राधारमण जी शहर के जाने माने व्यापारी थे।जिनका भरा पूरा परिवार था।पत्नी रजनी,3 बेटे नरेश,महेश, सुरेश और दो बेटियां मीरा और रिया खुशहाल परिवार था।तीनों बेटे पिता के व्यापार में सहयोग करते बेटियां पढ़ रही थी।राधारमण जी अब बच्चो के विवाह की जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहते थे।
उन्होंने अपने मित्र श्याम प्रकाश की पुत्री विनीता और आराधना को अपने बेटे नरेश और महेश के लिए चुना।परंतु सुरेश और आराधना एक दूसरे को पसंद करते थे।परंतु आराधना के अपने माता पिता को सब बताने के बाद भी समाज , घर की इज्जत की दुहाई देते हुए विनीता की शादी नरेश से और आराधना की शादी महेश से होगई।
आराधना के मन में जितना गुस्सा अपने माता पिता के लिए था। उससे ज्यादा सुरेश के लिए था वो कितना डरपोक था कि अपने लिए कोई कदम ना उठा सका।शादी होकर जब वो घर आई तो कुछ दिन तो उनका सामना नहीं हुआ परंतु एक दिन सुरेश उसके सामने आया और बोला तुमने अच्छा नहीं किया।तुम मना कर सकती थी।आराधना बोली
तुमने कुछ क्यों नहीं कहा सुरेश बोला मेरे परिवार की समाज में इज्जत है।आराधना बोली तो क्या मेरे नहीं हैं तुम यहां से चले जाओ और अपनी शक्ल मत दिखाना कायर आदमी ऐसा बोल। आराधना वहा से चली गई और कुछ दिन बाद सुरेश घर छोड़ कर चला गया किसी को पता ही नहीं था कहा है वो सब तरफ ढूंढने पर भी कुछ पता नहीं चला।
बेटे के दुख ने मां पिताजी को तोड़ कर रख दिया।बेटे व्यापार संभालने लगें और बहुएं घर पर आराधना के मन में कभी कभी सुरेश के शब्द गूंजते हमारे परिवार की इज्जत है।आराधना सोचती क्या मैं निर्लज्ज थी जो पिताजी से अपने विवाह की बात करने लगी थी।समय बीता दोनो नन्द अपने अपने घर की हो गई।
आराधना दो बच्चो की मां बन गई।बड़ी बहन विनीता के तीन बच्चे थे।आराधना का बेटा कॉलेज में था उसका आखिरी साल था इसके बाद उसके पिताजी उसे अपने साथ बिजनेस में शामिल करना चाहते थे। आराधना का बेटा रवि अपने साथ पढ़ने वाली ममता नाम की लड़की को बहुत चाहता था और उससे शादी करना चाहता था।
पर ममता के माता पिता नहीं थे। ममता को उसके पिताजी के मित्र ने पाला था जो एक दुकान पर काम करते थे।पेपर खत्म होते ही रवि ने अपनी मां को अपनी इच्छा बताई।मां बोली बेटा तेरे परिवार की समाज में इज्जत है वो इतनी गरीब घर की लड़की को बहु नहीं बनआयेंगे रवि बोला मां शादी तो मै ममता से ही करूंगा।
आराधना ने अपने पति महेश को रवि की पसंद के बारे में बताया वो आराधना पर ही चिल्ला पड़ा कैसी मां हो तुम्हे अकल है या नहीं एक गरीब को अपनी बहु बना लू और समाज में अपनी नाक कटवा दे हमारी इज्जत है ये शादी नहीं होगी समझा दो अपने लाडले को। आराधना ने बहुत समझाया पर सब बेकार रवि भी जिद्दी था
ग्रेजुएशन होते ही कैंपस प्लेसमेंट से उसे जॉब ऑफर हुई और वो बैंगलोर चला गया जाने से पहले उसने अपनी मां को बता कर ममता से शादी कर ली और वो बैंगलोर चले गए।रवि ने फोन पर अपने पिता से बात करनी चाही तो उन्होंने मना कर दिया। आराधना सोच रही थीं वाह री इज्जत तू बच्चों की खुशियों पर भारी है।
सबने रवि से संबंध खत्म कर दिए।2साल बाद जेठ की बेटी प्रिया के लिए लड़का देखा जा रहा था।पर वो अपने साथ काम करने वाले राजीव को पसंद करती थीं।वो जिद पर अड़ी रही कि शादी करूंगी तो राजीव से उसकी बात घर वालों ने मानी और रिश्ता पक्का कर दिया।क्योंकि लड़का,घर बार सब अच्छा था।
आज आराधना एक बार फिर छली गई थी आज वो बोली लड़का अच्छा है तो आप लोगों ने बिरादरी के बाहर रिश्ता कर दिया मेरा बेटा तो बहु घर ला रहा था उसे क्यों वनवास दिया।लड़की गरीब थी तो क्या हम तो अमीर हैं उसे हमारे यहां रहना था हमें नहीं मै इस शादी मैं तभी आओगी जब मेरा बेटा घर आएगा
नहीं तो मै भी उसके पास चली।राधारमण जी बोले बहु सही कह रही है हम अपनी झूठी अना में अपने बच्चों का नुकसान करते हैं। जो महेश बहु बेटे को घर ले आओ। रवि ममता को लेकर घर आ गया सब ने कहा हम बेटी तुम्हारे चाचा जी से मिलना चाहते है उन्हें बलाओ
अगले दिन सुबह ममता अपने चाचा जी को लेकर आई तो उसके चाचा बाहर ही
रुक गए बोल बेटी मुझे कहां ले आई ममता बोली ये मेरा ससुराल है ।वो बोला क्या यह तेरा ससुराल है मै चलता हूं।रवि भी तब तक आ गया और बोला चाचाजी अंदर चलिए।जैसे ही वो अंदर आए सब बोले सुरेश तुम ।सबने सुरेश को गले लगाया और बोले तुम कहा चले गए थे सुरेश बोला मै अपने गुनाह का प्रायश्चित करने जा रहा था।
राधारमण जी बोले कौन सा गुनाह सुरेश बोला बस पिताजी मैने किसी को वचन दिया था और मैं उसे पूरा नहीं कर पाया। घर से निकला तो मेरा मित्र प्रकाश मिल गया उसी के साथ रहा उसने मुझे विद्यायल में नौकरी दिला दी।एक दिन उसका और उसकी पत्नी का एक्सीडेंट हो गया और उनकी मृत्यु हो गई।ममता की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई बहुत गुणी और मिलनसार लड़की है मुझे क्या पता था रवि मेरा ही भतीजा है।पिताजी इस बच्ची को स्वीकार करे अब खोखली इज्जत के लिए बच्चो का भविष्य ना बिगाड़े।
राधारमण जी बोले अब मेरे दोनों बेटे इसी घर में रहेंगे और मेरी बहु भी।सभी शादी की तैयारी करो।
सुरेश ने
आराधना से भी हाथ जोड़ माफी मांगी। आराधना बोली सब भूल हम आगे बढ़ते है और बच्चों की खुशी मै शामिल होते हैं।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी