कोर्ट में कटहरे में खड़े होकर एक पिता आँखों में आँसू भरकर कह रहा था कि जज साहब शायद हमारे दिए गए संस्कारों में कोई कमी रह गई होगी इसलिए आज मेरी बेटी ने मुझे यहाँ लाकर खड़ा कर दिया है । समाज में मेरा तमाशा बना दिया है ।
मेरी तो इतनी ही गलती थी जज साहब कि पत्नी की मृत्यु के बाद मैंने अपने बारे में नहीं सोचा था । स्वाति मेरी इकलौती संतान है अगर सौतेली माँ उसके साथ बुरा बर्ताव करेगी तो उसका बचपना खराब हो जाएगा । इसलिए मैंने ही माँ बाप बनकर उसे पाला है इसके लिए मैंने क्या नहीं किया है । अपनी तीस हज़ार रुपये वेतन में भी मैंने इसकी हर ज़रूरतों को पूरा करने की कोशिश की है ।
आपको मालूम है जज साहब मेरे लिए मैं पाँच सौ रुपये की शर्ट ख़रीदता हूँ और उसके लिए पाँच हज़ार की ड्रेस खरीदता हूँ । मैं दो हज़ार रुपये का फ़ोन उपयोग में लाता हूँ और उसके लिए आठ हज़ार का स्मार्ट फ़ोन ख़रीद कर दिया हूँ ।
आप नहीं जानते हैं जज साहब मैंने इसे अच्छे से स्कूल में पढ़ाया। पढ़ाई में बहुत अच्छी है इसलिए मैंने इसे डॉक्टर बनाने का ख़्वाब देखा था । उसको जब एम सेट में अच्छा रेंक आया तो मैं बहुत खुश हुआ था कि उसे फ्री सीट मिल जाएगी । उसने क्या किया है आप सब सोच भी नहीं सकते हैं । वह सरकारी कॉलेज में दाख़िला नहीं लेना चाहती है । वह जिद करने लगी थी कि पचास लाख रुपए भरकर प्राइवेट कॉलेज में ही पढ़ना है ।
अब सोचिए ऐसी बेवक़ूफ़ी कौन करता है । जब मैंने फीस भरने से इनकार किया और अपनी मजबूरी बताई तो ग़ुस्से में वह बी एस सी में जॉइन हो गई है ।
यहाँ तक तो सब ठीक था । उसकी तो मैं क़िस्मत बनाना चाहता था लेकिन उसे रास नहीं आया था ।
अब उसने एक नई मुसीबत पाल ली है वह यह कि अपने लिए एक बॉयफ़्रेंड बना लिया है । मैंने उस लड़के के बारे में पूछताछ करवाया तो पता चला कि वह लड़का पढ़ा लिखा नहीं है आवारा गर्दी करता है । वह पढ़ी लिखी अकेली लड़कियों को फँसाता है और उनके साथ मौज मस्ती करता है । जब उसका दिल भर जाता है तब उन्हें छोड़कर भाग जाता है यही उसका काम है।
जब मैंने स्वाति को उसके बारे में बताया और उसके साथ मिलने के लिए मना किया तो मैं बुरा हो गया बोलिए क्या करूँ । हम बच्चों को अच्छे संस्कार देते हैं जज साहब और उन्हें समाज में इज़्ज़त से जीने के लायक़ बनाते हैं पर वे इस तरह संस्कारहीन होकर व्यवहार करेंगे और सब कुछ भुलाकर हमारे ही ख़िलाफ़ हो जाएँगे इसकी आशा तो हम नहीं करते हैं । कल की ही बात ले लीजिए जज साहब मेरी बेटी अपने बॉयफ़्रेंड को घर लेकर आ गई थी । उसके साथ हँसी मजाक करते हुए मस्ती कर रही थी ।
मैंने अपने कमरे से उसकी हँसी ठिठोली को सुना और उसके कमरे का दरवाज़ा खटखटाया तो उसने खोलकर कहा यहाँ कोई नहीं है आपको ग़लतफ़हमी हुई है मैं तो मोबाइल में कुछ देख रही थी । उसके इस झूठ का मैं क्या जवाब दूँ जज साहब क्योंकि मैंने उस लड़के को अलमारी के पीछे छुपा हुआ देख लिया था।
