कीर्ति का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। वह बचपन से ही होशियार, सुसंस्कृत और आत्मविश्वास से भरपूर थी। कीर्ति ने पढ़ाई में हमेशा अच्छे अंक प्राप्त किए और अपने माता-पिता का नाम रोशन किया। कीर्ति की शादी एक अच्छे परिवार में हुई थी। लेकिन जल्द ही उसे एहसास हुआ कि उसके पति में ऐसी आदतें थीं जो उसके लिए असहनीय थीं, विशेष रूप से उसका शराब पीना और नशे में बदतमीजी करना।
कीर्ति ने अपने परिवार और समाज की प्रतिष्ठा का सोचते हुए कई बार अपने पति को समझाने की कोशिश की, लेकिन उसकी आदतें बद से बदतर होती चली गईं। कीर्ति का मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य इससे प्रभावित हो रहा था, पर उसने इस संघर्ष को सहते हुए कई महीनों तक कोशिश की कि शायद पति में बदलाव आए, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। कीर्ति की इस स्थिति से उसकी मां भी अवगत थीं, और उन्होंने भी अपनी बेटी को समझाया कि वह अपना निर्णय अपने मन की शांति को ध्यान में रखते हुए करे।
आखिरकार, जब कीर्ति को यकीन हो गया कि उसकी शादीशुदा जिंदगी में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है, तब उसने अपने आत्मसम्मान और मानसिक शांति को बचाने के लिए अपने पति को तलाक देने का फैसला किया। यह निर्णय उसके लिए कठिन था, क्योंकि समाज के तानों और आलोचनाओं का सामना करना किसी भी लड़की के लिए आसान नहीं होता। लेकिन कीर्ति ने अपनी मां के समर्थन से यह निर्णय लिया और अपने मायके लौट आई।
अब, जब कीर्ति अपने मायके में रह रही थी, तो उसके बारे में समाज में कई तरह की अफवाहें फैलने लगीं। मोहल्ले की औरतें बातें करने लगीं कि कीर्ति को उसके पति ने घर से निकाल दिया है, कि उसने अपने ससुराल में कोई गलतियां की होंगी, जिसकी वजह से उसे यह दिन देखना पड़ा।
एक दिन, कीर्ति अपनी मां के साथ बाजार जा रही थी, तो रास्ते में उसने मोहल्ले की दो औरतों, विमला और कमला को आपस में बातें करते हुए सुना। “अरे विमला, सुना है कीर्ति मायके में आकर पड़ी हुई है,” कमला ने कहा। विमला ने जवाब दिया, “हां कमला, मैंने भी सुना है कि उसके पति ने उसे तलाक दे दिया। जरूर उसने अपने ससुराल में रंग दिखाए होंगे, तभी तो तलाक मिला है।”
यह सुनकर कीर्ति की मां को बहुत गुस्सा आया, लेकिन उन्होंने खुद को संयमित किया। वे वहीं रुक गईं और उन दोनों औरतों से कहा, “सुनो विमला और कमला, जब तक किसी भी बात की पूरी जानकारी न हो, तब तक तुम्हें उस बारे में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। मेरी बेटी अपने मायके में है, यह उसका घर है। और रही बात तलाक की, तो कीर्ति ने अपने पति को तलाक दिया है, न कि उसके पति ने उसे।”
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दोनों औरतें एकदम से चुप हो गईं। उन्होंने ऐसा कभी नहीं सोचा था कि कीर्ति ने खुद तलाक का फैसला लिया होगा। समाज में तो आमतौर पर यही धारणा रहती है कि तलाक देने का अधिकार पुरुषों का है और महिलाएं हमेशा कमजोर होती हैं। लेकिन कीर्ति और उसकी मां ने इस रूढ़िवादी सोच को गलत साबित कर दिया।
कीर्ति की मां ने आगे कहा, “तुम्हें पता है कि कीर्ति ने तलाक क्यों लिया? क्योंकि उसका पति शराबी था। हर समय शराब पीकर गलत व्यवहार करता था। क्या तुम्हारे अंदर इतनी हिम्मत है कि तुम अपने पति को छोड़कर अपने आत्मसम्मान की रक्षा कर सको? मेरी बेटी ने यह हिम्मत दिखाई है। इसलिए आगे से किसी के बारे में कुछ भी बोलने से पहले खुद का जीवन देख लेना।”
कमला और विमला यह सुनकर एकदम स्तब्ध रह गईं। उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने बिना किसी जानकारी के कीर्ति के बारे में गलतफहमियां फैला दी थीं। कीर्ति की मां के ये शब्द उनके कानों में गूंज रहे थे। समाज में महिलाओं के प्रति इतनी रूढ़िवादी सोच और पुरुष प्रधानता की धारणा को उन्होंने भी अनजाने में बढ़ावा दिया था।
कीर्ति और उसकी मां ने वहां से चलना शुरू किया और बाजार की ओर निकल पड़ीं। कीर्ति ने अपनी मां के समर्थन और उनके शब्दों से आत्मविश्वास और गर्व महसूस किया। उसकी मां ने न केवल समाज के सामने उसकी सच्चाई का पक्ष लिया, बल्कि उसे यह एहसास भी दिलाया कि वह अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए पूरी तरह से सक्षम है।
उस दिन कीर्ति ने एक नई सोच के साथ अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया। उसने ठान लिया कि वह समाज के तानों की परवाह किए बिना अपने करियर और अपने आत्मसम्मान को प्राथमिकता देगी।
मौलिक रचना गीता वाधवानी दिल्ली