स्वार्थी पड़ोसन – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

 दोस्तों आज मैं आपको एक बहुत ही मजेदार वाक्या सुनाने जा रही हूं। वैसे तो मैं उस समय बहुत परेशान हुई थी। पर अब सो कर बड़ा अजीब लगता है। तो हुआ यूं कि हमारे बिल्कुल सामने वाला घर बिल्कुल खाली पड़ा था। हमें लगता था कि वहां कोई रहने आ जाए तो रौनक हो जाएगी। 

 थोड़े दिनों बाद वह घर किसी ने खरीद लिया और एक साधारण सा सूट पहने और तेल लगाकर एक चोटी बनाने वाली महिला सोनिया वहां रहने के लिए आई। 

 आने से पहले उन्होंने घर को थोड़ा बनवाया और उसे दौरान उसने हमारे घर की घंटी बजाई और बोली की क्या मैं आपके यहां से एक फोन कर सकती हूं क्योंकि उसे समय मोबाइल का जमाना नहीं था। मैंने सोचा कल को यह पड़ोसन बन जाएगी,, तो पड़ोसियों के साथ तो मिलजुल कर रहना ही चाहिए। मैंने उसे बिठाया,फोन करने दिया पानी पिलाया फिर चाय बनाई। 

 इस तरह घर में क्या काम हो रहा है वह देखने के लिए रोज ही आती थी। कुछ समय बाद वह घर में सामान लेकर शिफ्ट हो गए। उसके दो छोटे बच्चे थे। बेटा बड़ा था और बेटी छोटी। उस समय मेरा बेटा भी उसकी बेटी के बराबर ही था। लगभग 5 -6 वर्ष के रहे होंगे। 

 जब वह रहने आई, तब मुझे उसके असली व्यवहार का पता लगा। इस घर में आते ही मानो उसके पर निकल आए हो। अपने बालों को शॉर्ट करवा लिया। आए दिन ब्यूटी पार्लर जाती रहती थी। ऐसे ही एक बार वह ब्यूटी पार्लर में बैठी थी तब उसने मुझे फोन करके कहा कि” भाभी, मुझे पार्लर में थोड़ा टाइम लग जाएगा, मेरे बच्चे स्कूल से आने वाले हैं आप उन्हें थोड़ी देर अपने पास बिठा लेना। ” 

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 2:30 बजे बच्चे आए और मेरे बेटे के साथ खेलने लगे फिर मैंने उनको गर्मी की वजह से शरबत बनाकर दिया और खाना खाने के लिए पूछा। बच्चों ने मना किया कि हमें अभी भूख नहीं है। 

 आधे घंटे बाद वह आई और बच्चों को बुला लिया। 

 अब वह अक्सर बच्चों के आने के टाइम पर घर से बाहर ही होती थी और मुझे फोन करके हमेशा कहती थी कि बच्चों को बिठा लेना। एक बार तो उसने इतना लेट कर दिया कि दोपहर में मेरे बेटे का और मेरा लेटने का टाइम ही निकल गया। 

 फिर आकर उल्टे सीधे बहाने बनाने लगी। एक बार शाम के समय फोन करके कहने लगी प्रेस वाला कपड़े लेकर आएगा तो ले लेना,अपने पास रख लेना, मुझे आने में देर हो जाएगी। 

 एक बार सुबह-सुबह मेरे दरवाजे पर आकर बेल बजा कर कहने लगी ” भाभी जी, आपके फ्रिज में अंडे रखे हैं तो दे दीजिए मेरे ससुर जी ने कल कहा था कि मैं नाश्ता तुम्हारे घर करूंगा मैं तो अंडे लाना ही भूल गई।”  

 मैंने कहा-” हम तो अंडे खाते ही नहीं है कहां से दूं आपको”  

 एक बार मैं सब्जी लेने सोम बाजार सब्जी लेने जा रही थी तो मुझे कहती है कि मेरा हरी चटनी का सामान लेते आना। तब भी मैंने सोचा कि कोई बात नहीं और सामान लाकर दे दिया। 

 एक बार कहीं से घूम कर आई और नीचे रिक्शा से उतरकर मुझे आवाज लगने लगी और कहने लगी की भाभी जी मेरे पास ₹10 खुला नहीं है जरा दे दीजिए रिक्शा वाले को देने हैं। 

