ऑंसू बन गए मोती – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

रजनी की शादी के कई साल बाद भी उसे मातृत्व का सुख नहीं मिला था और अब तो उसकी देवरानी गीता भी मां बनने वाली थी। रजनी खुश तो बहुत थी पर उसने अपने ही घर में अब सभी के नजरों को बदलते हुए महसूस करने लगी थी। काम काज करके दफ्तर निकल जाती और शाम को ज्यादातर अपने कमरे में ही वक्त बिताया करती थी।

राघव को अब अहसास होने लगा था कि रजनी कुछ चुपचाप सी रहने लगी है।वो पूरी कोशिश करता की वो खुश रहे और उसे समझाया भी करता कि,” हम भी जल्दी ही मां – बाप बनेंगे।” डॉक्टर ने कहा था कि कोई परेशानी नहीं है कभी-कभी वक्त लगता है। कहते हैं ना कि कुछ चीजों पर अपना जोर नहीं चलता है। सासू मां कमला जी भी कई बार ताने मार देती कि,” चलो बड़ी बहू ने दादी नहीं बनाया, छोटी के कदम बड़े शुभ हैं।अब तो सूने घर आंगन में किलकारी गूंजेगी।”

रजनी को सब समझ में आता और वो आंखों के कोने से आंसू को पोंछती हुई अपने दर्द को छिपा कर मुस्कुरा देती और कहती,” सच कहा मां जी बच्चे के आने से घर में रौनक आ जाएगी और मैं भी तो बड़ी मां बन जाऊंगी।”

“बिल्कुल दीदी आपका उतना ही हक होगा बच्चे पर जितना मेरा होगा ” गीता ने कहा।

अगर औरत ही दूसरी औरत का दर्द समझ ले तो कभी भी किसी औरत को मुश्किलों का सामना ना करना पड़े।

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धीरे – धीरे वक्त गुजरने लगा और सातवें महीना लग गया था गीता को और रजनी उसका पूरा ख्याल रखती।उसे भी कहीं ना कहीं ऐसा लगता कि काश! “ईश्वर  की रहमत भी उस पर होती और वो मां बनने के सुखद अहसास को महसूस करती।”

एक दिन दफ्तर से आकर रजनी की तबीयत बिगड़ी हुई लग रही थी। ऑफिस में भी कुछ मुरझाईं सी थी कुछ खाई – पी नहीं थी। कमरे में जाकर लेट गई। राघव जब आया तो रजनी के पास कमरे में गया और उसकी हाल खबर लिया और जिद्द करने लगा कि वो अस्पताल चले और डॉक्टर को दिखाएं, लेकिन रजनी ने मना कर दिया

कि थकान है ठीक हो जाएगी सुबह तक। बिना खाए-पिए सो गई।जब सुबह नहीं उठ पा रही थी तब राघव ने कहा,” मैं तुम्हारी कोई बात नहीं सुनूंगा… चलो डॉक्टर के पास तभी मैं ऑफिस जाऊंगा।

“रजनी को भी ठीक नहीं लग रहा था और वो किसी तरह से तैयार हो कर डाक्टर के पास गई। उसके कई जांच की गई और कुछ दवा देकर आराम करने को कहा। डाक्टर रेखा भी जांच के बाद ही कुछ कहना चाहती थीं क्योंकि वो उसकी सहेली भी थी और वो रजनी को सब निश्चित होने पर ही बताना चाहती थी।

शाम को जांच की रिपोर्ट आ गई थी और डॉक्टर रेखा ने राघव को फोन करके रजनी को अस्पताल लाने को कहा।

रजनी और राघव बहुत ही घबराए हुए थे कि ऐसा क्या हुआ है जो डॉक्टर रेखा ने कुछ बताया नहीं सीधे बुलाया है।

डॉक्टर रेखा ने कहा कि,” मैं खुद आश्चर्यचकित हूं कि ऐसे कैसे चमत्कार हो गया। इतने सालों के बाद रजनी मां बनने वाली है।”

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रजनी और राघव की आंखों से अश्क बह निकले और वो आंसू आज खुशी के थे और मोती बन कर निकल पड़े थे। असंभव को संभव में परिवर्तित होना सचमुच में भगवान की असीम कृपा ही थी।

” सचमुच डॉ रेखा…आप मेरे साथ कुछ मजाक तो नहीं कर रहीं हैं ना? सच में क्या हम माता- पिता बन सकते हैं। हमने तो सब भगवान के ऊपर ही छोड़ दिया था।हम तो नाउम्मीद ही हो गए थे।”

राघव बिना सांस रोके बोले जा रहा था और रजनी निःशब्द सी हो गई थी।उसे तो लग रहा था कि वो सपना तो नहीं देख रही है। उसने तेज से खुद को चुटकी काटी..तब उसे अहसास हुआ कि,”ये कोई सपना नहीं है ईश्वर ने मेरी झोली भर दी है। अब उसे भी मां कहकर कोई बुलाने वाला या बुलाने वाली आएगी।”

डॉक्टर रेखा ने कुछ और जांच की और रिपोर्ट सब पाज़िटिव आई थी।

सच में आज उसके आंखों के बहते आंसू से सारे दुख दर्द मानों बह कर निकल गए थे।घर में खुशी की लहर दौड़ गई थी हर कोई बहुत खुश था। कमला जी के भी बर्ताव में परिवर्तन आ गया था

और रसोई घर से दौड़ कर राई नमक ला कर रजनी की नजर उतारने लगी और जल्दी से मंदिर में जाकर भगवान जी कोटी कोटी प्रणाम किया और आंचल फैला कर भगवान को धन्यवाद देती हुई बोली कि,” प्रभु आपने मेरे दोनों बच्चों के घर को आबाद कर दिया। मेरे जीते-जी ये दिन दिखाया आपको बहुत-बहुत धन्यवाद।”

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अब जिम्मेदारियां बहुत बढ़ गई थी। गीता की डिलीवरी की तारीख नजदीक आ गई थी।

वो दिन भी आ गया था गीता को प्यारी सी बेटी हुई थी और रजनी की गोद में जब  नर्स ने बच्ची को दिया तो रजनी की आंखों के आंसू बह निकले और वो अपने अंदर बच्चे को भी महसूस कर रही थी कि भगवान ने उसकी भी गोद भर दी थी और बच्ची का माथा चूमा और कहा कि,” तू तो मेरे लिए भाग्यशाली है गुड़िया रानी।

तेरे आने की आहट से ही मेरे सूने जीवन में इंद्रधनुषीय रंग भर गया। मेरी पहली औलाद तो तू ही है।” थोड़े दिनों में गीता घर आ गई थी और रजनी से जितना बन पड़ता गुड़िया और गीता का ख्याल रखती और साथ ही अपने खाने पीने का भी।

वक्त बीतते देर नहीं लगती गुड़िया थोड़ा – थोड़ा बैठने लगी थी और रजनी की डिलीवरी की तारीख नजदीक आ गई थी और  डॉक्टरों ने आपरेशन से बच्चा होगा पहले ही बोला था।वो दिन भी आ गया था और नन्ही-सी जान ने जन्म ले लिया था। सुंदर सा बेटा हुआ था रजनी को। आपरेशन के कुछ घंटों के बाद जब वो कमरे में आई

तो होश आने के बाद वो अपने जिगर के टुकड़े को अपने आंचल में लेना चाहती थी और उसको महसूस करना चाहती थी। राघव ने रजनी के सिर को सहलाते हुए कहा कि,” धन्यवाद रजनी तुमने हमारे घर – संसार को खुशियों से भर दिया। मुझे पिता के सुख का अहसास आज मिला है जब मैंने इसे गोद में लिया।” दोनों एक-दूसरे से लिपटकर भावुक हो गए।

सचमुच में इतने वर्षों के इंतजार के बाद उनकी सूनी बगिया में में भी एक फूल मुस्कुरा रहा था। दोनों के इंतजार और तकलीफ के दिन समाप्त हो गए थे। सचमुच भगवान ने उनकी मनोकामना पूरी की थी

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और उन आंसुओं को जो सबसे छिपा कर वो रखती थी आज मोती बन कर बह निकले थे। अब उनके आंगन में किलकारियां गूंजने लगी थी। घर में सभी बहुत खुश थे कि बहन बहुत भाग्यशाली है अपने साथ भाई को भी ले कर आई है। 

एक औरत अपना दर्द तो सबसे छिपा लेती है पर वो उसको अंदर ही अंदर खोखला करता रहता है। मां बनना तो नारीत्व की पूर्णता को दर्शाता है। 

                   प्रतिमा श्रीवास्तव 

                   नोएडा यूपी
VM

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