“अम्मा ममतामयी तो हैं ना? उन्हें गुस्सा तो नहीं आता ?”
” तुम गलत सोच रही हो ,वह जितनी ममतामयी हैं, उतनी ही कड़क भी “।
छह साल की उम्र में ही माँ को खो चुकी शगुन की सारी आशाएं तुषार की अम्मा पर ही टिकी हैं।
मां की प्यारी सी तस्वीर तुषार ने डाइनिंग हॉल में लगा रखी है,
” बड़ी सी बिंदी, मांग भर कर सिंदूर, काले घने बाल , सीधे पल्लू की सारी ” देख कर प्रिया स्नेह और छटपटाहट से भर जाती है।
” मेरी वजह से ही तुम उनसे दूर हो गये ? ना मुझसे ब्याह करते ना अम्मा से दूर होते “
“क्या कह रही तुम? मेरी अम्मा ही अब तुम्हारी माँ हैं,
“मैं अपनी ममतामयी माँ को जानता हूँ , वो हमसे ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकती”।
दरअसल अम्मा शगुन और तुषार की शादी से नाराज थीं, इसलिए दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली है।
अम्मा तुषार को फोन करे या ना करे? तुषार नियम से फोन कर उनको मनाने की कोशिश करता रहता है।
शगुन के माँ बनने की खबर सुन बहुत खुश हुई अम्मा।
अगली फ्लाइट से ही उनके मुम्बई आने की सुन रोमांचित हुई शगुन ढ़ेर सारी आशंकाओ से भरी उत्साहित भी है।
घर के साज- संवार में व्यस्त शगुन टैक्सी की आवाज सुन झटपट आइने में अपने को देख संतुष्ट बाहर हो कर बाहर दौड़ गई।
जहाँ टैक्सी से निकल तुषार के हाथ थामें खड़ी ,
” व्बॉए कट कटे हल्के सफेदी लिए बाल , होठों पर बादामी लिपिस्टिक, एंड़ी वाली सैंडल और बगैर दुपट्टे के प्लाजो सूट में आधुनिक छवि वाली अम्माजी” को देख शगुन आगे बढ़ कर चरण-स्पर्श करना ही भूल गयी।
हाथ जोड़ ” नमस्ते” ही मुश्किल से कर पाई।
तभी खुद अम्मा आगे बढ़ कर जड़वत हुई शगुन के गाल थपथपा उसे आलिंगन में भर तुषार से अंग्रेजी में बोली,
” वा…ह तुम्हारी पसंद तो लाजवाब है… बेटे एक्सेलेंट ” कहती हुई मुस्कुरा उठी।
तुषार शर्मा गया।
माँ-बेटे के इस खुले व्यवहार और रूप देख शगुन ने भी अपने संकोच दरकिनार कर उन दोनों के बीच चल रहे जोर से प्रेमालाप में विघ्न डालते हुए,
“आप तो अम्मा नहीं, मौम हो सासुमौम” कहते हुए खिलखिला कर हंस दी।
” क्यों चकमा खा गई ना बिटिया रानी?
जब से योगाभ्यास करने लगी हूँ, अपने आप को स्वस्थ्य और चुस्त-दुरुस्त महसूस करने लगी हूँ”।
” मात्र किसी की वेषभूषा और परिधान से किसी को आंकना निहायत बेवकूफी है “
शगुन इस आधुनिक छवि वाली ममता की प्रतिमूर्ति में छिपी उनकी अंदरुनी खूबसूरती को देखती हुई श्रद्धानवत् है।
स्वरचित /सीमा वर्मा