मत भूलो कि ये भी मेरा परिवार है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

अरे मधु तुम तो आज आने वाली थी अभी तक  नहीं आई ट्रेन का समय तो निकल गया। मधु की सास     निर्मला देवी ने मधु को फोन किया।। हां मम्मी हां मम्मी अभी भैया भाभी के यहां दो दिन और रुकना है क्यों ,

भाभी की तबीयत खराब हो गई है उनके यहां उनके पास कोई नहीं है इसलिए रुक गए। और  उसका क्या होगा जो आने का टिकट  करवा कर गई थी कितनी मुश्किल से मिला था अब कैसे मिलेगा। वह मम्मी जी भैया करवा देंगे टिकट परेशान ना हो आप अरे 2 दिन  को भेजा था और 4 दिन लगाकर आ रही हो परिवार की कोई जिम्मेदारी है

कि नहीं परिवार की जिम्मेदारी है मम्मी जब से शादी हुई है परिवार की जिम्मेदारी ही तो निभा रही हूं,   इस परिवार के साथ भी मेरी कोई जिम्मेदारी है, मधु बोली एक लड़की को शादी के बाद ससुराल को तो अपना परिवार  समझो यह बात तो सिखाई जाती है

लेकिन एक बेटी के ससुराल वाले यह नहीं समझते की बेटी के लिए मायका भी एक परिवार होता है जो उसका अपना होता है जिससे सुख दुख परेशानी उसे घर में पैदा हुई एक बेटी का होता है।

              मधु की शादी को पच्चीस साल हो गए थे ।उसके परिवार में सास ससुर दो देवर और मधु के पति नीरज है ।

जबसे मधु की शादी हुई है उसे मायके जाने से रोका जाता रहा है ।बस यही दलीलें देकर कि मायके जाना कम करो और ससुराल को ही अपना परिवार समझो। मधु धीरे धीरे ससुराल में रच गई दो बच्चे हैं गए लेकिन मायके में कभी मन से रह न पाने के कारण मन के किसी कोने में उसकी कसक तो बनी रहती थी। दोनों देवरों की भी शादी हो गई थी।

और दोनों देवर देवरानी मां बाप के या सास ससुर की जिम्मेदारी से पल्ला झाड़कर शहर से दूर चले गए । हां उनकी बाहर नौकरी थी तो चले गए ।अब घर की और सास ससुर की सारी जिम्मेदारी मधु पर ही थी । धीरे धीरे देवरों का घर आना कम होता गया क्योंकि देवरानी नहीं चाहती थी आना। कभी कभी बेटे तो आ जाते लेकिन बहुएं नहीं आती।

               आज ससुर अस्पताल में भर्ती थे उनको कुछ दिनों से लीवर की प्राब्लम चल रही थी आज ज्यादा परेशानी आ गई तो भर्ती कराया गया।घर अस्पताल सबकुछ मधु और पति नीरज ही संभाल रहे थे। बड़ा देवर तो आया नहीं उसको छुट्टी नहीं मिली पैसे भेज दिए कुछ और छोटा देवर एक दिन को आया वो भी अकेला और दूसरे दिन चला गया कि

आफिस से छुट्टी नहीं मिल रही है। शुरू शुरू में तो मधु सबकुछ जिम्मेदारी से करती रही लेकिन फिर उसको भी ख़ीज आने लगी कि सारी जिम्मेदारी मुझपर ही क्यों डाल दी गई है आखिर दोनों देवर देवरानी की भी तो कोई जिम्मेदारी है ।तुम बड़ी हो ,घर तुम्हारा है ,

तुम्हारी जिम्मेदारी है यही दिनभर मधु की सास निर्मला जी मधु को बताती रहती थी।और दोनों बहुएं आजादी से रहती घूमती फिरती लेकिन मधु कहीं नहीं जा पाती क्योंकि घर परिवार की साईं जिम्मेदारी मधु के ऊपर थी ।

                मधु का बहुत मन करता है कुछ दिन अपनी मां के पास जाकर रहे। वह जब भी मायके जाने की बात करती उसे मना कर दिया जाता अरे यहां कौन करेगा ।तो इधर कुछ दिनों से  उनकी मां बीमार चल रही थी और मधु कई बार कह चुकी थी मुझे कुछ दिन के लिए मां के पास जाना है

लेकिन नीरज और सास उसे जाने नहीं दे रहे थे ।कुछ दिन बाद उसे दिन बाद उसकी  मम्मी का देहांत हो गया।

और बस एक दिन के लिए मधु को लेकर नीरज गया।मधु की  और बहने भी आई हुई थी और काफी समय बाद मधु वहां गई थी तो सबके साथ उसका रहने का मन कर रहा था ।लेकिन वापस लाया गया कि नीरज की मम्मी पापा को परेशानी होगी  कि उन्हें कौन देखेगा।

