डर – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

मोबाइल की रिंगटोन सुनते ही विजय ने कॉल उठा लिया..

   “क्या…, कैसे..”सुनते ही मैं भी विजय के पास आ गई।

 “सुना तुमने श्याम जी के बेटे ने आत्महत्या करने की कोशिश की, अस्पताल से श्याम जी का फोन था .”फोन रखते विजय घबराये स्वर में बोले।

    “अरे… ये कब हुआ, कैसे ..”मैं भी आवाक थी।

         “इतना पढ़ा -लिखा,मल्टीनेशनल कंपनी में अच्छी खासी पोस्ट पर नौकरी कर रहा था, सुंदर सी मनचाही पत्नी थी, फिर ऐसा क्या हो गया जो उसने ये कदम उठाया, अभी साल भर पहले ही तो शादी हुई थी, श्याम जी और तनु कितने खुश थे, होते भी क्यों नहीं… आखिर बेटे का ब्याह कर बहू ला रहे थे.., बच्चे कुछ करने से पहले माँ -बाप की क्यों नहीं सोचते….”मैं रुधे स्वर में बोली।मेरे सामने तनु का सरल सा चेहरा उभर आया, बिचारी पर क्या बीत रही होगी।

   ” अलका तुम भी तैयार हो जाओ, इस समय श्याम और भाभी को हमारे साथ की जरूरत है..”

     जल्दी जल्दी तैयार हो हम श्याम जी के घर के लिये चल दिये… श्याम जी को एक बेटा और एक बेटी थी, बड़े बेटे की पिछले साल शादी की थी…और हमारे पास दो बेटियाँ थी…. चारों बच्चे लगभग एक उम्र के ही थे…बच्चों में भी आपस में खूब पटती थी।उनकी बेटी तान्या और मेरी छोटी बेटी चिया एक ही इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रही थी।

श्याम जी और विजय पहले एक ही बैंक में थे, दोनों परिवारों में भी अच्छी दोस्ती थी,फिर श्याम जी का तबादला इसी शहर के दूसरे बैंक में हो गया, यहाँ से उनका बैंक दूर पड़ता था,..सो कुछ समय बाद उन्होंने बैंक के पास ही घर खरीद कर वहाँ चले गये।

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     विजय और श्याम जी की दोस्ती में घर की दूरियों ने कोई कमी नहीं होने दी, वे अक्सर मोबाइल पर बात कर लेते थे, लेकिन मैं और तनु घर -गृहस्थी के चक्कर में थोड़ा कम बात कर पाते थे। इधर बेटे की शादी के बाद तनु ज्यादा व्यस्त हो गई, कभी मैं फोन भी करती तो तनु ज्यादा देर बात नहीं कर पाती, अनमनी सी लगती, कई बाऱ दिल किया, पूछूँ… पर फिर लगता हो सकता नई बहू आने से उनकी व्यस्तता बढ़ गई हो…।

     “आखिर राघव ने ऐसा कदम क्योंकि उठाया..”मैं अपनी उत्सुकता रोक नहीं पा रही थी।

    “बहू से राघव और श्याम जी लोग थोड़ा परेशान थे.., बहू दो महीने से मायके बैठी है, वो चाहती थी राघव घर से अलग रहे, श्याम जी ने राघव को बोला भी, अगर बहू को अलग रहना है तो अलग घर ले लो…, पर राघव तैयार नहीं था, बहू ने उसे धमकी दी अगर उसकी बात नहीं मानेगा तो तलाक का केस कर देगी…

  बहू ने राघव पर केस कर दिया दहेज उत्पीड़न का.. तीन -चार दिन पहले मानव आयोग के लोगों ने धरना दिया था, पुलिस भी आई थी, श्याम जी और तनु को अरेस्ट करने….., पड़ोस में रहने वाले वकील ने किसी तरह तीनों की गिरफ्तारी रुकवाई …।राघव बहुत परेशान हो गया था, उसको लग रहा था उसकी वज़ह से घर की इज्जत चली गई,। न वो प्रेम विवाह करता, न उसके परिवार वालों को ये दिन देखने पड़ते…”विजय से सारी बातें जान मैं अचंभित थी…।

    ऑटो अस्पताल पहुँच गया…, श्याम जी भीड़ से घिरे थे, मीडिया वाले, पुलिस वाले उनको घेरे थे..,,मिले जुले शोर… यही है दहेज के लोभी….

