बेटा, तूने घर-वापसी में बहुत देर कर दी। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

बेटा, सब कुछ रख तो लिया, कुछ छूट तो नहीं गया?

गीता जी ने भारी मन से पूछा, और अपने आंसू छुपा लिए।

हां, मम्मी सब कुछ रख लिया  है, आप फ्रिक मत कीजिए, फिर कोई सामान छूट भी गया तो, बाहर से नया खरीद लूंगा, वैसे भी हमारे शहर में इस शहर से अच्छी कई सारी दुकानें हैं, वहां तो किसी चीज की कोई कमी नहीं है, रात को ऑर्डर करो, तो सुबह सामान दरवाजे के बाहर आ जाता है, नमन ने लापरवाही से कहा।

वो अपनी ही धुन में मग्न था, बूढ़ी मां के आंसू और पिता की बेबसी उसे नजर नहीं आ रही थी।

इस बार भी तू बहू और बिट्टू को नहीं लाया, अगली बार जरूर लेकर के आना, उनसे तो कभी मिले ही नहीं, काफी समय हो गया है, गीता जी ने मायूसी होकर कहा।

अरे!! मम्मी दोनों यहां आकर क्या करेंगे? फिर यहां पर कुछ सुविधाएं भी तो नहीं है,  बिट्टू तो अभी छोटा सा है, यहां आकर परेशान हो जायेगा।’

लेकिन बेटा हम दादी-दादा बन गये है, हमारा भी मन करता है, अपने पोते को गोद में खिलाएं, गीता जी ने कहा।

दादी-दादा का प्यार वो क्या होता है?  मै तो कभी अपने दादी-दादा के पास नहीं गया, ना ही वो लोग कभी घर पर आयें, तो क्या फर्क पड़ता है?

गीता जी और कमल जी को जैसे समय ने करारा चांटा मार दिया हो, दोनों जडवत हो गये, नमन ने सामान उठाया और वो चला गया।

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गीता जी और कमल जी की बूढ़ी आंखें उसे देर तक जाते हुए देखते रहे, तभी सब्जी वाले ने आवाज दी, “अम्मा सब्जी ले लो, ताजा लाया हूं, अभी खेत से तोड़ी है।’

गीता जी की तंद्रा टूटी और उन्होंने सब्जियां खरीद ली,  वो खाने की तैयारी में लग गई, आलू टमाटर 

की सब्जी बेटे को बहुत पसंद थी, वो नहीं होता था तो उसकी याद में गीता जी की आंखें गीली हो जाती थी, आखिर नमन उनकी एकमात्र औलाद थी।

उसे नहीं पता था कि वो यहां एक तड़पती मां और बेबस पिता को अकेले छोड़कर जा रहा है, उसके शहर में सब कुछ मिलता है, पर माता-पिता का प्यार और परवाह नहीं मिलेगी।

नमन की परवरिश में उन्होंने कभी कोई कमी नहीं छोड़ी थी, गीता जी खुद नौकरी करती थी, और अपने बच्चे के लिए हर महंगें से महंगा खिलौना लेकर आती थी, स्कूल में जब नमन था तो उसके पास सभी तरह के वीडीयो गेम्स, की भरमार थी, उसके सहपाठी भी उससे कहा करते थे कि तू कितनी किस्मतवाला है, तेरे तो मम्मी -पापा दोनों ही कमाते हैं, और तुझे अपने भाई-बहन भी किसी चीज के बंटवारा नहीं करना पड़ता है। ये सुनकर वो भी घमंड से भर जाता था, इकलौता होने की वजह से उसकी हर इच्छा पूरी की जाती थी, इसी कारण वो काफी जिद्दी और लापरवाह हो गया था।

दोनों माता-पिता के प्यार और पैसे ने उसे बिगाड़ कर रख दिया था, पढ़ाई में वो होशियार था और इसीलिए उसका शहर के नामी-गिरामी कॉलेज में एडमिशन हो गया था, परिवार से बस यही संस्कार मिले थे कि तुझे अपनी मम्मी -पापा से भी आगे बढ़ना है, और पैसा कमाना है, बड़ा आदमी बनना है।

कॉलेज की पढ़ाई पूरी होते ही उसकी नामी-गिरामी कंपनी में नौकरी लग गई और वो अमेरिका चला गया, उसके जाने के बाद गीता जी को अहसास हुआ कि उन्होंने जीवन में क्या खोया है, इधर गीता जी और उनके पति दोनों रिटायर हो गये थे, नौकरी करने की वजह से, और करियर बनाने की वजह से उन दोनों ने देर से शादी की थी, और इसी वजह से नमन भी देरी से हुआ था।

अब दोनों की उम्र ढलने लगी थी, पर दोनों घर में अकेले हो गये थे, नौकरी और करियर की वजह से दोनों ने घर-परिवार से भी ज्यादा रिश्ता नहीं रखा और ये ही चीज नमन में भी आ गई थी।

कमल जी भी अपने घर-परिवार बूढ़े माता-पिता को कभी संभालने नहीं जाते थे, केवल कुछ पैसे भेजकर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर लेते थे, ना ही उनके माता-पिता कभी उनके पास रहने आते थे, क्योंकि गीता जी को ससुराल से आया हुआ कोई बंदा पसंद नहीं था, वो घर में क्लेश मचा देती थी, ना ही वो अपने ससुराल जाती थी, नमन हमेशा ही अपने दादी-दादा के प्यार से वंचित रहा था।