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 तब भी मैंने इसे खुले पैसे दे दिए। और उसकी यह आदत थी कि जब भी कोई चीज जैसे कि टमाटर या प्याज महंगे होते थे वह मेरे दरवाजे पर जाकर बिल बजाकर वही चीज मांगने लगती थी और मेरी यह आदत थी कि मुझे ना कहना नहीं होता था और मैं उसे वह चीज उठा कर दे देती थी। 

 एक बार उसने मुझे बेसन मांगा। कहने लगी मेरे पति को प्याज के पकोड़े खाने हैं। मैंने एक कटोरी बेसन दे दिया और मेरे ध्यान से यह निकल गया कि हमारे घर में भी बेसन खत्म हो रहा है। वैसे मैं हमेशा एक पैकेट एक्स्ट्रा रखती थी लेकिन उस बार न जाने कैसे भूल हो गई । हमारी दुकान पर टिफिन भेजने का समय हो रहा था तो मैं कोफ्ते बनाने के लिए जैसे ही बेसन निकाला तो बेसन बहुत ही कम था। 

 तब मैंने सोचा कि सामने वाली सोनिया आए दिन कुछ ना कुछ मांगती रहती है कभी अंडे, कभी चाय पत्ती,कभी चीनी, तो मैं इससे थोड़ा सा बेसन ले लेती हूं और फिर वापस कर दूंगी जबकि वह खुद कभी भी कोई चीज वापस नहीं करती थी। 

 मैंने बेल बजाकर उससे कहा “सोनिया थोड़ा सा बेसन दे दो, मैं अभी थोड़ी देर में जब बेसन मंगाऊंगी तो आपको वापस कर दूंगी।” 

 सोनिया-” मेरे से आधा कटोरी बेसन लेकर आपका पूरा महीना तो निकलेगा नहीं, इससे अच्छा आप मुझे पैसे दे दो मैं बाजार से आधा किलो लाकर देती हूं मुझे अपना भी सामान लाना है, लेकिन मुझे आने में टाइम लगेगा। ” 

 मुझे गुस्सा आ गया और मैंने कहा-” अगर समय होता तो मैं खुद जाकर ही ले आई आपसे क्यों मांगती? ” 

 फिर मैं कोफ्ते छोड़कर, दाल बनाई, पर उसने मुझे बेसन नहीं दिया। 

 एक बार उसने मुझसे गिड़गिड़ाते हुए भरा हुआ सिलेंडर मांगा। मैंने उसे सिलेंडर दे दिया। फिर जब उसने सिलेंडर मुझे वापस किया तो वह लीक हो रहा था। मैंने उससे कहा कि अभी सिलेंडर वाला नीचे ही खड़ा है उसे सिलेंडर बदलवाकर मुझे दो। मैं यह लीक सिलेंडर नहीं लूंगी क्योंकि उसमें से हल्की-हल्की स्मेल आ रही थी, और उसका ढक्कन बार-बार अपने आप उड़ता जा रहा था। 

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 इतना कहकर मैं अंदर चली गई 10 मिनट बाद इसने कहा कि ले लो भाभी जी मैंने सिलेंडर बदलवा दिया है। उसे समय मैं सिलेंडर रख दिया और जब अपना सिलेंडर खत्म होने पर मैं उसे इस्तेमाल करने लगी तो वह लीक हो रहा था जो उसने टाइट ढक्कन बंद करके मुझे धोखे से पकड़ा दिया था। 

 तब मैंने सिलेंडर वाले को बुलाकर उसका रबर बदलवाया और उसे इस्तेमाल किया इस बीच में 2 घंटे तक खाना कैसे बनाऊं इस चक्कर में बहुत परेशान रही। सोनिया को टोकने पर उसने अपनी गलती नहीं मानी। 

 वह बहुत ही स्वार्थी औरत थी। उसे सिर्फ अपनी सुंदरता पर ही ध्यान देना होता था और किसी बात पर नहीं। 

