मम्मी अभी तक सोई नहीं? अनु ने पूछा
राधिका तकिए को पलंग के सिरहाने लगा बैठ गई और बोली ” नहीं अभी का नींद आखों में घुलती है,?
दिनभर तो छोटे मोटे काम ही तो करती हु थकान नहीं होती तो नींद भी अकड़ दिखाती है।
अनु मुस्कुराकर पास ही बैठ गया और मम्मी के हाथोंको पकड़ सहलाने लगा।
राधिका ;” कुछ कहना चाहते हो?”
अनु :” वो मम्मी वो कंपनी मुझे विदेश भेजना चाहती है अब
अभी आपको तो ले जा नहीं सकता सोचता हु दिव्या के यहां छोड़ दूं।”
फिर सेटल हो जाऊंगा तब आपको भी ले जाऊंगा।”
क्यों?
राधिका एकदम सहम कर बोली :” वैसे तो खुशखबरी ही सूना रहा है पर बेटा विदेश जाकर लौटते हुए बच्चो को कम ही देखा है तो घबराहट भी वाजिब ही है।
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फिर कहा था समय से शादी कर ले वो किंजल के पापा भी कब से पीछे पड़ रहे थे तू हा ही नहीं भरता और नहीं करनी है तो यू बोल उन्हें क्यों लटका रखा है वो अपनी बच्ची के लिए कोई ओर वर देखे।
ओह मम्मी फिर वही बात मैने लटका रखा है या स्वयं किंजल ने उसका कोर्स पूरा नहीं हुआ इसीलिए उसने मेरे द्वारा मना करवाया था और आप मुझी पर इल्ज़ाम?
लेकिन अब मैं जाऊंगा अगर उसे इंतजार करना है तो करे वर्ना मैं आऊंगा तभी बात बनेगी।
आप उसकी छोड़ों अपनी बताओ?
राधिका :” मै यही ठीक हु बेटी की गृहस्थी में जब मां के कदम पढ़ते है तो कम ही लोग सहन कर पाते है।
फ्लैट में आजकल सब सुविधाएं होती है मैं रह लूंगी
तू जाने की तैयारी कर।
वीजा ,पासपोर्ट भी तो बनवाने पड़ते है? ऐसे ही वहां तुझे कौन घुसने देगा?
अनु :” सब तैयार है आप तो इजाजत दो कहते हुए अनु ने
मम्मी के पैर छुए।
राधिका ने चौक कर आशीर्वादों की बरसात कर दी।
पर मन ने अनगिनत प्रश्नों ने कुरेदना शुरू कर दिया।
सुबह की फ्लाइट से अनु फुर्र से उड़ गया।
दो महीने तक लगातार बात होती रही धीरे धीरे सप्ताह में एक बार ,फिर महीने ओर साल भर बाद आज कॉल आया था।
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राधिका ने चहकते हुए फोन उठाया उधर से आई मम्मी मुझे मुबारक दीजिए आपके लिए बहु के आया हु।,
बहुत अच्छी है अपने देश की ही है पर सर्विस यही करती है
आशीर्वाद दीजिए।
राधिका चौकी ओर फिर मुबारक बाद देकर कहा जुग जुग जिओ जोड़ी सलामत रहे।
फोन रख दिया।
राधिका मन ही मन सोचने लगी अब अनु विदेशी हो गया
आना मुश्किल है।
रोज अखबार की तरह तरह की खबर उसे आशंकित करती चली गई।
एक सुबह अनु अपने परिवार के साथ आया था इतने सालों में दो बच्चों का बाप बन गया था।
बहु ईशा में भारतीय ही थी पर अमेरिका में रहते उसे कई साल हो गए थे।
शाम ही बोला मम्मी अमेरिका में घर खरीदना है और वहां घरों की रेट बहुत अधिक है।
आधा पैसा तो ईशा के पापा दे रहे ओर यदि आधा आप कर देती तो?
वैसे भी तीन रूम फ्लैट तो आपके लिए बड़ा ही ईशा के साथ आई उसकी मम्मी बोली।
अब क्या कहूं पूरी जिंदगी तो हम बच्चो के लिए ही खटे है थोड़ा और हो जाता है बच्चो का जीवन सुधर जाएंगा।
ओर क्या मम्मी देखो ना ईशा की मम्मी की सोच ही अलग है आप भी इनकी तरह के विचार रखा करो।
कितनी खुश रहती है अमेरिका में बच्चो की देखभाल से लेकर हर छोटा मोटा काम इन्होंने ही संभाल रखा है हमे तो कुछ पता नहीं चलता।
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राधिका :” तूने मुझे तो बुलाया ही नहीं “
ईशा की मम्मी तुरंत बोल पड़ी :” अरे बच्चे तो हमारे ही है अब आपको क्यों परेशान करना मै हु ना?