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कुछ सालों तक नमन ने वहां नौकरी की और अपनी पसंद की लड़की से शादी कर ली, और दो साल बाद उनके पोते बिट्ट का जन्म हो गया। कभी-कभी बस फोन पर बात हो जाती थी। गीता जी और कमल जी दोनों को पेंशन मिलती थी, उनके पास पैसो की जरा भी कमी नहीं थी, बस अपनेपन और अपनों की कमी उन्हें अब खलने लगी थी।

जवानी तो बच्चों,करियर और घर-परिवार संभालने में चली जाती है, लेकिन बुढ़ापा ठहराव और साथ मांगता है,  अब दोनों को अपना ही घर अखरने लगा था।

एक दिन सुबह नमन का फोन आया कि कंपनी उसे अमेरिका से मुंबई भेज रही है, वो लोग अगले कुछ महीनों में मुंबई सेटल हो जायेंगे, बेटा विदेश से वापस आ रहा है, ये खबर उनके लिए बहुत सुखदायक थी, कुछ महीनों बाद नमन मुंबई आ गया और बाद में वो अपने शहर क्योंकि उसके कॉलेज की रियुनियन थी।

नमन आया और मिलकर चला गया, गीता जी और कमल जी देखते रह गए,  उनकी बहू और पोते ने अभी तक उनके घर में कदम नहीं रखा, और पोते को उन्होंने अभी तक गोद में नहीं खिलाया, गीता जी का मन बड़ा मचलता, तरसता, लेकिन वो रोज आंसू बहाती और चुप हो जाती।, उन्हें अपनी सासू मां का दर्द महसूस हो रहा था।

बच्चों के बिना माता-पिता का जीवन कितना सूना हो जाता है, उन्हें अब ये चीज समझ में आ रही है, उन्होंने कभी अपने बूढ़े सास-ससुर की भावनाओं की परवाह नहीं की, कमल जी जब भी गांव जाते थे, तो वो किसी ना किसी बहाने से रोक लेती थी, आखिर उनके सास-ससुर चल बसे, अब उन्हें यही लगता था कि उनके सास-ससुर की आह ही उन्हें लगी है।

एक सुबह कमल जी को अचानक से हार्ट अटैक आया, वो घबरा गई, उन्होंने बेटे को फोन लगाया, पर वो कंपनी के काम से दूसरे देश गया हुआ था, उन्होंने अकेले ही कमल जी को संभाला, और नमन विदेश से आने के बाद भी उनसे मिलने नहीं आया।

गीता जी और कमल जी को कभी नमन ने अपने घर भी नहीं बुलाया, बस वो फोन पर ही समाचार लेता रहता था, इसी तरह समय निकलता गया, बिट्ट अब बड़ा हो गया था, और नमन की पत्नी की कैंसर से मृत्यु हो गई थी। बिट्ट भी बाहर विदेश पढ़ने चला गया, नमन अब अकेला रह गया था, उसे अपने घर और माता-पिता की याद सताने लगी।

अचानक आये बिट्टू के एक फोन से नमन का दिल धक रह गया, पापा मैंने यहां मैरी से शादी करके यहां की नागरिकता ले ली है, और अब कभी मेरी घर वापसी नहीं होगी।

ये सुनकर नमन आज अपने आपको अकेला महसूस करने लगा। उसने एक निर्णय लिया, और अपनी तमाम जायदाद बेचकर कुछ हिस्सा अपने पास रखा और कुछ वृद्धाश्रम में दान कर दिया।

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गीता जी अब काफी बुजुर्ग हो गई थी, कमल जी भी बिस्तर पर रहने लगे थे, फोन की घंटी बजती है, हां बेटा नमन खुश रहो, उन्होंने कांपती आवाज़ में कहा।

 “मम्मी, मै वापस घर आ रहा हूं, आप दोनों को छोड़कर अकेला गया था, और अकेला ही वापस आ रहा हूं, आप दोनों के साथ हमेशा रहूंगा, मुझे इन दिनों समझ में आ गया है, माता -पिता ही सगे होते हैं, और हमेशा बच्चों को  वो ही सहारा देते हैं, मै अब आप दोनों को छोड़कर कहीं वापस नहीं जाऊंगा, मै घर वापसी कर रहा हूं, मै अपने घर आ रहा हूं, आप मेरे लिए आलू-टमाटर की वो ही चटपटी सब्जी बनाकर रखना।

गीता जी को विश्वास नहीं हुआ, उन्होंने ये खुशखबरी कमल जी को सुनाई, खुशी के मारे कमल जी को दोबारा से हार्ट अटैक आ गया, गीता जी को भी सदमा लग गया, अगली सुबह देर तक घर की घंटी बजती रही, लेकिन अंदर से किसी ने दरवाजा नहीं खोला, नमन ने कई फोन भी कर दिये, मजबूर होकर घर का दरवाजा तोड़ा गया, कमल जी बिस्तर पर और गीता जी जमीन पर लेटी थी, पति के गम में उनके भी प्राण निकल गये थे, नमन को जैसे दोनों कह रहे थे कि, बेटा तूने घर वापसी में बहुत देर कर दी।

धन्यवाद 

लेखिका 

अर्चना खंडेलवाल

मौलिक अप्रकाशित रचना 

सर्वाधिकार सुरक्षित 

VM

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