 एक बार उसने अपनी नई वाशिंग मशीन में एक पुराना पायदान धो दिया और वह पूरा टूटकर उसके पाइप में अटक गया और गंदा पानी बाहर निकलना बंद हो गया। उसके पापा की इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान थी वह वाशिंग मशीन उसने वहीं से ली थी। मैंने कहा अपने पापा की दुकान से किसी को बुला लो और पाइप साफ करवा लो। कहने लगी  अभी तो बिल्कुल नई मशीन है पापा मुझे बहुत डाटेंगे।। मैं तो बाहर से किसी को बुलाकर मशीन ठीक करवाऊंगी। 

 फिर उसने किसी दुकान से मैकेनिक को बुलाया उसने ₹50 मांगे। मुझे कहने लगी खुले पैसे नहीं है आप ₹50 दे दो मैं शाम को वापस कर दूंगी। मैं ₹50 दे दिए और कारीगर चला गया। 

 एक डेढ़ महीना बीत चुका था। वह मेरे ₹50 दे नहीं रही थी। आखिरकार मुझे एक दिन टोकना पड़ा, तब भोली बनते हुए कहने लगी, हौ मैंने अभी तक पैसे नहीं लौटाए आपके, ऐसा कैसे हो सकता है। मैं ना भूल गई अभी देती हूं, फिर वह अंदर जाकर पैसे ले आई। 

 ऐसे ही वह खुले पैसे लेने के बहाने कभी 500 के खुले  कभीमुझसे कभी मेरे हस्बैंड से और कभी नीचे वाले पड़ोसियों से मांग लेती थी और खुले पैसे अपनी जेब में रख लेती थी और 500 का नोट भी अपनी जेब में रख लेती थी और कहती थी कि मैं दे दिया आपको आप भूल रहे हो मैं नहीं। 

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 इतनी मतलबी और स्वार्थी औरत मैंने आज तक नहीं देखी थी जिसे दूसरों की जान की परवाह भी नहीं थी और धोखा देकर लीक सिलेंडर थमा देती थी। हम उसके मांगने की आदत से बहुत परेशान हो चुके थे। जब देखो कटोरा लेकर खड़ी रहती थी। वैसे तो पड़ोस में किसी को किसी भी चीज की जरूरत पड़ सकती है लेकिन हर समय अपने पड़ोसियों से कुछ ना कुछ मांगते रहना अच्छी आदत नहीं है। ऐसा लग रहा था इसने अपने मांगने की आदत से बहुत पैसा बचाया है और घर खरीदा है। 

 हम हमेशा भगवान से प्रार्थना करते थे कि इस औरत से हमारा पिंड छूट जाए, और आखिरकार भगवान ने हमारी प्रार्थना सुन ली और वह घर बेचकर चली गई। अब वह जहां कोई होगी अपने नए पड़ोसियों का खून पी रही होगी। 

 आखिर  मैं उसे इतना दुखी हो चुकी थी कि मैं हर चीज के लिए मना करने की सोच ली थी। अगर वह खुद भी किसी के काम आए, तब तो उसकी मदद करने में कोई बुराई नहीं लेकिन वह खुद कभी किसी के काम नहीं आती थी। एक बार मैंने उसका टैस्ट लेने के लिए कहा था-” सोनिया थोड़ी देर मेरे बेटे को अपने घर बिठा लो मुझे डॉक्टर के पास जाना है, जबकि मुझे कहीं नहीं जाना था। ” 

 सोनिया-” मुझे भी कहीं जाना है, मैं भी अपने बच्चों को मजबूरी में साथ ले जा रही हूं मैं आपके बेटे को कैसे बिठाऊ? ” 

 एक बार मैंने उससे कहा कि मैं अपनी ननद के घर आई हुई हूं, प्रेस वाला कपड़े लाएगा तो लेकर रख लेना। 

 कपड़े तो उसने लेकर रख लिए थे लेकिन कपड़े देते समय कहने लगी कि जहां पर मैं पहले रहती थी वहां एक औरत मुझे बार-बार रोज-रोज कपड़े लेने के लिए कहती थी तो मैं उसकी प्रेस के कपड़ों की गठरी  खोलकर उसके तीन-चार कपड़ों को ब्लेड से काट दिया था। 

 अब आप ही सोच सकते हैं कि वह कितनी स्वार्थी औरत थी एक स्वार्थी पड़ोसन, उसका चले जाना ही हमारे लिए ठीक है। भगवान बचाए ऐसी पड़ोसन से। 

 अप्रकाशित स्वरचित गीता वाधवानी दिल्ली

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