“अपमान” – पूजा शर्मा : Moral Stories in Hindi

कब तक अपमान का घूंट पीती रहोगी कावेरी, अब मैं तुम्हारी एक नहीं सुनूंगा, तुम्हें मेरे साथ चलना ही होगा

 इन लोगों ने विकास के सामने ही तुम्हें कितनी प्रताड़नाए दी हैं भूल गई क्या ?अब वो दुनिया में नहीं है तो किसके सहारे यहां जीवन बिताओगी। अभी तुम्हारे मां-बाप जिंदा है हम तुम्हें हरगिज़ यहाँ नहीं छोड़ेंगे। अच्छी खासी नौकरी है तुम्हारी तुम किसी पर बोझ नहीं हो बेटा, और कौन सा तुम अपने भाई भाभी के साथ रहोगी तुम्हारा भाई तो पहले से ही अलग रहता है, भगवान की दया से मेरी पेंशन इतनी है

कि मुझे कभी अपने बेटे के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ेगा।अभी हम भी सही सलामत हैं तुम हमारी आंखों के सामने रहोगी तो हम भी निश्चित रहेंगे अभी आरव भीी केवल 8 साल का है इसको  पालने में भी तुम्हें सहूलियत रहेगी, कावेरी के मम्मी पापा उसे समझा समझा कर हार गए थे लेकिन उसने तो जैसे जिद पकड़ ली थी मुझे आप लोगों के साथ नहीं जाना पापा अब यही मेरा घर है।

 विकास की अर्धांगिनी होने के नाते अब मेरा फर्ज है कि इन लोगों की जिम्मेदारी मैं उठाऊँ, आखिर इनका भी विकास के सिवा कोई और सहारा नहीं था इन्होंने भी तो अपना बेटा खोया है, अब आरव में ही वे अपना बेटा खोजते हैं।कावेरी की हठधर्मिता देखकर

 उसके माता-पिता आश्चर्य चकित थे। आखिर क्यों मना कर रही है उनकी बेटी उनके साथ जाने से?

 अगर किसी की बेटी सुखी नहीं है तो मां बाप को तसल्ली कैसे हो सकती है वे तो खून के आंसू रोते हैं । कहते हैं जिसकी बेटी दुखी उसका जन्म दुखी।उन्हें कावेरी की चिंता सताए जा रही थी? क्या उम्र है उसकी आखिर पहाड़ सा जीवन कैसे बिताएगी? अपने पति विकास के अचानक दुनिया से चले जाने पर जैसे उसकी दुनिया तो बिखर ही गई थी। दूर तक उम्मीद की कोई रोशनी नहीं दिखाई दे रही थी। कावेरी के सास ससुर कुछ नहीं

बोले चुपचाप बरामदे में बैठे कावेरी के माता-पिता की बातें सुन रहे थे, आखिर सारी बातें उन्हें ही तो सुनाई जा रही थी। और फिर उन्हें अधिकार भी क्या था कावेरी को यहां रोकने का? पिछले 10 सालों में सिवाय दुखों के उसे मिला भी क्या है यहां? और अब इतना बड़ा दुख।2 महीने पहले ही विकास की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी,

इस कहानी को भी पढ़ें:

बहु चाहे जितना भी कर ले …. वो बेटी नहीं बन सकती – सिफा खान : Moral Stories in Hindi

उनकी और कावेरी कीतो जैसे जिंदगी ही ठहर गई थी। और कावेरी के घर वाले भी इस सब से उबर ही नहीं पाए हैं। विकास ने कावेरी के साथ मां-बाप के खिलाफ जाकर अपनी मर्जी से विवाह किया था, अपने बेटे की जिद के सामने उन्हें झुकना तो पड़ा था 

 लेकिन कावेरी को कभी मन से स्वीकार नहीं कर पाए। उसके मधुर व्यवहार के कारण ससुर राम प्रसाद जी का व्यवहार तो उसके प्रति ठीक भी हो गया था लेकिन निर्मला देवी तो जैसे अपनी बहू को नीचा दिखाने का कोई मौका ही नहीं छोड़ती थी। विकास ने कितनी बार अपनी मां को समझाया था। लेकिन उनका व्यवहार कावेरी के प्रति कभी नहीं बदल पाया।

