अस्तित्व – अविनाश स आठल्ये : Moral Stories in Hindi

एंड्रयू जॉनसन एक बहुत बड़े बिजनेसमेन थे, उनके न्यूयॉर्क में ही कई डिपार्टमेंटल स्टोर्स थे, हज़ारों कर्मचारी उनके अधीनस्थ काम करते थे, सैकड़ों मिलने जुलने वाले लोग, फोन कॉल्स और मीटिंग्स में उन्हें 24 घण्टे भी कम पड़ते थे,  इस वजह से एंड्रयू जॉनसन को कभी खुद के और अपने परिवार के लिए वक़्त नहीं मिल पाता था। 

वहीं एंड्रयू जॉनसन बचपन के मित्र थे थॉमस विलियमसन, जिन्हें रचनाएं लिखने का बहुत शौक था।  वह एक छोटी मोटी नौकरी करके बचे हुये वक्त में कहानियां और कविताएं लिखा करते थे, मग़र उनकी माली हालत ऐसी थी कि उनके पास पुस्तक छपवाने के लिए भी पैसे नहीं रहते थे।

थॉमस विलियमसन के विभिन्न मित्र जो उनसे सोशल मीडिया अथवा अन्य व्यवसायिक कार्यों की वजह से परिचित थे, अक्सर ही उन्हें अपनी रचनाओं को पुस्तक के रूप में प्रकाशित करवाने की सलाह देते थे, अंततः थॉमस विलियमसन ने अपनी पत्नी की सलाह पर अपने मित्र एंड्र्यू जॉनसन से 500 डॉलर्स उधार लेकर, एक प्रसिद्ध पब्लिशर से अपनी पुस्तक का प्रकाशन करवा लिया।

                                 ★

थॉमस विलियमसन अपनी पहली पुस्तक को लेकर इतने उत्साहित थे कि मानो उन्हें उस पुस्तक पर बुकर अवार्ड ही मिल रहा हो, परंतु पुस्तक के प्रकाशन के पूर्व वह सभी मित्र जो थॉमस विलियमसन को उनकी पुस्तक के प्रकाशन के लिए प्रेरित कर रहे थे, उनकी पुस्तक के प्रकाशन के पश्चात न जानें कहां गायब हो गये थे, कोई भी मित्र थॉमस विलियमसन की पुस्तक को खरीदकर पढ़ने के लिए तैयार नहीं था।

थॉमस विलियमसन को आशा थी कि उसने अपने मित्र एंड्र्यू जॉनसन से जो  500 डॉलर से जो 100 पुस्तकें प्रकाशित की थी,  वह हाथोंहाथ बिक जाएंगी, जिससे उसे कम से कम 700 डॉलर्स का फ़ायदा हो जाने से अपने मित्र एंड्रयू जॉनसन का कर्ज़ उतार देगा, लेकिन यहां तो अब तक थॉमस विलियमसन की 10 पुस्तकें भी नहीं बिकी थी, कर्जा चुकाना तो दूर की बात थी।

                                  ★★

बहुत सोच समझकर थॉमस विलियमसन ने एक बार फ़िर से अपने मित्र एंड्र्यू जॉनसन की मदद लेने के लिए उसके पास गया, और इस बार उससे थॉमस विलियमसन ने अपनी पुस्तक की मार्केटिंग के लिए एंड्र्यू जॉनसन से कहा

कि यदि तुम मेरी पुस्तक को लेकर एक वीडियो बनाकर दे दो कि तुमने मेरी पुस्तक पढ़ी है, और वह पुस्तक तुम्हें बहुत अच्छी लगी तो मेरी सारी पुस्तकें हाथोंहाथ बिक जायेंगी, और मैं तुम्हारा क़र्ज़ चुकता कर सकूंगा।

थॉमस विलियमसन की बात सुनकर उसके मित्र एंड्र्यू जॉनसन ने कहा यदि तुम्हें मेरे दिये 500 डॉलर्स कम लगे हैं तो मैं तुम्हें 500 नहीं 5000 डॉलर्स का दान कर दूँगा पर बिना तुम्हारी पुस्तक को पढ़े, उसकी तारीफ़ करने का झूठा वीडियो बनाकर मैं नहीं दे सकता, इसके लिए मुझे माफ़ कर दे।

थॉमस विलियमसन ने अचंभित होते हुये कहा कमाल है, तुम मुझे 2 मिनटों का मेरी पुस्तक पकड़कर मार्केटिंग करने का वीडियो नहीं दे सकते, पर 5000 डॉलर्स तक फ्री में दान करने को तैयार हो ? ऐसा क्यों?

एंड्र्यू जॉनसन ने कहा, तुम मेरे अच्छे मित्र हो इसलिए मैं तुम से बात करने में अपना जो समय देता हूँ, उसका आंकलन नहीं करता, लेकिन “एंड्र्यू जॉनसन डिपार्टमेंटल स्टोर्स ” मेरी पिछले 15 वर्षों की मेहनत की बदौलत आज न्यूयॉर्क में करोड़ों डॉलर्स का ब्रॉन्ड बन पाया है, जिसके प्रत्येक प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता पर न्यूयॉर्क वासियों का 15 वर्षो का विश्वास बन चुका है।

तुम्हें अपनी महज 500 डॉलर्स की पुस्तक की मार्केटिंग के लिए करोड़ों डॉलर्स के एंड्र्यू जॉनसन डिपार्टमेंटल स्टोर्स का नाम देने से मेरे 15 वर्षों की मेहनत और ईमानदारी के दम पर बने इस “एंड्र्यू जॉनसन डिपार्टमेंटल स्टोर्स” के “अस्तित्व” पर ही प्रश्नचिह्न लग जाता।

जाहिर सी बात है कि तुम मेरे पास सिर्फ़ एक मित्र के तौर पर मदद मांगने आये होते तो तुम्हारे पास मेरी ही तरह कई मित्र थे जो न सिर्फ़ तुम्हारी पुस्तक की मुफ्त में मार्केटिंग कर देते बल्कि जैसा चाहे वैसा वीडियो भी बनाकर दे देते, पर तुम्हें उससे कोई फ़ायदा नहीं मिलता इसलिए “तुम मेरे नाम को नही, मेरे ब्रॉन्ड के नाम” पर अपनी प्रसिद्धि पाना चाहते हो,

परन्तु मैं तुम्हें आर्थिक मदद करके तुम्हारी पुस्तक की मार्केटिंग में मदद करना चाहता हूँ, ताकि लोग “तुम्हारे नाम से तुम्हारी पुस्तक” को पहचानने, न कि “डिपार्टमेंटल स्टोर्स के मालिक एंड्र्यू जॉनसन के मित्र” की पुस्तक के तौर पर पहचाने। 

सीख- अपना “अस्तित्व” बनाये रखने के लिए आसान रास्ता कभी मत चुनो, संघर्ष करके अपना मुकाम खुद हांसिल करोगे तो दुनिया तुम्हारे संघर्ष की कद्र करने लगेगी।

✍️अविनाश स आठल्ये

स्वलिखित, सर्वाधिकार सुरक्षित

Leave a Comment

error: Content is protected !!