भगवान का कोई बंटवारा नहीं कर सकता – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

“जो रिश्ता विपत्ति बांटने के लिए बनाया जाता है वह रिश्ता खुद संपत्ति बांटने के चक्कर में बट जाता है अपने गांव में हमने कई घरों में देखा है माता-पिता को अपने ही बच्चों के बीच में बटते हुए  इसलिए हमने भी सोच लिया है बेटा जैसा तुम कहोगे हम वैसा ही करेंगे अब बताओ मुझे कहां रहना है तुम्हारे पास या शिशिर के पास” शशिकांत अपने छोटे बेटे मिहिर से बोले पापा की बात सुनकर मिहिर सोच में पड़ गया था

उसके पापा मम्मी आपस में बहुत प्रेम करते थे अपने दोनों बेटे शिशिर और मिहिर को उन्होंने बड़े ही प्यार से यह सोचकर पाला था कि बुढ़ापे में वह सब मिलकर एक साथ रहेंगे क्योंकि बेटों के अलग होने से माता-पिता का जीवन बेटों के बीच में बटने से दुखमय हो जाता था माता-पिता वृद्धावस्था में दोनों बेटों के दूर-दूर रहने के कारण एक दूसरे से बात करने को भी तरस जाते थे उनके गांव के कई बुजुर्ग जब उनसे अपना दुखड़ा सुनाते तो

शशिकांत गर्व से उनसे कहते ” मेरे बेटे कभी अलग नहीं होंगे मैंने उन्हें बड़े प्रेम से पाला है”तब बुजुर्ग उनकी बात सुनकर  यह कहकर “कितना भी प्रेम से पाल  लो  बच्चों को… शादी के बाद सब  बेटे बदल जाते हैं” व्यंग्य से मुस्कुरा देते थे।

  उनकी पत्नी मैना भी बेहद मधुर स्वभाव की स्वामिनी थी दोनों बेटों का विवाह उन्होंने धूमधाम से राधिका और मोनिका के साथ कर दिया था अपनी दोनों बहूओ राधिका और मोनिका से वह बेटियों से भी ज्यादा प्यार करती थी घर में खाने पीने या फिर किसी काम की वजह से क्लेश ना हो यह सोचकर वह दोनों के उठने से पहले ही खाना तैयार करके रख देती थी उनके इसी गुण के कारण परिवार के सभी लोग एक साथ मिलकर रहते थे।

    एक बार मैंना को बहुत तेज बुखार आ गया जब वह खाना बनाने को चली तो उन्हें जोर से चक्कर आ गया था जिसके कारण वह दवाई लेकर बिस्तर पर लेट गई उस दौरान खाना बनाने को लेकर राधिका और मोनिका में बहस हो गई थी मोनिका चाहती थी कि राधिका और वह दोनों मिलकर खाना बनाए परन्तु ,राधिका ने घर में कोई भी काम करने से साफ इनकार कर दिया तब मोनिका को बहुत बुरा लगा था

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जब मिहिर ने मोनिका को समझाने का प्रयास किया तो मोनिका  गुस्से में बोली”आज के बाद मैं इनके साथ नहीं रहूंगी मम्मी बीमार हो गई तो क्या यह घर के काम में मेरा हाथ नहीं बटा सकती जब मैं इनसे अलग हो जाऊंगी फिर देखना इन्हें खुद अकेले घर का सारा काम करना पड़ेगा तभी इन्हें अकल आएगी।”पत्नी की बात सुनकर मिहिर ने रोजाना घर मैं काम के पीछे होने वाले क्लेश से बचने के लिए तुरंत ही भाई से अलग रहने का फैसला कर लिया था।

    जिसे सुनकर उसके बड़े भैया भाभी तो खुश हो गए थे लेकिन उसके मम्मी पापा उदास हो गए थे उदास मन से उन्होंने दोनों भाइयों के बीच अपने घर जमीन और सामान का तो बंटवारा कर दिया था परंतु, वे  यह निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि वह कौन से बेटे के पास रहे पापा की बात सुनकर  मिहिर मुस्कुराते हुए बोला

“पापा आप और मम्मी दोनों मेरे लिए भगवान के समान है और भगवान का कोई बटवारा नहीं कर सकता मैं चाहता हूं कि आप दोनों हमेशा मेरे साथ रहे जब आपका बड़े भाई के पास रहने का मन करे तो आप उनके पास भी रह लेना लेकिन वहां भी मम्मी के साथ ही रहेंगे क्योंकि बुढ़ापे में ही पति पत्नी दोनों को एक साथ रहने का मौका मिलता है जवानी तो दोनों की बच्चों का जीवन सवारने में ही गुजर जाती है अब बताओ आपको मेरा निर्णय कैसा लगा?”

   मिहिर की बात सुनकर उसके मम्मी पापा की आंखों से आंसू बहने लगे थे शादी के बाद भी बेटों के मन में उनके प्रति सम्मान और प्रेम में कोई कमी नहीं आई जिस प्रेम और विश्वास से उन्होंने अपने दोनों बेटे की परवरिश की थी उनके बेटों ने उनका विश्वास टूटने नहीं दिया था बस घर की शांति के लिए ही दोनों ने अलग रहने का निर्णय लिया था शिशिर को भी छोटे भाई का निर्णय बहुत पसंद आया उसने भी इस निर्णय पर अपनी सहमति

जता दी थी तब”बहुत बढ़िया” कहकर शशिकांत और मैंना ने बेटे को अनेक आशीर्वाद देते हुए  उसे अपने गले से लगा लिया था उसके बाद दोनों पति-पत्नी खुशी-खुशी जब भी जिस बेटे के पास रहने को मन करता रहने के लिए चले जाते थे उनके दोनों बेटे ने उन पर कभी अपना हुकुम नहीं चलाया था।

एक सत्य घटना पर आधारित रचना है यह काश! समाज के सभी बेटे यदि अपने माता-पिता को ऐसे ही सम्मान और प्यार दे तो किसी भी घर में माता-पिता का बंटवारा न हो जिससे  सभी माता-पिता अपने बच्चों के साथ अपनी वृद्धावस्था के अंतिम दिन खुशी खुशी व्यतीत करें।

बीना शर्मा

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