बंद मुट्ठी के रिश्ते – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

आज सुमी के आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। पति बच्चे सब चुप करा कर थक गये पर वो बार बार यही बोल रही थी क्या कमी कर दिया रिश्ते निभाने में जो आज ये सिला मिला। जब से शादी कर के इस घर में प्रवेश किया सबको अपना समझती रही, उनकी परेशानी मेरी परेशानी लगी। जिस राम लक्ष्मण की जोड़ी को मैं कभी मैं अलग नहीं समझ सकी, बाहर वालों ने एक पल में एहसास करवा दिया, हम दो अलग लोग हैं।

बात ज्यादा नहीं बढ़े इसलिए पति समर उसे चुप रहने की विनती कर रहे थे, ऐसा नहीं था इस बात का दुःख उनको नहीं हुआ हो पर जानते थे सुमी कहीं इस बात को ज्यादा नहीं बढ़ा दे। अभी घर में मेहमान है इसलिए वो बस ये बोल रहे थे जो किया दूसरे लोगों की सोच है ना भैया भाभी तो ऐसा नहीं सोचते। प्लीज़ तुम चुप हो जाओ।

 सुमी रोते हुए बोली समर मैं तुम्हारे जितनी महान नहीं हूँ। तुम हमेशा चाहते रहे तुम्हारे घर वालों को मैं अपना समझूं तो मैंने वो सब किया जो तुम चाहते थे पर आज जो भी हुआ है ना उसमें मुझे अपने से ज्यादा तुम्हारे लिए बुरा लग रहा है।

हुआ यूं कि समर की भतीजी की शादी तय हुई। उसका एक फंक्शन उनके घर से होना तय हुआ। सुमी जितना हो सकता उतना बढ़ चढ़ कर पूरी तैयारी कर रही थी। आखिर जब शादी कर के आयी थी तब भैया भाभी के बच्चे छोटे थे सुमी उन पर खुब प्यार लुटाती। सासू माँ भी हमेशा बोलती रहती तुम्हारी बेटा-बेटी। जब मेरे बच्चे हुए तो भी उनसे लगाव कम नहीं हुआ।

जब शादी की बात तय हुई तो सुमी ने समर को बोल दिया था मैंने सोच लिया है पीहू को क्या क्या दूंगी। हम बहुत अच्छे से उसकी शादी करवायेंगे। आखिर हमारे घर में ये पहली शादी है। यादगार बना देंगे।

 समर जानते थे सुमी हमेशा बच्चों की जरूरत को समझती रही है इसलिए वो बोले जैसी तुम्हारी मर्जी वैसे करना।

हमारे यहां समारोह होने वाला ये सोच कर सुमी हर एक छोटी बात का ध्यान रख कर तैयारी करने लगी। मेहमान आयेंगे तो उनके लिए एक अलग फ्लैट की भी व्यवस्था करनी होगी। कोई कमी और शिकायत की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। एक एक बात का ध्यान रख कर उसने तैयारी शुरू कर दी।

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फंक्शन से एक दिन पहले मेहमान आ गये। सबके रहने खाने पीने का बखूबी ध्यान रखा गया।

सबने बोला अलग फ्लैट लिया, फिर भी उसमें सारी व्यवस्था करा है समर ने। लगा ही नहीं कोई कमी है।

दूसरे दिन फंक्शन की तैयारी में सब मशगूल हो गए। पीहू तैयार होने पार्लर गई।

तो सुमी की बेटी बोली मम्मी हम दोनों भी चलते हैं ना अच्छे से रेड्डी होंगे, तुम काम में लगी रहोगी तो ठीक से अपने लिए कुछ नहीं करोगी।

पर बेटा घर में बहुत लोग हैं क्या पता कब किसको क्या जरूरत पड़ जाए, फिर जब सब जिम्मेदारी हमारी है अभी तो घर से बाहर जाना ठीक नहीं है।

