क्या सच में सासु माँ नाराज़ नहीं है…. – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ यार पहले हमें घर जाना होगा माँ ने बुलाया है…।” अपनी माँ से बात करने के बाद फ़ोन रखते हुए निकुंज ने राशि से कहा 

“ पर मैं तो पहले अपने घर जाने वाली हूँ … उसके बाद माँ के पास जाने का प्रोग्राम बनाया था ताकि उधर ज़्यादा दिन रूक कर उधर से ही हम वापस अपने शहर आ सकें… सारी टिकटें बुक करवा कर अब ये हेरफेर करना मुझे सही नहीं लग रहा…. एक तो हम लोग दक्षिण भारत में रह रहे हैं टिकट भी उतने ही महँगे और अब ये बदलाव करना मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा है….

बहुत ज़्यादा ज़रूरी है तो तुम माँ के पास पहले चले जाओ …मैं बच्चों के साथ पहले मायके चली जाती हूँ फिर उधर से ससुराल आ जाऊँगी…. सबके टिकट पर बहुत ज़्यादा पैसे लग जाएँगे सोच कर देखो ?” राशि ने निकुंज की परेशानी दूर करने के ध्येय से कहा 

“ पर यार तुम तो जानती हो माँ को…. तुम्हें लेकर नहीं गया तो पता नहीं कितना ग़ुस्सा करे और नाराज़ होकर बात ही ना बंद कर दे ।”निकुंज ने कहा 

“तुम उन्हें बोल देना बाद की टिकट ली है उनकी …. मैं जल्दी आ गया….  क्या ही ज़रूरत बोलने की मायके जा रही हूँ…. वैसे भी मेरे मायके जाने के नाम से ही पता नहीं वो क्यों भड़क जाती है ।”राशि सासु माँ के ताने याद करती हुई बोली 

“ चलो देखता हूँ…।” कह कर निकुंज अपनी टिकट बदलने लगा और राशि और बच्चों का जो तय था वही रहने दिया 

दोनों एक ही दिन अपने अपने घर के लिए निकल गए…. निकुंज को अकेला आया देख कर सासु माँ ने पूछा,“ बहू और बच्चों को क्यों लेकर नहीं आया…. साल में एक बार तो आना होता है….यहाँ आने का उसका मन ही नहीं करता…. बच्चों को भी छोड़ कर आ गया…. सब लोग पूछेंगे तो क्या जवाब दूँगी…सौ लोग सौ तरह की बात करते हैं तुम लोगों को कहाँ ये सब समझ आएगा?”सरला जी ने निकुंज से नाराज़ होकर बोली

“ माँ वो बाद में आएगी टिकट ही नहीं मिल रहा था….इसलिए मैं अकेले ही आ गया… हमें लगा कोई ज़रूरी काम होगा… तभी तुम आने के लिए बोल रही हो …पर तुम तो बस शिकायत में लगी हो।” निकुंज ने थोड़ा ग़ुस्सा ज़ाहिर करते हुए कहा 

“ अरे नहीं बेटा…. बहू और बच्चे भी आते तो अच्छा लगता ।”कह कर सरला जी चुप हो गई पर निकुंज जानता था माँ को राशि और बच्चों का ना आना कहीं ना कही साल रहा था 

दो दिन बाद निकुंज बेटे से विडियो कॉल पर बात कर रहे थे तभी सरला जी आ गई….उन्हें देखते ही दिव्य ने प्रणाम दादी कहा पर वो तो ग़ुस्से में तमतमाई दिखी…. कुछ ना बोली … राशि किनारे से सासु माँ का ये रूप देख कर दंग रह गई…. इतना ग़ुस्सा….इतनी नाराज़गी…

“ बहू मायके गई हुई है और मुझे कह रहा है बाद में आएगी….काहे झूठ कहा हमसे ।” सरला जी ग़ुस्से में निकुंज से बोली 

