“अस्मिता की ऊंची दीवार” – सुधा जैन

संजना अपने मन में सपनों का संसार सजाएं ससुराल आई। ससुराल भरा पूरा चार भाई, दो बहनें, घर में खेती-बाड़ी सब कुछ था ।संजना खूब पढ़ी-लिखी तो नहीं, लेकिन  समझदार ,सुशील और सुंदर है। चार भाइयों में उसके पति संजय तीसरे नंबर के हैं। वह भी खूब पढ़े-लिखे नहीं है, पर बहुत मेहनती  है,

और खेती-बाड़ी संभालते हैं। सुबह उठकर खेत में जाना, पानी देना,  अपनी देखरेख से फसलों  की अच्छे से पैदावार करना ,और शाम को आकर भोजन आदि से निवृत्त होकर अपनी पत्नी संजना से प्यार भरी बातें करना। संजय को गाने सुनना और गाने गाना बहुत ही पसंद है वह संजना के हाथों में हाथ लेकर गाना”

” तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है ,अंधेरों में भी मिल रही रोशनी है” प्रतिदिन  गाते।

संजना की सास  सुनैना देवी भी बहुत सुलझी और समझदार है। चार बेटों की मां होने पर उन्हें गर्व है, और यह अभिमान उनके चेहरे से झलकता है ।सुनैना देवी के पति बहुत मेहनती हैं ,और अपनी मेहनत से अपने घर को बनाया है ।घर में खेती-बाड़ी भी है, दुकान भी है। अपने बड़े बेटे सूरज को पास के ही गांव में खेती-बाड़ी संभालने के लिए परिवार सहित भेज दिया।

जय और संजय दोनों भाइयों में प्रेम भी बहुत है। वे दोनों साथ ही रहते हैं। छोटा बेटा निलेश पढ़ने में अच्छा है ,पास के शहर में उसकी बैंक में नौकरी लग गई और वही रहने चला गया।

इस कहानी को भी पढ़ें:

समय चक्र – वीणा सिंह  : Moral stories in hindi




घर पर माता-पिता और विजय और संजय रहते हैं। डीजे अपने घर की दुकान को संभालता है ।विजय के दो पुत्र हैं, बड़ा पुत्र रोहन 18 वर्ष का है और छोटा रोहित 16 वर्ष का हैं। संजय के यहां पर दो पुत्रियां है। बड़ी बिटिया आभा 14 वर्ष की हो गई है ,और छोटी बिटिया विभा 12 वर्ष की है। परिवार खुशहाली

  पूर्वक अपने समय को व्यतीत कर रहे थे। पर अचानक एक दिन संजय सुबह-सुबह खेत पर गए और पानी की मोटर लगाते समय क्या पता क्या हुआ? वह करंट की चपेट में आ गए, और उसी समय सब कुछ खत्म हो गया ।

माता सुनैना देवीऔर पत्नी संजना के बहुत बुरे हाल थे। माता अपने बेटे के चेहरे को बार-बार सहला रही थी ,और संजना के आंसू रुक ही नहीं रहे थे।

मृत्यु के बाद तेरहवीं का कार्यक्रम होने लगा। पगड़ी किसे बांधीजाएं ? (पगड़ी एक रस्म होती है जिसमें उत्तराधिकारी तय होता है) सभी तय करने लगे। सुनैना देवी ने अपने बेटे विजय के पुत्र रोहन को पगड़ी बांधने का कहा। सुनैना देवी से संजना से पूछा ,उसने कहा “ठीक है, रोहन भी मेरे बेटे जैसा ही है” और उसने सहर्ष  स्वीकृति दे दी। उदासी भरे माहौल में रोहन को पगड़ी बांध दी। संजना की दोनों बेटियों आभा और विभा को भाई मिल गया।

कार्यक्रम के थोड़े दिनों बाद ही  संजना  अपने कमरे में सोई हुई थी। पास के कमरे से उसे अपनी बेटी आभा के कराहने और सिसकने  की आवाज सुनाई दी… वह तुरंत उठी और जाकर देखा तो  रोहन उसकी बेटी आभा के शरीर पर झुका हुआ था …और बिटिया कराह रही थी…. सुनैना को बहुत गुस्सा आया और उसने रोहन को धक्का दिया, और बोला

इस कहानी को भी पढ़ें:

माँ को दर्द हुआ तो समझ आया सास का दर्द – आराधना सेन : Moral stories in hindi




” कितने निर्लज्ज हो तुम, अभी कुछ दिन पहले ही मेरी बेटियों   के भाई बने हो, और यह दुष्कर्म  कर रहे हो जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो क्या किया जा सकता है?”

रोहन सकपका गया।  संजना पर वैधव्य की पीड़ा जरूर थी, पर वह अपनी बेटियों को एक आत्मसम्मान की जिंदगी देना चाहती थी। सुबह उठते ही उसने अपने सास-ससुर के सामने कहा, “मेरा इस घर में गुजारा नहीं हो सकेगा”। कारण पूछने पर उसने बताया “जहां मेरी  बेटियों की अस्मिता ही सुरक्षित नहीं है, मैं उस घर में नहीं रह पाऊंगी”।

अपने सास-ससुर को कह कर उसी घर के दो कमरे उसने अपने रहने के लिए ले लिए, और घर की दालान के बीच में बहुत बड़ी और मजबूत दीवार खड़ी कर दी, ताकि अपने घर के दरिंदों से अपनी बेटियों की रक्षा कर सकें। संजना ने खेती-बाड़ी के काम को अपने हाथ में ले लिया। आत्म सम्मान पूर्वक खूब मेहनत करती।

अपनी बेटियों को पढ़ाया लिखाया और अपने घर और बाहर की बुरी नजर से बचना सिखाया। उनकी उत्तम परवरिश की और दोनों बेटियों को अपने पैरों पर खड़ा किया। दोनों बेटियों ने शिक्षिका बना कर उनके जीवन की राह बनाई। अच्छे लड़के देख कर दोनों बहनों की शादी कर दी। आज उसे बड़ी खुशी होती है

कि उसने एक मजबूत और ऊंची दीवार बनाकर अपने आप को और अपनी बेटियों को सुरक्षित रखकर अपने जीवन को सार्थक किया। आज भी अपने माथे पर अपने पति के नाम की बिंदी लगाती है ,और उस मजबूत और ऊंची दीवार को तोड़ने का साहस फिर कभी कोई नहीं कर पाया।

कहानी लेखक::: श्रीमती सुधा जैन

धार

मध्य प्रदेश

कहानी मौलिक एवं अप्रकाशित

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!