मुँह मोड़ना – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

हीरा व्यापारी प्रताप नारायण पहली पत्नी के एक दस वर्षीय पुत्र राधे को छोड़ देहान्त के उपरांत, दूसरा विवाह कर लेते हैं।उनको दूसरी पत्नी से दो जुड़वां पुत्र होते हैं। धीरे धीरे उनकी संतानें बढ़ने लगती हैं । नई पत्नी प्रेमा अपने पुत्रों से तो खूब लाड़ प्यार व राधे से सारे घर बाहर के काम करवाती,

स्वभाव में नम्र राधे खुशी खुशी, सभी आज्ञा पालन करता। सोतेले भाई अधिक लाड़ प्यार से निकम्मे कामचोर रूपए पैसे उड़ाने वाले खर्चीले बन जाते हैं। प्रताप नारायण का स्वास्थ्य गिरने लगा उनको बहुत चिन्ता रहती उसके बाद उसके व्यापार का क्या होगा…?

निकम्मी, संतान तो सभी उड़ा देंगी उसका मेहनत से कमाया…वो पत्नी से कहता है राधे को दुकान के काम में लगा देता हूँ.. उससे मुझे भी थोड़ा आराम मिल जायेगा..

पहले तो पत्नी तैयार नहीं होती मगर सारा घर, सम्पत्ति उसके व उसके बच्चों के नाम करवा राधे को दुकान भेजने को मान जाती है। राधे कुशाग्र बुद्धि सारा व्यापार जल्दी ही सीख जाता है। पिता अपने सभी गुण उसको सीखा देते हैं एक सफल व्यापारी में उसकी गिनती होने लगती है।

लेकिन एक दिन किसी धोखे में फंस उसको बहुत घाटा हो जाता है जिसको चुकाने में वह कंगाल होकर रह जाता है। ऐसी परिस्थिति में व्यापारी की पत्नी सारा घर बार बेचकर दोनों को अकेला छोड़कर अपने बेटों के साथ चलती बनती है। पराये तो पराये होते,

अपनों का इस तरह “मुँह मोड़ना” राधे और प्रताप नारायण को तोड़ कर रख देता है। जब तक उनके पास पैसा उनका व्यवसाय चल रहा था सभी उनके साथ थे आज…आखिर गरीब व दरिद्र को कौन पूछता है ..? सभी उनको निकृष्ट समझने लगते है.. संसार में गरीबी बहुत बड़ा अभिशाप है

वो जानते, प्रताप नारायण बेटे को बुला कहते हैं बेटा हिम्मत मत खोना एक व्यापारी अपने इस दिन के लिए पहले ही तैयार रहता है..वो अपने वस्त्र में छिपा कुछ हीरे का सामान राधे को देकर बोलते ये लो बेटा इससे दुबारा व्यापार शुरू करो हाँ,ध्यान रहे दुनिया में बेइमानों की कमी नहीं है हरेक पर जल्दी से विश्वास कर दुबारा धोखा मत खाना।

     राधे मेहनती, सतर्क अति शीघ्र अपनी तीव्र बुद्धि से दुबारा व्यापार खड़ा करने में सफल हो जाता है। एक परिचित हीरा व्यापारी उससे प्रभावित अपनी सुशील सुन्दर कन्या की शादी भी उससे कर देता है राधे खुशी खुशी पिता, पत्नी के साथ ज़िन्दगी बसर करने लगता है। उधर सोतेली माँ और भाई सब लुटा कंगाल बन जाते हैं उनको प्रताप नारायण और राधे से “मुँह मोड़ना” भारी पड़ जाता है।

 लेखिका डॉ बीना कुण्डलिया 

   लघुकथा- मुँह मोड़ना।

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