“ माँ तुम्हें पता है ना राशि की माँ के पैर में प्लास्टर चढ़ा हुआ है….और वो बहुत कमजोर हो गई है….वो बस अपनी माँ से मिलकर यहाँ आ जाएगी……तुमने उनसे एक शब्द बात तक नहीं की उपर से ग़ुस्सा दिखा दी… तुम्हें बता ही देता वो मायके गई है तो तुम कौन सा खुश हो जाती इसलिए बोला बाद में आएगी…. जाना तो मुझे भी चाहिए था उन्हें देखने पर राशि ने कहा माँ को शायद आपकी ज़्यादा ज़रूरत होगी

इसलिए बुला रही है…आप वहाँ चले जाइए….. तुम राशि के यहाँ नहीं आने से इसलिए नाराज़ हो की अड़ोस पड़ोस के लोग पूछेंगे निकुंज अकेला आया है बहू क्यों नहीं आई …जरा सोच कर देखो उसके घर पर भी तो लोग बोल रहे होंगे दामाद जी नहीं आए…. पर उसकी माँ ने तो एक बार भी शिकायत नहीं की …सब को कह दिया है जरूरी काम पड़ गया आने वाले तो थे ही….

एक तुम हो बस अपना देखती हो…वैसे मैं एक बार बताया भी था उसकी माँ की तबियत ठीक नहीं है… तुम जब जान ही गई है वो मायके में है तो झूठे मुँह भी नहीं पूछी माँ कैसी है?”निकुंज को माँ का इस तरह ग़ुस्सा करना अच्छा नहीं लगा था 

कुछ देर बाद राशि निकुंज को फ़ोन कर के पूछी,“ माँ अभी भी नाराज है क्या…. पता था मेरा मायके आना उनको जरा भी पसंद नहीं आता…. और वही हुआ…. खैर दो दिन बाद तो आ ही रही हूँ ….बस वो ये ग़ुस्सा मेरे आने पर ना करें नहीं तो आने का मन भी नहीं करेगा।” राशि की मायूस आवाज़ सासु माँ के गुस्से को बयान कर रही थी 

अगले दिन शाम को अचानक निकुंज राशि के घर आ गया… सब बहुत आश्चर्य कर रहे थे क्योंकि लो बिना बताएँ जो आ गया था…. 

“ आप ऐसे अचानक आने की खबर भी नहीं की….कार से सात घंटे का सफर कर आ गए..।” राशि आश्चर्य से पूछी 

“ज़्यादा आश्चर्य मत करो… माँ ने भेजा है… कल वो जब तुम सब पर ग़ुस्सा कर रही थी तो मैं भी थोड़ा नाराज़ हो गया और बोला वो अपनी बीमार माँ को देख कर आएगी यहाँ…. तुम्हें बुरा लग रहा बहू नहीं आई उसके यहाँ भी तो लोग बोल रहे होंगे दामाद नहीं आया बीमार सास को देखने…. बस उसी बात पर बोली बेटा शादी के बाद बहू बनते ही मैं यही देखती रही हूँ कि पहले ससुराल बाद में मायका….

हमें यही बताया गया है कि शादी के बाद मायके से रिश्ता ज़्यादा नहीं रखना … जो है बस ससुराल ही है…. यही देखती आई तो वैसी ही मेरी सोच हो गई है…जा बेटा वो भी तो एक माँ है… मेरी बेटी नहीं है …शायद इसलिए बेटी की माँ का दर्द नहीं समझ सकी पर मैं तो बेटी हूँ ना… शायद मेरी माँ भी कभी मेरे लिए तरसा करती होगी… यही सोच कर लग रहा है जा तू मिल आ सास से फिर बहू और बच्चों को भी साथ लेते आना….।”निकुंज ने राशि की जिज्ञासा शांत करते हुए कहा 

राशि के घर पर भी सब दामाद को देख कर बहुत खुश हो गए… दो दिन बाद राशि बच्चों को लेकर निकुंज के साथ ससुराल चली गई….मन में अभी भी डर समाया हुआ था सासु माँ के तानों का … उनकी नाराज़गी का …बेटा तो उनका है बोल कर पटा ली पर बहू से तो खार खाई बैठी होगी…

सात घंटे का सफर कर जब राशि ससुराल पहुँची तो सासु माँ के व्यंग्य बाण के तीर से शिकार होने के लिए वो तैयार ही थी…. 