 विकास ने कितनी बार कावेरी से कहा था। अलग घर में चलने के लिए वह अक्सर कहता था कावेरी मैं तुम्हारा अपमान भी तो नहीं सह सकता आखिर एक बहू होने के सारे फर्ज तो निभाती हो लेकिन मैं अपनी मां से तुम्हें बहू का दर्जा ही नहीं दिलवा पाया मैं खुद को अपराधी महसूस करता हूं। कावेरी बस इतना ही कहती थी मैं आपके साथ अलग रहकर खुश नहीं रह सकती आखिर एक मां से उसका इकलौता बेटा अलग करने का इल्जाम अपने सर मै

 कैसे ले लूं? मेरे साथ साथ अपने मां-बाप के प्रति भी आपकी जिम्मेदारियां हैं। और फिर मम्मी जी आरव का तो पूरा ध्यान रखती हैं। आरव भी कितना खुश रहता है अपने दादी बाबा के साथ। मैं उनसे यह खुशी हरगिज नहीं छीन सकती। और देख लेना एक दिन मैं अपने व्यवहार से मां का भी दिल जीत लूंगी। हुआ भी वही अपने शालीन व्यवहार से उसने निर्मला जी के दिल में कब घर कर लिया कुछ पता ही नहीं चला?

 लेकिन उनकी खुशियों को जाने किसकी नजर लग गई।

 कुछ दिन बाद ही विकास की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई।

 निर्मला जी कावेरी से कहने लगी, मुझे माफ कर दो बहू मैंने तुम्हारे साथ कभी अच्छा व्यवहार नहीं किया।

 तुम अपने माता-पिता के साथ चली जाओ, कम से कम उस घर में शांति से जी तो सकोगी। हम तुम्हें किस अधिकार से यहां रुकने के लिए कह सकते हैं।

 लेकिन मेरा फर्ज मुझे इस घर से जाने की इजाजत नहीं देता मम्मी जी कावेरी बोली मैंने अपना पति खोया है तो अपना बेटा आपने भी खोया है। मेरे पति का घर ही अब मेरा घर है। आप सिर्फ उनके नहीं मेरे भी माता-पिता हो आपको अकेला छोड़कर मैं कैसे जा सकती हूं? आज तक मैं आपकी हर बात सुनती आई हूं

लेकिन अब आपको मेरी हर बात माननी पड़ेगी आपको अपनी सारी दवाई समय पर लेनी पड़ेगी क्योंकि आपको मेरे लिए अभी बहुत जीना है? अपने बेटे की आखिरी निशानी अपने पोते को भी अभी आपको ही पालना है। मैं उसे आपसे दूर नहीं ले जा सकती। निर्मला देवी अपनी बहू को गले लगा कर फूट फूटकर रोते हुए यही कह रही थी, मैंने अपने हीरे जैसी बहू को परखने में कितनी देर कर दी। मैंने कदम कदम पर जिसका अपमान किया। वही बहू आज मेरा बेटा और बहू दोनों बनने को तैयार है।

इस कहानी को भी पढ़ें:

बेटी का घर- दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

 कावेरी के माता-पिता को अपनी बेटी के निर्णय के सामने झुकना पड़ा। वे तो यही सोच रहे थे ये बेटियां भी न जाने कैसे इतनी समझदार हो जाती हैं? पराए घर को कितनी जल्दी अपना बना लेती है।

कावेरी के जीवन में विकास के जाने से जो जगह खाली हो गई वह तो कभी नहीं भरेगी, लेकिन उसका जीवन धीरे-धीरे पटरी पर आ गया था। उसने अपना ऑफिस ज्वाइन कर लिया था। आरव भी अपने दादी बाबा के संरक्षण में पल रहा था। विकास के माता-पिता के लाख समझाने पर भी कावेरी ने दूसरी शादी नहीं की। आरव आज डॉक्टर बन चुका है।

 आज उसकी तपस्या का फल उसे सचमुच मिल गया था।

 पूजा शर्मा’ स्वरचित।

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!