” दीदी, मुझे कुछ पैसों की बहुत आवश्यकता है | कृपा करके आप मुझे दस हजार रूपये उधार दे दिजिए| थोड़े- थोड़े करके मेरे पैसों से काट लिजिएगा |” ममता की गृह सहायिका चंदा उससे विनती करते हुए बोली |
” पर पिछले महीने के पूरे पैसे तो तुम ले चुकी हो और आज तो सात तारिख ही है | ” ममता ने कहा |
” हाँ दीदी, ये बात तो है, पर बहुत जरूरी है | अगर आप दे दो तो बड़ी मेहरबानी होगी | ” चंदा ने आग्रह किया |
” पर पांच दिन पहले ही लिया गया सारा पैसा तुमने खर्च कर दिया और फिर तुरंत तुम्हें पैसों की ऐसी क्या जरूरत आ पडी? ” ममता पूछी -” मुझे बताओ तो सही | जानू तो कि तुम्हारी जरूरत कैसी है?
” दीदी, जरूरत मुझे नहीं है | वो मेरी पडोसन कमला है ना, दरअसल पैसों की जरूरत उसे है |” चंदा ने संकोच से कहा |
” कमला को जरूरत है और तू परेशान हो रही है | वह खुद प्रबंध नहीं कर सकती है क्या, जो तुझे कह रही है | ” ममता बोली
” मैं उसकी मदद करना चाहती हूँ|”चंदा बोली |
” पर क्यों? मुझे पूरी बात तो बताओ|” ममता ने कहा |
” दीदी, कमला मेरे बगल में रहती है | उसके दो बेटी और एक बेटा है | उसने अपनी बड़ी बेटी मीना का ब्याह तय कर दिया है | लडका शहर में एक कंपनी में काम करता है | लडके वाले अच्छे लोग हैं | मीना दसवीं तक पढाई कर चुकी है | उनलोगों ने उसे आगे पढाने का वादा भी किया है | उनके घर शादी हो जायेगी तो मीना का भाग्य सुधर जायेगा | वह भी पढ लिखकर कुछ बन पायेगी, वरना तो वही घर घर जाकर झाड़ू, पोछा, बर्तन का काम करते जिंदगी जायेगी | इसीलिए कमला चाहती है कि उसकी शादी वही ं हो |
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कमला और उसका पति दोनों मिलकर शादी की तैयारी कर रहे थे | धीरे – धीरे वे दोनों शादी का प्रबंध कर रहे थे, पर अचानक कमला का पति मजदूरी करके लौट रहा था तो एक गाड़ी ने उसे धक्का मार दिया | चोट लग जाने के कारण वह दो महीने से मजदूरी नहीं कर पा रहा था |अब वह कुछ ठीक है | एक माह पहले ही मीना की शादी थी | उसने लडके वालों से कहकर एक माह का समय लिया था | अब एक हफ्ते बाद मीना की शादी है | कुछ प्रबंध नहीं हो पाया है | कमला जिन घरों में काम करती है, वहाँ से पहले ही पैसे ले चुकी है | ” चंदा इतना बताकर रूक गई |
” अरे, तो यह तो कमला की समस्या है ना, तुम क्यों परेशान हो रही है ? वह कहीं न कहीं से प्रबंध करेगी | ” ममता बोली – ” तेरा तो पति भी नहीं रहा और तुम्हारे भी दो बच्चे हैं | तुम अपना सोचो | उसे प्रबंध करने दो |
” नहीं दीदी, अब उससे प्रबंध नहीं हो पायेगा , तभी तो मेरे पास आकर रो रही थी | वह मेरे बगल में रहती है ना, हम अपनी सारी बात एक दूसरे को बताते हैं | ” चंदा थोड़ा गंभीरता से बोली – ” दीदी, मैं उसकी मदद करना चाहती हूँ | मैं चाहती हूँ कि मीना की शादी तय समय पर हो जाये | कमला मेरी पडोसन है | हम सदा एक दूसरे के सुख – दुख मे काम आते रहे हैं | हमें एक दूसरे की मदद करनी चाहिए ना | आज उसे जरूरत है तो मैं मुंह फेर लूं | दीदी जरूरत तो किसी को भी पड सकती है | मेरी तो बेटी ही नहीं है | उसी की बेटी को मैं बेटी मानती हूँ | मैं उसकी मदद करना चाहती हूँ |” कहते कहते चंदा का गला भर आया |
चंदा की बात सुनकर ममता अवाक रह गई | उसने सोचा “गरीब होने के बाबजूद चंदा का दिल कितना बडा है | “
” कितना बड़ा दिल है रे चंदा तेरा | तू खुद अपना और अपने बच्चों का पालन इतनी मेहनत से कर रही हो | जहाँ आज वक्त पड़ने पर अपने मुंह फेर लेते हैं, वहाँ तुम अपनी पडोसन के लिए परेशान हो रही हो | उधार लेकर भी उसकी मदद करना चाह रही हो | मै तुम्हें पैसे उधार दे सकती हूँ, पर दूंगी नहीं |” ममता गंभीरता से बोली |
” क्यों दीदी, क्या आपको मुझपर भरोसा नहीं है? क्या मैं पैसे लेकर भाग जाऊंगी? ” चंदा रोने लगी -” दूसरे घरों में भी मैंने पैसे मांगे थे, पर किसी ने नहीं दिये | आप पर बहुत भरोसा था कि आप जरूर देंगी |”
” अरे रोओ मत | मैं तुम्हें पैसे उधार नहीं दूंगी, अपनी ओर से तुम्हारी पडोसन कमला को बेटी की शादी हेतु मदद कर दूंगी | तुम्हें पैसे लौटाने की जरूरत नहीं है | अपनी पडोसन कमला को बुला ला | पैसों के साथ – साथ उसकी बेटी के लिए कपड़े भी दूंगी | और भी कुछ जरूरत होगा तो वो भी मदद कर दूंगी | ” ममता चंदा के आंसू पोछते हुए बोली |
” सच दीदी, आप महान है ं | मैं अभी कमला को बुलाकर लाती हूँ | आपका दिल बहुत बडा है |” चंदा हंसने लगी |
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” तुमसे बड़ा नहीं है | जब तुम ऐसा सोचती हो, उसकी मदद कर सकती हो, तो मै क्यों नहीं ?” ममता भी हंस पडी |
चंदा दौडकर कमला को बुला लाई | सारी बात जानकर कमला बहुत खुश हुई | ममता और चंदा के सहयोग से मीना का बिबाह तय समय पर सफलतापूर्वक संपन्न हो गया | कमला और उसके पति ने ममता और, चंदा को बहुत धन्यवाद दिया |
# बड़ा दिल
स्वलिखित और अप्रकाशित
सुभद्रा प्रसाद
पलामू, झारखंड |