दो साल बीत गए ।तुम चली गई थी ।हमेशा के लिए ।ईश्वर को यही मंजूर था ।तब से मै लगातार आँसुओ के समंदर में डूबती इतराती रही ।जीने का कोई मतलब नजर नहीं आता था क्या करें?कैसे जिएं? जिंदगी एकदम नीरस हो गई थी ।न खाने का होश था न सोने की सुधि थी।कहीं आना जाना बेमतलब लगने लगा था ।
किसी से बात करने का मन नहीं करता था ।समय बीत रहा था ।अंदर से कमजोर हो गई थी ।अपने को खुद ही समझाया “ऐसे तो खुद को ही खत्म कर लोगी”।अकेली होती तो तुम्हारे कपड़े को छू कर देखती।तुम्हारी उर्जा को महसूस करने के लिए ।तुमहारी गंध महसूस करना चाहती ।बार बार उलट पलट कर देखती ,
सोचती किस मौके पर तुमने वह मेरी दी हुई साड़ी पहनी थी ।तुम्हारे शाल ,स्वेटर सबको ओढ़ कर तुम्हे अपने नजदीक होने का अहसास होता ।कहाँ चली गयी तुम? तुम्हारे खयालातों में खोयी रहती ।उसदिन तुमने मुझे क्या बना कर खिलाया था।तुम खाना बहुत अच्छा बनाती थी ।हर विधा में पारंगत तुम ।कहीं पढ़ा था जो अच्छे लोग होते हैं न,
तो ईश्वर उन्हे जल्दी बुला लेते हैं ।मैंने कभी, किसी जन्म में बुरे कर्म किये होंगे तभी तो यह दुख भोगना पड़ा है ।इतना लम्बा जीवन किस काम का।अपनी जिम्मेदारी, अपनी गृहस्थी अपना शरीर सबकुछ धीरे-धीरे चला जा रहा, फिर भी जीने की कोशिश करती रही हूँ ।फिर मैंने अपने आँसू पोंछ लिए एक दिन ।मन में तुम्हे निर्मोही कहा ।
मेरा भी खयाल तुम को नहीं आया कि माँ कैसी है, कैसे रहेगी? फिर से लिखना शुरू किया ।अच्छा लगा ।मेरी दिन चर्या बदल गई ।अपने काम खत्म करके कुछ भी लिखने लगी ।कभी कभी तुम सपने में आ जाती।पकड़ने की कोशिश करती, लेकिन तुम भाग जाती ।ईश्वर की मर्जी सोच कर अपने को समझा लिया “चाहे लाख जतन कर लो,अब तुम नहीं आने वाली”।
जीवन का दूसरा अध्याय शुरू हो गया ।घर में बच्चे की किलकारियां गूंजती रही ।अरे हाँ!एक दिन सपने में तुमने भरोसा दिलाया कि मै आ रही हूँ जल्दी ही ।अब मै उसी सपने में जीने लगी थी ।जबसे नन्ही परी का जन्म हुआ मैंने अपने आँसू पोंछ लिए और परी के ही इर्द गिर्द मेरी दुनिया सिमट कर रह गई ।बहुत खूब सूरत मेरी परी।बिलकुल तुम्हारे जैसी।
सबकुछ तो तुमसे ही मिलता हुआ ।देखते देखते परी बैठने लगी फिर घुटने के बल चलने लगी थी ।और फिर जल्दी ही चलने भी लगी।एक दिन चलते चलते पुकारा “अम्मा—“मैं चकित हो गई थी ।अम्मा सुनकर बहुत खुशी मिली ।मेरी दुनिया बच्ची में ही समा गई ।दिन रात, उसके साथ खेलना, सुलाना ,खिलाना सबकुछ करती मै।
शायद तुम को ही महसूस कर रही थी मै, लेकिन दुनिया की नजरों से बचाकर ।लोग कहते शायद, मेरा पागलपन की हद है ।लेकिन मुझे संतोष होता कि परी के रूप में तुम मुझे मिल गई थी ।अब मेरे आँसू मोती बन गये थे।सबसे कीमती मोती ।जिसे अपने आँचल में छिपा लेना चाहती थी मै ।परी भी मुझे नहीं छोड़ती।चिपकी रहती मुझसे ।
वह जब सोने के लिए मुझसे चिपट जाती तो मै उसे गा कर सुनाती ” मेरे घर आई एक नन्ही परी, चांदी की रथ पे होके सवार—” और वह सो जाती।मेरे वह आँसू जो अब मोती बन रहे थे, मै समेट ही रही थी कि कुछ ऐसा हो गया जिसमें मेरी दुनिया फिर से आँसुओ के समंदर में डूब गयी ।उसकी मुझसे अधिक नजदीकी घर मे अच्छा नहीं लगने लगा ।
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मुझसे अलग करने के लिए उसे दो चार थपपड़ पड़ जाते।परी मासूम सी होकर मुझे देखती, और मै सबकी नजर बचाकर अपने आँसू पोंछ लेती।फिर मेरी परी पाँच साल की हो गई ।अब वह स्कूल जाने लगी ।उसे स्कूल पहुंचाने और लाने की जिम्मेदारी मुझे दी गई ।बहुत खुश हो गई मै।एक दिन उसे लाने के लिए गयी।
अभी क्लास चल ही रहा था ।दस मिनट देर है यह सोच कर पास के पार्क में चली गई, न जाने कैसे झपकी लग गई मुझे बेंच पर बैठे बैठे ।हड़बड़ा कर उठी।सारे बच्चे अपने घर चले गये थे ।मेरी परी का कहीं पता नहीं था।अब कैसे, किस मुंह से घर जाउँ? रोते रोते मेरी हालत खराब हो गई ।दो घंटे बीत गए ।घर में कोहराम मच गया ।
तभी देखा परी सामने से एक आदमी का हाथ पकड़ कर आ रही है ।” बेटा–कहाँ चली गई थी तुम “? तभी उस सज्जन आदमी ने बताया कि अम्मा का एक्सीडेंट हो गया है, अस्पताल में भर्ती कराया गया है देखने चलो,यह कहकर एक आदमी इस बच्ची को लेकर जल्दी जल्दी जा रहा था ।मुझे शक हुआ ।
मैंने पीछा किया तो वह इसे लेकर कार में बैठने ही जा रहा था तभी मैंने उसे धर लिया ।उसे पुलिस के हवाले कर दिया है और इस बच्ची को लेकर आ ही रहा था कि इसने आपके तरफ इशारा किया “अंकल, बेंच पर मेरी अम्मा बैठी हुई है “,और मै इसे लेकर आपके पास आया ।दस मिनट की झपकी मे इतना कुछ हो गया?
मैंने परी को कलेजे से लगा लिया ।और उस सज्जन आदमी को बार-बार धन्यवाद कहा ” आपने मेरी बच्ची की जान बचाई है, आपका एहसान कभी नहीं भूल सकती”
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नजर उठाया तो वह व्यक्ति गायब था।कौन था वह देवदूत? आजतक समझ में नहीं आया ।मेरी परी एक अनहोनी से बच गयी थी ।घर में इसी खुशी में पूजा रखवाया है ।सबलोग खुश हैं ।एकबार फिर मेरे आँसू मोती बन गये थे धन्यवाद ईश्वर का।
उमा वर्मा ।नोयेडा ।स्वरचित ।मौलिक ।