 स्थिति देख विजय ने अपने भांजे को फोन किया जो पुलिस विभाग में उच्च पद पर था, उसका फोन आते ही वहीं पुलिस कर्मी जो श्याम जी को परेशान कर रहे थे,अब मिडिया वालों को हटाने में लग गये,श्याम जी उस कमरे में ले गये जहाँ राघव अचेत पड़ा था,।

  . तनु एक कुर्सी पर बैठी एक टक बेटे को निहार रही, मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा तो चौंक गई,

     “मेरा राघव बच जायेगा अलका..”सूनी आँखों से तनु ने पूछा 

        “मेरा विश्वास करो तनु, हमारा राघव ठीक हो जायेगा .. मेरे दिलासा देते ही, अब तक शांत रहे श्याम जी और तनु संवेदना का हाथ पा बिलख पड़े…, 

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तनु बाऱ -बाऱ यही कह रही, “मैंने कौन सा अपराध किया था,…, जो आज ये दिन देखना पड़ रहा…, यकींन मानो हमने बहू को बेटी ही समझा, कभी कोई डिमांड करने की बात मन में भी नहीं आई…., क्या हमलोग तुम्हे भी लालची लगते है …., केस होने से सब जगह हमारी बदनामी हो रही, लोग हमें लालची, दानव… पता नहीं क्या -क्या कह रहे।”

    “ऐसा नहीं है तनु…. सब लोग तुम्हे अच्छे से जानते है… कोई तुमको दोषी नहीं कह सकता…”

आँसू तो हमारी आँखों में भी थे, पर हमें मजबूत बनना था उनके लिये …, बढ़ी दाढ़ी और बिखरे बालों वाले श्याम जी को देख कर विजय भी अपने को रोक नहीं पाये, सलीके से रहने वाले श्याम जी आज समय से पहले बूढ़े लग रहे थे…,

              नर्स ने सूचना दी डाक्टर बुला रहे,,.. उनके केबिन में विजय श्याम जी को लेकर गये, आ कर बताया राघव अब खतरे के बाहर है….। हम सब ने उस ऊपर वाले को धन्यवाद दिया जिसकी कृपा से हमारा बच्चा बच गया…।

         तनु ने बताया, बहू का व्यवहार शादी के कुछ दिन बाद बदलने लगा, देर से सो कर उठती, कोई काम में हाथ ना लगाती… राघव जब भी उसे काम करने के लिये बोलता, तो बोलती मैंने तुम्हारे घर काम करने के लिये तुमसे शादी नहीं की थी, पैसा देख कर शादी की थी .. मुझे क्या पता तुम्हारे घर कोई नौकर नहीं,…,मुझे यहाँ नहीं रहना .. “एक दिन अपनी माँ को बुला, मेरे दिये सारे गहने -कपड़े ले मायके चली गई .., मायके से उसे कुछ मिला नहीं था, मगर मैंने किसी को बताया नहीं, और अपने भी गहने देकर सबको बोला उसकी माँ ने दिया…, फिर भी उन लोगों ने मुझे ये सिला दिया ..”तनु फिर बिलख पड़ी।

      . कुछ समय बाद राघव ठीक हो गया, वड़ी मुश्किल से उस परिवार ने अपने को संभाला, कोर्ट के चक्कर लगा सब परेशान हो गये थे… फिर भी प्रयास से राघव को तलाक मिल गया, परिवार ने शांति की सांस ली…। पर राघव को बहुत मलाल था उसकी वजह से उसके परिवार को कष्ट झेलना पड़ा .. घर की इज्जत ना जाए इस लिये बहुत समय तक राघव बहू की मनमानी झेलता रहा ., इस डर से….।

   

         घर की इज्जत बड़ी बात है लेकिन इसके लिये गलतियों को बर्दाश्त करना, गलतियों को बढ़ावा देना है…,, आजकल बहुत से घर ऐसे है, जो सीधे -साधे होकर भी बिना अपराध के सजा भुगत रहे… क्योंकि क़ानून लड़की के पक्ष को सुनता है, लड़कों के पक्ष को नहीं ….,।

             सबसे पहली बात लड़कियों को अच्छी शिक्षा दें, उनकी गलतियों को देख नजरअंदाज ना करें…,..।

                             —–संगीता त्रिपाठी 

                          मौलिक और अप्रकाशित 

#घर की इज्जत

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