मेरे होते आप अपना घर छोड़ कर जाएंगी आप बिल्कुल चिंता ना करे जब तक जिंदगी है इनको सेवा देती रहूंगी ही ही ही ये जोरदार ठहाका राधिका के कलेजे को झकझोर रहा था।
अनु अपनी सासु मां के कंधों पर झूमता हुआ बोला ;” I am so lucky “
आप जैसी सासु मां मिली “
राधिका मन ही मन बुदबुदा रही थी ” क्यों रे,इतने जतनो से तुझे पाला पोसा और कल की आई छोकरी के लिए तू हमे छोड़ कर जा रहा है वो भी मेरा ही घर बिकवा कर जिसमें मेरी तेरे पापा के साथ कितनी यादें सहेजी हुई है।”
पर कौन सुनता हा, हां ही ही हसी के फव्वारे ही खत्म नहीं हो रहे थे।
वो मकान बेच कर एक रूम वाले फ्लैट में मुझे शिफ्ट कर वो फिर अपने परिवार सहित उड़ चला था।
यदा कदा दिव्या संभालने आ जाती थी कभी दोहिती अरु को भी छोड़ जाती थी।
मन लग जाता था।
उसकी नन्ही बचकानी हरकते सब कुछ भुला देती थी।
नानी आप मेरे साथ खेलो में आपकी टेडी बियर ओर ये मेरा टेडी बियर उससे भी बड़ा टेडी बियर अपने नन्हे से हाथों में घसीटते हुए लाकर राधिका की गोदी में रख देती।
आप इसे ज्यादा मोबाइल मत देखने देना आइस खराब हो जाएंगी।
ओर बड़ा होकर दूर जाए तो परेशान नहीं होना कुछ ना कुछ ऐसा करना की हमेशा आपकी जिंदगी आनंद मय गुजरे।
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फिर कंघा लाकर उसके फर को कंघे से सवार देती।
नन्ही अरु के मुंह से निकली यह बात मेरे मन में घर कर गई
वैसे भी पूरी जिंदगी काम ही तो किया है।
तो अब मैं क्यों। नहीं कर सकती कुछ ऐसा काम जहां मेरे आस पास लोग रहे ओर मेरा अकेलापन स्वत ही सवर जाए।
मैं अपने बच्चों से अपेक्षाएं क्यों रखूं जिन्हें मदद चाहिए बुला ले ।
वरना मैं अपनी जिंदगी जी ही लूंगी।
गार्डन में बैठी सोच ही रही थी की सखी निर्मला ने टोका क्यों बहन आज किस विचार में हो ?
मैने उन्हें अपने मन की बात बताई।
निर्मला तुरंत बोल पड़ी :” नेकी ओर पूछ पूछ मेरी भी यही कंडीशन है।
मेरे पास घर भी बहुत बड़ा है तो कल से शुरुआत तुमसे ही जाए ।
अब क्या था अपनी पेंशन में से कुछ खर्चा एड का हुआ ।
ओर जैसे लोग ऐसे एड का इंतजार ही कर रहे थे आने लगे।
जिसको कुकिंग का शोक था वे महिलाएं कूक कर लेती जिन्हें आर्टिफिशियल साज सज्जा की वस्तु बनाने का शोक था वो वह बनाती बेग तरह तरह की ड्रेसेज ना जाने कितने कलाकार एक आंगन में आ बैठे जिनकी घर में कोई पूछ नहीं थी।
कुछ जेंट्स बुजुर्ग मार्केटिंग में होशियार थे वे उन सबकी मार्केटिंग करने लगे।।
जिनकी पेंशन थी वे पैसा लगा देते ओर जिनकी नहीं थी उनकी कमाई हो जाती पर सब खुश।
क्योंकि समझ गए थे अपना हुनर ही है जो मरते दम तक साथ रहता है।
किसी से भी अपेक्षाएं तो स्वयं को तोड़ देती है।
राधिका और निर्मला का लगाया वृक्ष कई लोगों के लिए
छांव बन गया था।
दीपा माथुर