मैंने भी कच्ची गोलियाँ नहीं खाई हैं । उसका कॉलर पकड़कर उसे अलमारी के पीछे से बाहर निकाला और दो चाँटे जड़ दिए और पुलिस की धमकी देकर उसे घर से बाहर कर दिया था । आप जानते हैं जज साहब इस लड़की ने बॉयफ़्रेंड को घर से बाहर निकाला है इस ग़ुस्से में मुझे भी घर के बाहर धकेल कर मेरे मुँह पर दरवाज़ा बंद कर दिया है । मैंने दरवाज़ा खटखटाया परन्तु उसने नहीं खोला थक कर
मैं घर के सामने के पार्क में जाकर बैठ गया था ।
सुबह होने पर मार्निंग वॉक के लिए आए मेरे दोस्त ने मुझे देखा और अपने घर ले गया । शाम को कोर्ट से आकर उसने मुझे बताया था कि स्वाति को उसका बॉयफ़्रेंड दिखाई नहीं दे रहा है तो उसने तुझ पर केस दर्ज कर दिया है कि मैंने उसके बॉयफ़्रेंड को मार दिया है ।
मैं ऐसी ज़िल्लत भरी ज़िंदगी नहीं जीना चाहता हूँ जज साहब मुझे नहीं जीना है आप मुझे जेल में बंद कर दीजिए मेरे ऊपर बहुत सारे केस दर्ज कर दीजिए ताकि मैं बाहर ना निकल सकूँ । मुझे नहीं जीना है जज साहब मुझे नहीं जीना है कहते हुए वहीं ज़मीन पर गिर जाते हैं ।
उनका दोस्त श्याम वकील थे । उन्होंने ही बताया था कि तुम्हारी बेटी ने तुम पर केस दर्ज किया है । श्याम ने अपने दोस्त की हालत को देखा और खुद स्वाति के बॉयफ़्रेंड के बारे में जब पता लगवाया था तो पता चला कि स्वाति के पिता को उनके बारे में जानकारी प्राप्त हो गई है इसलिए उसका बॉयफ़्रेंड शहर छोड़ कर भाग गया है ।
वकील की बातों और सबूतों को देखते हुए स्वाति के पिता पर से केस हटा दिया गया था ।
उन्होंने फिर से अपनी नौकरी जॉइन कर ली थी। वे घर तो पहुँच गए थे परंतु उन्होंने स्वाति से बात करना बंद कर दिया था और हाँ उन्होंने अपना तबादला दूसरे शहर में करा लिया था ।
स्वाति एक दिन श्याम से मिलने गई और उनके सामने बैठकर रोने लगी । श्याम ने कहा क्यों रो रही हो बेटा अपने पिता को उनकी अच्छाई का अच्छा सबक दिया है तुमने!!
मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई है अंकल मैंने अपने पिता को गलत बताकर सभी की नज़रों में गिर गई हूँ । आप ही बताइए अब मैं क्या करूँ । श्याम ने कहा देखो बेटा बच्चे कितनी भी ग़लतियाँ क्यों न करें माता-पिता उन्हें क्षमा कर देते हैं परंतु उसके लिए समय लगेगा । तुम्हें अपने पिता की माफ़ी के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा क्योंकि तुमने अपने पिता को बहुत दुख दिया है । माता-पिता बच्चों के दुश्मन नहीं होते हैं । उन्होंने दुनिया देखी है। जाओ !! तुम्हारा पिता बहुत ही अच्छा है तुम सच्चे मन से माफ़ी माँग लोगी तो वह तुम्हें माफ़ कर देगा । कहते हुए उसे घर भेज देता है।
अब समय ही बताएगा कि स्वाति को पिता ने माफ किया होगा कि नहीं ? आशा करते हैं कि उसे उसकी उम्र की लड़कियों को एक सबक तो मिल ही गई होगी ।
दोस्तों सभी माता-पिता अपने बच्चों को संस्कार देते हैं। बात यह है कि बच्चे उन्हें समझ नहीं पाते हैं उन्हें बड़ों की हर सीख बुरी लगती है और गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं । जरूरी नहीं है कि सभी बच्चे ऐसे ही निकले लेकिन वर्तमान समय में ऐसा होने की सम्भावना है इसलिए बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करने से पहले एक बार सोचिए ।
के कामेश्वरी