शाम हो गया … रात बीत गई दूसरी सुबह हो गई…. सासु माँ का व्यवहार राशि के समझ से परे था…. वो ना नाराज़ थी ना कुछ ग़ुस्से में ही बोली…..

चार दिन रह कर राशि वापस अपने शहर आ गई…. सासु माँ के कुछ ना कहने का मतलब समझ ही नहीं आ रहा था… ऐसा चमत्कार कैसे हो सकता है…. 

“ निकुंज मुझे समझ नहीं आ रहा… फोन पर इतना ग़ुस्सा दिखाने वाली सासु माँ सामने आने पर एक शब्द भी नहीं बोली और इतने प्यार से रही कि मुझे हजम ही नहीं हो रहा।” राशि आश्चर्य व्यक्त करते हुए निकुंज से बोली 

निकुंज के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई…,“ वो माँ भी ना…बड़ी अजीब है….अरे हम लोग अब वहाँ कम ही जा पाते हैं और फिर जब तुम नहीं गई तो अड़ोस पड़ोस के लोग उससे सवाल करते हैं जो उसे अच्छा नहीं लगता बस इसलिए वो उस वक्त ग़ुस्सा जता रही थी मतलब  जब कोई सामने होता है कोई पहचान वाला या पड़ोसी सामने होता है तो उनके सामने तुम लोग नहीं आई हो इस बात को लेकर वो जता रही थी कि तुम सब के नहीं आने से वो कितना ग़ुस्सा है… पर जब तुम्हारे नहीं आने की कारण जान गई तो सामान्य हो गई…

फिर किस बात पर ग़ुस्सा करती …. गलत तो तुम थी ही नहीं …. और वो खुद पर ग़ुस्सा हो रही थी कि बहू की माँ की तबियत ख़राब थी और वो तुम पर ऐसे ग़ुस्सा कर गई इसलिए इतने दिन वो तुम्हें नाराज़ नहीं करना चाहती थी ताकि आगे तुम्हारे घर जाने की उम्मीद बनी रहे नहीं तो उन्हें भी पता है बहू को ग़ुस्सा आया तो आने से रही…।” कह कर निकुंज जोर से हँस दिया 

“ उफ़्फ़ ये सासु माँ खुद को क्या दिखाई और क्या निकली…. मतलब वो लोगों को जताने के लिए नाराज़गी दिखा रही थी कि बहू यहाँ नहीं आई…और जब मैं गई तो नाराज़गी नदारद…. मैं डर रही थी ना जाने कितना कुछ सुनाएगी…।”राशि निकुंज से सासु माँ कीं बातें सुन कर उसपर पर गौर फरमाती हुई बोली

“ माँ भी ना सच में ऐसी ही है…अंदर से नरम बाहर से सख़्त….।“ निकुंज शायद माँ को याद कर भावुक हो बोला 

“ सच में माँ को मैं समझ ही नहीं पाई… मुझे ऐसा ही लगता था मेरे मायके जाने से वो नाराज़ रहती हैं पर वो तो पड़ोसियों और रिश्तेदारों में अपनी धाक दिखाने को नाराज़ हो रही थी ।“ राशि सासु माँ की कलाकारी पर हँस दी

दोस्तों क्या आपकी सासु माँ भी ऐसा करती है…. अपने विचार व्यक्त करें… रचना पसंद आये तो कृपया उसे लाइक करे और कमेंट्स करे ।

धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

# नाराज़

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