 ये बातें समर ने सुनी तो बोले अरे चली जाओ शुभी का मन है तो। अब तो सब तैयार ही होंगे। कुछ लोगों को बैंक्वेट हॉल पहले जाना होगा ताकि जो मेहमान आयेंगे उनकी खातिरदारी कर सके। तुम लोग जाओ, तैयार हो कर उधर ही आ जाना। मैं घर से जब सब निकल जायेंगे तो लॉक कर के उधर चला जाऊंगा।

पर समर माँ, भैया -भाभी क्या सोचेंगे, मैं ऐसे निकल जाऊंगी तो? सुमी सोचती हुई बोली।

समर बोले तुम चिंता मत करो मैं बात कर लूंगा, तुम दोनों चली जाओ।

शाम के फंक्शन में सबने खूब मस्ती किया। सब बहुत अच्छे से हो गया। भैया भाभी भी खुश थे उन्होंने भी अपने हिसाब से बेटी के ससुराल वालों के लिया वो सब किया जो लड़की के पैरेंट्स कर सकते। पीहू के साथ भैया ने बोल दिया सुमी को रहने देना। सुमी वहीं पीहू के साथ रही। बिल्कुल वैसे जैसे एक माँ अपने बच्चे के साथ खड़ी रहती।

 घर आकर सब फंक्शन की ही बातें करने लगे, किसी ने बोला पीहू के ससुराल से भी बहुत कुछ आया है देखे तो सही क्या क्या है?

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सुमी की सास बोली कल देखना अब, रात बहुत हो गई है सब सो जाओ।

सुबह सब चाय नाश्ते के बाद कमरे में इकट्ठे हुए, तो भाभी सुमी से बोली सुमी तुम ही दिखा दो सबको।

सुमी एक ट्राली खोलकर पीहू के ससुराल वालों ने जो दिया वो दिखाने लगी। एक से एक डिजाइनर ड्रेसेज थी सबने पीहू की टांग खिंचाई की क्या बात है पीहू तुम्हारे ससुराल वालों ने तो बहुत कुछ दिया कपड़े गहने सब बहुत सुन्दर है।

तभी किसी ने बोला एक और ट्राली है उसको भी तो खोल के दिखाओ।

सुमी ट्राली टेबल पर रखी तो उस पर लिखा था- मम्मी पापा। जब सुमी उसके अंदर देखा तो देखती है पीहू की दादी के साथ साथ उसके मम्मी पापा और भाई के भी कपड़े रखे हैं।

 सब बोलने लगे चाचा चाची और उनके बच्चों के लिए कुछ नहीं आया।

ये बात उस वक्त ही सुमी को चुभ गई थी पर वो खुद को काबू में रखने की कोशिश करती रही। उसके मन में ये बात आई कि हम और चार ही लोग तो है अपने हमें ऐसे कैसे अलग कर दिया।

तभी भाभी बोली एक बैग और है, उसको भी खोल दो।

सुमी बेमन से उसको टेबल पर रखी और देखी उसपर लिखा है फैमिली मेम्बर्स।

बैग का चेन आहिस्ता से बेमन से खोला तो उधर चाचा चाची और उनके बच्चों के साथ साथ नानी, मामा-मामी, मौसा- मौसी के लिया तोहफे थे। सुमी सोचने लगी हम तो इनको अपना समझते रहे पर बाहर वालों ने अदर फैमिली मेम्बर्स में हमें शामिल कर दिया। हम चार लोग उनको अपने से नहीं दिखे?

जबकि बहुत कुछ हम ही कर रहे थे, ये क्या हो गया एक पल को लगा छोटी मम्मी पल भर में चाची बन गई। चाची शब्द ही पराये पन का एहसास करवा रहा था।

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 सुमी अपने कमरे में जा कर रोने लगी। समर को जब उसने बताया तो उन्हें भी एक पल को बुरा जरूर लगा पर अपने भाई-भाभी है वो तो ऐसा नहीं किये दूसरों की सोच के लिए खुद को क्यों दुखी कर रही हो?

