खुशियों के दीप जल उठे – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

आज गीतिका जी बहुत खुश थी। उसकी बहू मिताली ने मंदिर से आते ही खुशखबरी सुनाई थी कि मम्मी जी आप दादी बनने वाली हो। 

  उसका नन्हा मुन्ना बेटा खुश आज इतना बड़ा हो गया है कि वह पापा बनने वाला है। कितने साल बीत गए उसके पति के गुजरने के बाद तो जैसे खुशियों ने इस घर पर दस्तक देना ही छोड़ दिया था। बड़ी मुश्किल से जतन करके मेहनत करके उसने अपने दोनों बच्चों का पालन पोषण किया। 

 बिटिया नैना और बेटा खुश। दोनों बच्चे पढ़ लिख कर काबिल बन गए। गीतिका जी ने  5 वर्ष पहले एक अच्छा परिवार देखकर नैना का विवाह अतुल से करवाया। वैसे तो नैना ससुराल में बहुत सुखी है, लेकिन उसकी गोद अभी तक सूनी है। यह बात हमेशा गीतिका जी को दुख देती रहती थी। 

 वह खाली गोद का दर्द अच्छी तरह समझ सकती थी क्योंकि उनको खुद भी विवाह के  सात वर्ष उपरांत औलाद का सुख मिला था। तब तक उनके पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने उनसे सवाल पूछ पूछ कर उनका जीना हराम कर दिया था और फिर संतान सुख प्राप्त हुआ और थोड़े समय बाद पति उसे अकेला छोड़कर चले गए। 

 दो बच्चों की जिम्मेदारी उठाना आसान नहीं था। नैना को जब भी देखती थीं, उसकी आंखों में एक उदासी दिखती थी। वैसे तो वह हमेशा हंसती रहती थी, पर उसके मन के खालीपन को  गीतिका जी अच्छी तरह समझ रही थीं। 

 जब उन्होंने खुश का विवाह करवाया, तब नैना भी बहुत ज्यादा खुश थी। मिताली एक बहुत अच्छी सुलझे हुए व्यवहार वाली लड़की थी। नैना और मिताली की अच्छी दोस्ती हो गई थी। गीतिका जी ननद भाभी में एक दोस्ती का रिश्ता देखकर बहुत खुश थीं। 

 बहू के मुंह से खुशखबरी सुनकर वह तुरंत भगवान के आगे हाथ जोड़कर खड़ी हो गई और दीपक जलाकर प्रार्थना करने लगी” हे ईश्वर!आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, जो आपने हमारी झोली खुशियों से भर दी। अब आपसे यही प्रार्थना है कि मेरी बेटी नैना की झोली को भी खुशियों से भर दीजिए और उसे एक संतान दे दीजिए। ” 

 तभी मिताली भी उनके पास आकर खड़ी हो गई और और ईश्वर से प्रार्थना करने लगी कि हे ईश्वर! हमारी प्रार्थना सुन लीजिए और नैना दीदी की  गोद को भी भर दीजिए। ” 

 तब गीतिका जी ने मिताली से कहा -” अगले हफ्ते नैना कुछ दिन रहने के लिए आ रही है। ” 

 मिताली यह सुनकर बहुत खुश हो गई। लेकिन सुबह होते ही डोर बेल सुनकर जैसे ही गीतिका जी ने दरवाजा खोला, नैना को देखकर हैरान रह गई  ं। नैना उनके गले लग कर रोने लगी। गीतिका जी घबरा गई  और कहने लगी रो क्यों रही है? नैना कुछ तो बोल,मेरा दिल घबरा रहा है। ” 

 नैना-“मम्मी, मेरी सासू मां कह रही है कि इन पांच सालों में हमने बहुत इलाज करवा कर देख लिया और हम बच्चा गोद लेना नहीं चाहते, हमें अपने बेटे का ही खून चाहिए, गोद लेने पर न जाने वह किसकी संतान हो और कैसा खून हो, इसीलिए हम अतुल का दूसरा विवाह करवाएंगे। ” 

 ऐसा कहकर नैना रोने लगी। मिताली ने कहा-” यह तो बहुत गलत बात है, क्या अतुल जी कुछ नहीं बोले। उन्हें तो तुम्हारे साथ खड़े रहना चाहिए। ” 

 गीतिका,मिताली और खुश सभी परेशान थे। उन्होंने तय कर लिया था कि अतुल के घर जाकर उनसे बात करेंगे। 

 उन्होंने जाने की पूरी तैयारी कर ली थी, लेकिन तभी अचानक नैना को चक्कर आया और वह गिर पड़ी। उन्हें लगा कि  नैना बहुत ज्यादा परेशान है इसलिए उसे चक्कर आ गया होगा। खुश ने तुरंत डॉक्टर को फोन करके बुलाया। 

 डॉक्टर ने नैना को चेक किया और कहा कि नैना मां बनने वाली है, आप लोगों को इसका पूरा ध्यान रखना चाहिए। ” 

 घर में खुशियों के दीप जल उठे थे। उन लोगों ने तुरंत नैना के पति और सास को फोन किया। वे लोग भी तुरंत आ गए। सभी बहुत खुश थे।चारों तरफ खुशियों के दीप जल उठे थे और गीतिका जी ईश्वर का अनगिनत बार धन्यवाद कर रही थीं। वह इस बात से बेहद खुश थी कि बेटी और बेटे के बच्चों को वह एक साथ देख पाएंगी और उनके साथ खुशी खुशी रह पाएंगी। अतुल और उसकी मां वापस चले गए थे। मिताली और नैना खुशी खुशी आपस में बैठकर भविष्य के सपने सजा रही थीं। 

 गीतिका की मन ही मन प्रार्थना कर रही थी कि हे ईश्वर मेरे घर की खुशियों को सदा ऐसे ही सलामत रखना और खुशियों के दीप जलाए रखना। 

 स्वरचित अप्रकाशित गीता वाधवानी दिल्ली 

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