*”दामिनी का दम”* (भाग-1) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

राजधानी एक्सप्रेस धड़ाधड़ करती हुई अपनी तूफानी गति से भागी जा रही थी ।दामिनी अपने बर्थ पर बैठी अपनी कलाई घड़ी की ओर देखी ।उसने अपने मन में कहा कुछ ही देर में मेरा स्टेशन आने वाला है ।मुझे अब अपने समान को समेटना चाहिए ।उसके पास दो बड़े बैग थे ।एक छोटा बैग था जिसमे यात्रा के दरम्यान उपयोग में आने वाली चीजे थी।

दामिनी ने बाहर खिड़की के सीसा से देखा काफी जोरो की बारिश हो रही थी।उसने अपने मन में सोचा  पता नही बारिश स्टेशन के आने तक रुकेगी या नही वरना मुझे बहुत दिक्कत हो जाएगी ।

थोड़ी देर बाद ट्रेन की गति कम होने लगी ।तभी उस कोच का अटेंडेंट उसके पास आया और उसे सलाम कर बोला _ मैडम आपका स्टेशन आने वाला है मुझे मेरा बकसिस दे दीजिए मैंने रास्ते भर आपकी खूब सेवा किया है दामिनी ने मुस्कुरा कर कहा _ अरे हां लो भाई अपना इनाम लो तुमने मेरा बहुत ख्याल रखा है इतना कहकर उसने उसे सौ रुपए का नोट थमा दिया।

इनाम पाकर अटेंडेंट बहुत खुश हुआ और बोला _ लाइए मैडम मैं आपका समान गेट तक पहुंचा देता हूं ।चलो ठीक है दामिनी ने अपनी सीट छोड़ते हुए कहा ।

गेट पर और कई लोग खड़े थे । शायद वे लोग भी उतरने वाले थे। अटेंडेंट ने दामिनी का दोनो बैग गेट के पास रख दिया ।छोटा वाला बैग उसने खुद ही पकड़ रखा था।

थोड़ी देर में स्टेशन आ गया।ट्रेन धीरे धीरे रेंगते हुए खड़ी हो गई ।दामिनी ट्रेंस उतर गई।अटेंडेंट ने उसका सामान निचे उतार दिया ।बाहर अभी भी बारिश जोरो पर थी ।वो जमकर बरस रही थी ।

तभी दो तीन कुली उसके पास आए समान उठाने की बात करने लगे ।दामिनी ने उनमें से एक कुली को बोला _ ठीक है लेलो मेरा दोनो बैग और चलो ।एक कुली ने उसके दोनो बैग को ऊपर नीचे रखकर अपने सिर पर रख लिया और सीढ़ियों की ओर जाने लगा ।दामिनी उसके पीछे पीछे जाने लगी ।

दोनो सीढ़ियों से चलते हुए बाहर जाने वाले रास्ते की ओर बढ़ गए ।तभी कई टेक्सी वालो ने दामिनी को घेर लिया और उसे अपनी टेक्सी में बैठने के लिए जिद करने लगे।

लेकिन उसने सबको मना कर दिया।वो आगे बढ़ते हुए सीढ़ियों से नीचे उतरते हुए प्लेटफार्म नंबर एक पर आ गई जहा से बाहर जाने का रास्ता था।उसने कुली से कहा _ मेरा सामान अभी यही रख दो बाहर बारिश हो रही है।अभी जाना ठीक नही  होगा।

कुली ने उसका सामान प्लेटफार्म पर एक बेंच के पास रख दिया ।दामिनी ने उसका भाड़ा उसे दे दिया ।उसने अपनी रिस्ट वाच में देखा रात के साढ़े बारह बज रहे थे।

उसे थोड़ी थकावट और भूख भी लग रही थी ।हालांकि ट्रेन में उसे खाना मिला था।लेकिन फिर भी उसे भूख लग गई थी।थकावट शायद नींद की वजह से लग रही थी।

उसने सोचा बाहर चल कर किसी होटल में खाना खाऊंगी अभी चाय पी लेती हूं।अभी वो सोच ही रही थी की  तभी उसके सामने एक सुंदर सा स्मार्ट नौजवान लड़का आकर खड़ा हो गया और बोला_ मैडम आपको कहा जाना है।मैं टेक्सी ड्राइवर हूं मैं आपको छोड़ दूंगा ।अभी कुली काका ने बताया आपको कही जाना है।

दामिनी ने उसे बड़े गौर से देखा और कहा _ तुम ड्राइवर तो लग नही रहे हो ।तुम्हारा पहनावा तो किसी कॉलेज के स्टूडेंट की तरह लग रहा है।

मैडम मैं ड्राइवर जरूर हूं लेकिन अपने खान पान और कपड़े से समझौता नहीं करता हूं।उस नौजवान लड़के ने कहा।

वाह बहुत खूब बड़े स्मार्ट ड्राइवर हो ।खैर जरा अपना ड्राइविंग लाइसेंस दिखाना ।दामिनी ने कहा।

उस लड़के ने तुरंत अपनी पेंट की जेब से निकालकर अपना लाइसेंस दिखा दिया।

दामिनी थोड़ी संतुष्ट हुई ।उसने कहा _ चलो ठीक है मैं चलूंगी लेकिन गाड़ी पूरी रफ्तार से चलानी होगी ।

मैडम मैं फूल स्पीड में गाड़ी चला सकता हूं लेकिन इतनी बारिश में टायर फिसलने का डर है एक्सीडेंट हो सकता है।दूसरा की तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने पर पुलिस फाइन लगा सकती है ।