समर आप इसको हलके में ले सकते हैं पर मुझे तो ऐसा लग रहा जैसे वो कपड़े मुझे चिढ़ा रहे, और बनो माँ जैसी, तुम चाची हो कोई अपनी नहीं। मैं इस बारे में भैया भाभी से बात करूंगी समर मुझसे ये बात हजम नहीं हो रही। उनको बताना होगा हम एक हैं अलग नहीं। मां भी तो हमेशा जताती रहती तुम्हारी बेटी है फिर ये परायों सा व्यवहार मुझे चुभ रहा। समर बोले सुमी अभी कुछ मत बोलो इतने मेहमान है क्या सोचेंगे तुम ऐसे कमरे में खुद को बंद कर के रहोगी तो।

जब सारे मेहमान चले गये तो सुमी ने ये बात सासु मां और भैया भाभी के सामने रखी और बोली मुझे ये बात अच्छी नहीं लगी। पूरे घर को पता हमारा रिश्ता कैसा है? क्या कभी मैंने एहसास करवाया कि पीहू मेरी बेटी नहीं है?

 सुमी सच मानो मुझे भी पता नहीं था वो लोग ऐसे अलग से करेंगे। मुझे भी बहुत बुरा लग रहा है क्योंकि तुम जब दिखा रही थी तभी मुझे लगा तुमको। बुरा लगा। हम लोग तो ऐसा नहीं सोचते हैं ना। भाभी आंखों में आयेंगे आँसू पोंछती हुई बोली।

तभी सासु मां ने कहा बेटा उनलोगो को जो समझ आया वैसे कर दिये पर हम लोग जानते हैं हम सब एक बंद मुट्ठी है। हमें दूसरे क्या सोचते ये सोच कर अपना रिश्ता तो खराब नहीं करना है ना। हमारा छोटा सा परिवार है, ऐसा प्यार हमारे किसी भी रिश्तेदारों में नहीं है।सब बोलते हैं दोनों भाई के बीच ऐसा प्यार है

लगता ही नहीं कभी कोई अलग कर सकता। बहु तुम भी जबसे आई हो परिवार को मिला कर चल रही हो।अब ये नया रिश्ता जुड़ रहा हम लड़की वाले हैं कैसे उनसे कुछ कह सकते। देखना वक्त आयेगा तो वो भी समझ जाएंगे हमारा रिश्ता कैसा है।तुम दिल दुखी मत करो।

पर सुमी चाह कर भी भूल नहीं पा रही थी, पीहू की मामी बोलती ये दोनों बच्चे ( भैया भाभी के)अपनी मम्मी से ज्यादा हर बात छोटी मम्मी को बताते। उनलोगो के सामने आज फैमिली मेम्बर्स के साथ जोड़ कर उनलोगो ने मेरे प्यार अपनेपन को छोटा कर दिया।

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माना गलती भैया भाभी की नहीं है पर जब आप किसी के साथ नया रिश्ते की शुरुआत करने जा रहे तो एक बार उनको ये बताना जरूरी है कि हमें जो देने का मन करे एक सा करे। हम एक हैं। हमारा रिश्ता बंद मुट्ठी जैसा है एक बार उंगलियां खुल गई तो बहुत कुछ बाहर निकल जाता। रिश्ते की नींव अगर किसी की बातों से टूट जाये तो वो रिश्ता बहुत कमजोर हो जाता।

सुमी के मन को ये बात इतनी बुरी लगी कि वो सबके लाख समझाने के बाद भी समझ नही पा रही थी,कहाँ कसर बाकी रहा? भैया भाभी की बेटी की शादी है वो क्यों हमारे लिए सोचेंगे? अभी तो शादी बाकी है नया रिश्ता शायद ज्यादा अजीज होगा आखिरकार बेटी के ससुराल था मामला है। सुमी के दिल में जो फांस चुभी वो कोई नहीं समझ सकता।बंद मुट्ठी में एक हल्की सी जगह शायद बाक़ी रह गई थी जिससे चाह कर भी सुमी पहले जैसी नहीं बन पायेगी। इसलिेए आज उसके आँसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।

बहुत बार समझदारी में भी ऐसी चूक हो जाती जिससे इंसान न चाहते हुए भी बात को दिल से लगा लेता। क्या सुमी गलत थी?

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रश्मि प्रकाश

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