            बस इसी तरह समय चला रहा मधु घर की जिम्मेदारों में उलझी रही उसको लगता दो देवर देवरानी और भी तो है लोग देखें और सास ससुर को मैं ही क्यों हर समय देखती रहूं लेकिन नीरज और सास-हर समय मधु को ही दबाते रहते थे

अब मधु के बच्चे बड़े हो गए थे बेटा दिल्ली में था और बेटी ग्वालियर में पढ़ा रही थी अब तो अकेली थी वह उसका भी मन करता भाई भाभी के पास जाकर रहें लेकिन कोई जाने नहीं देता।

             आज सुबह खबर लगी कि मधु के बड़े भाई का बेटा का देहांत हो गया है वह कैंसर से पीड़ित था। उम्र करीब 55 साल रही होगी अब मधु बेचैन हो गई जाने के लिए कितना बड़ा दुख पहुंचा है भैया भाभी को कैसे संभाल रही होगी भाभी अपने आप को ऐसे समय में भी मैं उनके पास ना रहूं तो क्या जिंदगी है ।

मधु ने अपनी बहनों के साथ मिलकर जाने का प्रोग्राम बनाया और वह ट्रेन का टिकट कराके बहन के साथ पहुंच गई मौके पर, तो जाने को टिकट नहीं मिला लेकिन चार-पांच दिन बाद वह वहां गई ।इधर मधु की सास और पति कहने लगे उस समय नहीं गई

तो फिर अब जाने का क्या फायदा जाने वाला तो चला गया है मधु को बहुत तेज गुस्सा आया वह आज फट पड़ी आप लोग तो चाहते हो कि मैं कहीं नहीं जाऊं बस घर में रहकर तुम लोगों की ही सेवा करती रहूं हां तो ठीक भी तो है नीरज बोला यह तुम्हारा परिवार है तो क्या मेरा वह परिवार नहीं है।

                  मधु ने घर में बिना पूछे ही बहन से टिकट करवा लिया था । तीन दिन रहना था दूर का मामला था।अब जब नीरज और निर्मला जी ने देखा कि मधु नहीं मानने वाली है तो फिर जाने दिया।और सोचा चलो तीन दिन को ही जा रही है।

लेकिन भाई भाभी के पास पहुंच कर मधु और उसकी बहन ने देखा कि बेटे की मृत्यु से भाई भाभी की हालत बहुत गंभीर हो रही थी। भाभी बार बार कह रही थी भगवान मुझे उठा लेता बेटे को क्यों बुला लिया अपने पास । भइया कह रहे थे कि जाने की उम्र तो मेरी थी और चला बेटा गया।

            आज शाम की ट्रेन से मधु को निकालना था लेकिन भाभी का बीपी लो हो गया और वह चक्कर खाकर गिर पड़ी ।फिर भैया ने कहने लगे मधु  तुम लोग दो-तीन दिन और रुक जाओ घर की हालत ठीक नहीं है भाभी की बहुत तबीयत खराब है यह सुनकर मधु  ने अपनी बड़ी बहन से बात की तो फिर वह लोग घर की हालत को देखते हुए तीन दिन और रुक गए ।

मधु ने नीरज को फोन करके बताया भी नहीं जब आने का समय निकल गया तो नीरज और उनकी सास फोन करके चिल्लाने लगे कि तुम अभी तक आई क्यों नहीं। तुम्हारे ना रहने से यहां पर सब कुछ संभालना मुश्किल हो रहा है।कितनी परेशानी हो रही है  मधु ने कहा यहां भाभी की हालत बहुत खराब है इसलिए नहीं आई तो क्या तुम्हारे रहने से वहां सब कुछ ठीक हो जाएगा

अपने घर की जिम्मेदारी नहीं समझती वहां बैठी हो ।अब ये भी परिवार मेरा है मम्मी जी  मधु ने कहा। भले ही मेरे यहां दो दिन और रहने से कुछ बदल नहीं जाएगा लेकिन भाभी जी को थोड़ी तसल्ली हो जाएगी आप नौकरों से काम करवा ले और हर समय मुझे ही दबाया जाता है। मैं 3 दिन बाद ही आऊंगी ।निर्मला जी अपना सा मुंह लेकर रह गए ।और मधु  तो गई है जबरदस्ती से तो ला नहीं सकते

बाकी दोनों बहू पर तो जोर चलता नहीं है जो दबता है उसी को दबाया जाता है। इसलिए सास हो या बहू एक दूसरे की भावनाओं को समझे ऐसे  समय में तो जाना ही पड़ता है ।एक ही व्यक्ति पर पूरी जिम्मेदारी क्यों सौंप दी जाती है आखिर और भी तो दो बेटे हैं आपको ,उनसे क्यों नहीं कहा जाता है इस तरीके से अनर्गल बातों से रिश्तों में कड़वाहट आती है घर में रहने पर सास और बहू और पति को भी

दैनिक सब कुछ समझना चाहिए सब की भावनाओं की कदर करनी चाहिए।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

7 जुलाई

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