बड़ा दिल – खुशी : Moral Stories in Hindi

रोहन एक बहुत अच्छा खिलाड़ी था वो मैदान में उतर आए तो जीत निश्चित ही होती थी।क्रिकेट में उसका बहुत नाम था।उसने बहुत कम समय में तरक्की की सीढ़ियां चढ़ ली थीं। सभी बड़े खुश थे क्योंकि अगले सप्ताह भारतीय टीम का सिलेक्शन होने जा रहा था सबको यकीन था रोहन 

का सिलेक्शन होगा।उसी टीम में एक और लड़का था गौरव जो बहुत अच्छा खेलता था परंतु उसके पास पैसे ना होने के कारण ना ही वो अच्छी कोचिंग ले पाया पर उसकी खुद की मेहनत थी वो चाहत।  था कि वो भी खेले पर  शनिवार को सिलेक्शन होने थे बुधवार को रोहन नेट प्रैक्टिस कर रहा था

तभी उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी।रोहन रुक कर उस तरफ मुड़ा तो उसने देखा कि गौरव  है उसने पूछा गौरव क्या बात है क्यों रो रहे हो  गौरव बोला भैया मैं भी खेलना चाहता हूं मैं भी अपने देश का अपने माता पिता का नाम रोशन करना चाहता हूँ।

रोहन बोला तुम तो अच्छा खेलते हो फिर क्या हुआ डरो नहीं तुम्हारा भी चयन होगा।गौरव बोला नहीं रोहन भैया तुम सब के पास अच्छा सामान है जूते है। पर मेरे पास कुछ नहीं है यदि मैं खेलने जाऊ तो अपने परिवार का नाम रोशन करूंगा और अच्छे पैसे कमा कर अपने भाई बहनों को उच्च शिक्षा दिलवा सकता हूं।

अपने माता पिता को इस तंगहाली से निजात दिलवा सकता हूं।यह कह गौरव वहां से चला गया।जिस दिन चयन होना था सब वहां थे सिर्फ रोहन को छोड़कर ।गौरव मैदान पर था पर बहुत दूर बैठा था जब कोच लिस्ट लेकर आए तो उन्होंने सबके नाम पुकारे जिसमें रोहन की जगह गौरव जा रहा था।

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गौरव को यकीन ही नहीं हुआ।गौरव से मिलने रोहन के पिताजी आए थे उन्होंने गौरव की कोचिंग की सारे साल की फीस भर दी थी।और वो गौरव को नए जूते,किट आदि सामान देकर गए।और बोले देश का नाम रोशन करके आना गौरव ने रोहन के बारे में पूछा वो बोले तुम खेल कर आओ

फिर वो तुमसे मिलने आएगा।वो दिन भी आगया जिस का सब को इतंजार था भारतीय टीम जीत का गौरव हासिल कर लौटी थी जिसका श्रेय जाता था गौरव को हर तरफ गौरव की प्रशंसा हो रही थी पर गौरव की आंखे रोहन को ढूंढ रही थी। वो सीधा अपने कोच से पूछ रोहन के घर पहुंचा।रोहन के घर उसके मां पिताजी थे।गौरव ने उनका आशीर्वाद लिया और बोला रोहन भईया कहा है 

रोहन के पिताजी बोले बेटा वो अमेरिका में है जिस दिन वो तुमसे मिलकर आया था बड़ा बैचेन था वो चाहता था कि तुम खेलो पर वो यहां रहता तो उसका ही चयन होता इसलिए उसने हम सबको मना कर अपनी जगह तुम्हें भेज दिया वो जानता था कि तुम में बहुत हुनर है सिर्फ परिस्थितियों के कारण तुम मात खा रहे हो।

गौरव की आंखों में आंसू थे वो बोला कितने बड़े दिल के  है रोहन भैया मेरे सपने पूरे करने के लिए अपना सपना छोड़ दिया। फिर गौरव ने रोहन से बात की और उसका धन्यवाद दिया।रोहन बोला मेरा सपना पूरा करना।

गौरव को जब प्रदेश के मुख्यमंत्री के हाथों पुरस्कार मिला तो भी गौरव ने यह किस्सा बताया और अपनी सफलता का श्रेय रोहन को दिया।

रोहन अब रोहन के नहीं बड़े दिल वाले के नाम से जाना जाता था।

स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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