पुलिस कि चिंता तुम मत करो लेकिन जब बारिश बंद हो जाएगी तब तो चला सकते हो।दामिनी ने पूछा।

जी मैडम मैं चला लूंगा लेकिन आपकी जाना कहा है ताकि आपके भाड़ा बता सकूं।

कहा जाना है ये मैं तुम्हे रास्ते में बताऊंगी। फिलहाल मुझे चाय पीना है।उसके बाद किसी होटल में खाना खाना है।दामिनी ने कहा।

मैडम अगर आपको चाय पीनी है तो चलाए मैं आपको सबसे स्पेशल चाय पिलाता हूं स्टेशन की चाय आपको पसंद नहीं आयेगी।

खाना भी आपको बहुत स्वादिष्ट खिलाऊंगा। उस लड़के ने कहा।

ठीक है चलो जहा तुम कहोगे वही चलूंगी क्योंकि मैं इस शहर में पहली बार आई हूं ।मुझे इस शहर के बारे मे कोई जानकारी नहीं है।

रास्ते में तुमसे कुछ जानकारी लुंगी।दामिनी ने कहा और अपना सामान उठाने लगी।

तभी उस लड़के ने उड़े रोकते हुए कहा _ मैडम आप रहने दे मै आपका समान उठा लेता हूं ।इतना कहकर उसने दोनों बैग अपने दोनो हाथो में पकड़ लिया।उसमे हैंडल और चक्के लगे हुए थे इसलिए वो बड़े आराम से उन्हें खींचता हुआ प्लेटफार्म से बाहर निकल गया।दामिनी उसके पीछे पीछे हाल में आ गई।उसने देखा वहा यात्रियों की काफी भीड़ जमा थी।कुछ लोग जनरल टिकट की खिड़की पर जमा थे।कुछ लोग बारिश के रुकने का इंतजार कर रहे थे।

उस लड़के ने दोनो बैग को खड़ा करते हुए कहा _ मैडम आप यही रुकिए मैं स्टेंड से अपनी टेक्सी लेकर आता हूं।

दामिनी ने उसे रोकते हुए कहा _ ऐसे पानी में भींग जाओगे जरा रुको मेरा छाता ले लो ।इतना कहकर उसने अपने हैंड बैग से एक छाता निकलकर  दिया।

उस लड़के ने छाता खोला और अपने अपने सिर पर तान कर बाहर बारिश  में निकल गया।दामिनी वहीं खड़ी होकर उसका इंतजार करती रही ।लेकिन काफी देर होने के बाद भी वो नही आया।

दामिनी चिंतित होने लगी।कही वो उसका छाता लेकर भाग तो नही गया।लेकिन छाता लेकर जाने से उसे क्या फायदा होगा।उससे ज्यादा तो उसे टैक्सी भाड़ा मिलता। मैंने उसका मोबाइल नंबर क्यों नही ले लिया।

वो इन्ही सोचो में मशगूल थी तभी उसे एक टैक्सी आती हुई नजर आई।

टेक्सी आकर स्टेशन के हाल के पास रुक गई।ड्राइविंग सीट खोलकर वो लड़का फुर्ती से उतरा और छाता लिए हुए लपकता हुआ दामिनी की ओर बढ़ गया।

दामिनी ने राहत की सांस लिया।पास आते ही उसने पूछा _ तुम कहा रह गए थे मुझे चिंता हो रही थी।

सॉरी मैडम टेक्सी स्टेंड में पानी भर गया है।मुझे टेक्सी निकालने में काफी दिक्कत हुई।गनीमत हुई की पानी गाड़ी के इंजन में नही गया वरना ये स्टार्ट नही हो पाती।

उस लड़के ने कहा  और उसने टेक्सी के पीछे जाकर उसकी डिक्की खोल दिया और लपक कर दोनो बैग उसमे रखकर डिक्की बंद कर दिया।फिर छाता लेकर दामिनी को बचाते हुए पिछली सीट का दरवाजा खोलकर उसे बैठा दिया और बड़ी फुर्ती से ड्राइविंग सीट का दरवाजा खोलकर गाड़ी स्टार्ट किया और तीर की भांति निकल गया।थोड़ी देर बाद उसने एक चाय की दुकान पर अपनी टेक्सी रोक दिया।

दामिनी ने देखा वहा इतनी बारिश में भी काफी भीड़ भाड़ थी।

उस लड़के ने कहा_ मैडम आप गाड़ी में बैठे रहे में चाय लेकर आता हूं।

दामिनी ने उसे पचास का नोट देते हुए कहा _ पैसे तो लेते जाओ।

थोड़ी देर में वो लड़का चाय लेकर आया।मिट्टी की प्याली में चाय का स्वाद बहुत अच्छा लगा उसे ।

चाय पीते हुए उसने उस लड़के से कहा _ तुम चाय नही पिओगे क्या।

नही मैडम मैं तो यहां पिता ही रहता हूं ।कोई बात नही जाओ तुम भी चाय पी लो ।दामिनी ने कहा ।

वो लड़का फिर छाता लेकर चाय पीने चला गया।दामिनी ने अपनी घड़ी में देखा रात के दो बज चुके थे

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*”दामिनी का दम”* (भाग-2) – श्याम कुंवर भारती : Moral stories in hindi

लेखक _ श्याम कुंवर भारती

बोकारो ,झारखंड

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