुछ नहीं अम्मी सिर में दर्द हो रहा है” सलीम ने गम्भीर लहज़े में जबाव दिया

” अगर सर दर्द हो रहा है तो सर दर्द की दवा ले लो” सलीम की बहन ने कहा 

“मुझे दवा की जरूरत नहीं है मैं थोड़ी देर आराम करूंगा तो  सिर दर्द ठीक हो जाएगा ” सलीम ने कहा फिर अपने कमरे में चला गया। 

रात को रसोई का काम खत्म करके जब रजिया कमरे में गई तो उसने पूछा “क्या बात है सलीम तुम इतने परेशान क्यों हो डाक्टर ने क्या बताया रेहान इतना सोता क्यों है!?” 

“रजिया डाक्टर ने बताया  रेहान को अफीम खिलाई जाती है इसलिए वह दिन भर सोता रहता है” सलीम ने दुखी होकर कहा।  

“सलीम अम्मी रेहान को अफीम देती हैं जिससे वह सोता रहे और रोएं नहीं अगर वह रोएगा तो  बिना मेरे पास आए वो चुप नहीं होगा तो थोड़ा बहुत काम अम्मी या आपा को करना पड़ेगा इसलिए अम्मी मेरे बच्चे को अफ़ीम देकर सुला देती हैं जिससे वो दिन भर सोता रहे रोए नहीं, और मैं निश्चित होकर  काम करती रहती हूं , उन लोगों को काम ना करना पड़े कोई औरत इतनी पत्थर दिल कैसे हो सकती है अम्मी रेहान की दादी हैं दादी तो अपने पोते पर जान न्यौछावर करतीं हैं

एक आप की अम्मी हैं जो अपने ही पोते की जान की दुश्मन बन गई हैं। सलीम मैंने आज तक बहुत बर्दाश्त किया आपकी अम्मी मेरे ऊपर अत्याचार करतीं रहीं मैंने सब बर्दाश्त किया लेकिन अब वो मेरे बच्चे की जिंदगी बर्बाद करने लगी ये मैं बर्दाश्त नहीं कर सकती मैं अपने मायके जा रहीं हूं  मैं अब यहां नहीं रह सकती, मैं मां हूं अपनी आंखों के सामने अपने बच्चे को मौत के मुंह में जाते नहीं देख सकती आपकी मां पत्थर दिल हो गई हैं वो इंसान नहीं हैवान हैं” रजिया ने नफ़रत से कहा।

“ठीक है तुम कल सुबह अपने  मायके चली जाओ  जब-तक मैं न कहूं यहां आना नहीं अब मुझे मां की आंखों पर से स्वार्थ की पट्टी उतारनी ही पड़ेगी” सलीम ने भी गम्भीर लहज़े में कहा 

सुबह जब सलमा को पता चला कि, रजिया मायके जा रही है तो घर सिर पर उठा लिया पर आज सलीम ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया। रजिया के जाने के बाद सलमा ने सबीना को बुलाना चाहा पर सलीम ने उन्हें मना कर दिया था इसलिए सबीना नहीं आई अब घर का काम सलीम की बहनों को करना पड़ रहा था

उन्होंनेे अपने भाई से कहा ” वह अब रजिया को बुला लें” तब सलीम ने कहा “आपा रजिया दो महीने बाद आएगी उसका मन भी मायके जाने का करता था तो मैंने कहा जाओ कुछ दिन वहां रह लो मेरी आपा लोग भी तो दो तीन महीनों के लिए आतीं हैं मैंने ठीक कहा न आपा बेटियां तो बेटियां होती हैं चाहे अपनी हों या पराई” अपने भाई की बात सुनकर दोनों समझ गई कि,अब उन्हें यहां काम करना पड़ेगा इसलिए वह दोनों दूसरे दिन ही अपनी ससुराल चली गई।अपनी बेटियों के जाने के बाद सलमा ने कहा “बेटा अब बहू को ले आओ मुझसे घर का काम नहीं होता “

” मां घर में काम ही कितना है रजिया दिन भर आराम करती थी यही तो आप कहती थीं तो अब रजिया की क्या जरूरत है आप और हम मिलकर काम कर लेंगे उसे मायके में कुछ दिन रहने दो गरीब घर की है जब वहां काम करना पड़ेगा तो वह परेशान होकर खुद ही आ जाएगी” सलीम ने लापरवाही से जबाव दिया। तब सलमा ने दूसरा दांव फेंका ” बेटा मुझे रेहान की बहुत याद आती है उसके बिना घर सुना हो गया है उसके रहने से घर में रौनक रहती है” “मां वह तो दिन भर सोता रहता है रजिया तो यही कहती थी तो रौनक कैसे रहेंगी” सलीम ने गहरी नज़रों से अपनी मां को देखते हुए कहा। सलीम की बात सुनकर सलमा घबरा गई उसके मन में शंका घर करने लगी कहीं उसके बेटे को पता तो नहीं चल गया कि, मैं रेहान को अफ़ीम देती थी पड़ोस वाली खाला कह भी रहीं थीं , उन्होंने सलीम को डाक्टर के क्लीनिक से निकलते देखा था अगर ऐसा हुआ तो मेरा बेटा मुझसे नफ़रत करने लगेगा अभी ज्यादा देर नहीं हुई है मुझे अपने व्यवहार को बदलना होगा बहू और पोते के साथ अच्छा व्यवहार करना होगा तभी मेरा बेटा मेरी इज्जत करेगा कुछ सोचकर सलमा ने अपने बेटे से कहा। ” सलीम तुम उस दिन ठीक कह रहे थे कि, बेटियां सबकी एक जैसी होती हैं मैंने रजिया के साथ कुछ ज्यादा ही कड़ाई की थी मैं सिर्फ़ अपने और अपनी बेटियों के विषय में सोचती थी पर अब मैं रजिया को भी अपनी बेटी की तरह प्यार करूंगी तुम उन दोनों को लेकर आओ और हां सबीना को भी बुला लो जिससे घर का पूरा काम रजिया को न करना पड़े वह अपना खाली समय रेहान के साथ बिताए छोटा बच्चा अपनी मां के पास रहना ज्यादा पसंद करता है , बेटा अब मेरी उम्र हो गई है  मुझसे बच्चा संभलता भी नहीं ” अपनी मां की बात सुनकर सलीम के चेहरे पर जीत की मुस्कुराहट फ़ैल गई  उसकी मां को अपनी गलती का अहसास हो गया था। सलीम को अपनी मां से कुछ कहना भी नहीं पड़ा , वह खुद ही समझ गई 

सलीम भी तो यही चाहता था , उसे अपनी ज़ुबान से कुछ न कहना पड़े, सलीम  चाहता था उसके इस नाटक से ऐसी स्थिति पैदा हो जाए जिसके कारण उसकी मां को खुद ही अपनी ग़लती का अहसास हो जाए जिससे एक मां को अपने बेटे के आगे शर्मिन्दा न होना पड़े , मां अपने बेटे के आगे शर्मिन्दा हो ये भी तो ठीक नहीं था आज एक बेटे ने अपनी सुझबूझ से मां को शर्मिन्दा होने से बचा लिया उसके साथ ही साथ अपना वैवाहिक जीवन भी। 

अपनी मां की बात सुन सलीम ने रजिया को फ़ोन कर उसे सब बता दिया उसने रजिया से कहा वो कल ही अपने घर वापस आ जाए अब उसे यहां पत्थर दिल सास नहीं एक ममतामई मां मिलेगी।

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश

9/6/2025

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