क्या आप मुझे बता सकते है गुरूजी किस दिशा में गए है?
(तांत्रिक के चेले ने पूछा)
हां हां क्यों नहीं…( गौरीशंकर)
उन्होंने मुझसे नदी को तरफ जाने वाला मार्ग के बारे में पूछा था और रात के करीब 12 बजे वो उसी दिशा में गए थे साथ में मैं भी जा रहा था लेकिन उन्होंने मुझे मना कर दिया था…
जी बहुत बहुत धन्यवाद ( चेला)
क्या आप मुझे एक लोटे में जल लाकर दे सकते है ?
हां हां क्यों नहीं ( गौरीशंकर लाकर लोटे में जल देता है)
मुझे गुरूजी के उस स्थान पर ले चलिए जहां उन्होंने आपसे मार्ग के बारे पूछा था ….
जी चलिए ….( गौरीशंकर अपने घर के आंगन में ले गया)
तांत्रिक महाराज के चेले ने लोटे के जल को नीचे रखा कर कुछ मंत्र का उच्चारण करता रहा और लगभग 5 मिनट के बाद ही जल का रंग बदलकर लाल हो गया….
मेरे गुरूजी बहुत बड़े संकट में है…..( अचानक चेले ने आंख खोल कर बोलना शुरू किया और घर से निकल कर चला गया)
इधर गौरीशंकर और उमा बिलकुल लाचार खड़े एक दूसरे को आंखो में आंसू भरकर देखते रह जाते है …..
गौरीशंकर तुरंत अपनी पत्नी को साथ लेकर गांव के मंदिर जाकर भगवान भोलेनाथ के शरण में अपने आप को समर्पित कर देते है..
भोलेनाथ ..अगर मुझसे कोई गलती हुई है तो आप मुझे सजा दीजिए प्रभु पर मेरे बच्चों को उससे मुक्त करा दीजिए ..( गौरीशंकर रोते हुए भोलेनाथ से प्रार्थना करता है)
और फिर घर चला आता है…
अब तो बस एक ही उपाय है उमा ….
क्या ? ……( उमा)
श्री महाबलेश्वर जी महाराज का इंतजार …
क्योंकि तांत्रिक महाराज ने जल की सहायता से महाराज जी को जीवित दिखाया है ..
कल चार दिन हो जाएंगे और पांचवे दिन उन्होंने आने को बोला था…
उमा और गौरीशंकर अब बस इंतजार और महादेव की पूजा के अलावा और कुछ नहीं करता …
आज पांचवा दिन था पिछले दो दिनों से गौरीशंकर का घर बिलकुल शांत था और वे दोनो महाराज जी की रह देख रहे थे
इंतजार करते करते दोपहर हो गई
महाराज जी अभी तक नही आए जी ( उमा ने गौरीशंकर से पूछा)
अभी शाम तक समय है न इंतजार करते हैं..
लेकिन शाम होने के बाद भी महाराज जी कही दूर दूर तक दिखाई नहीं दे रहे थे।
लगता है तांत्रिक ने हमे कुछ झूठा दिखा दिया था की महाराज जी जिंदा है अगर जिंदा रहते तो जरूर आ जाते उन्होंने वचन दिया था की पांचवे दिन जरूर आऊंगा , क्या वो अपने वचन को ही भूल जाएंगे ?
नही नही..
वो इतने बड़े साधु अपने वचन को कैसे तोड़ सकते है ( कहते कहते गौरीशंकर और उमा के आंखो में आंसू के धार आ जाते हैं)
रात के करीब 9 बज रहे थे और गांव बिलकुल सन्नाटे में था, दो चार कुत्ते भौंकने की आवाजे आ रही थी
तभी दरवाजे पर दस्तक होती है
गौरीशंकर…..
गौरीशंकर..
गौरीशंकर घबरा जाता है ।
इस समय रात को कौन हो सकता है और जाकर दरवाजा खोलता है तो सामने स्वयं श्री महाबलेश्वर जी महाराज को साक्षात देखकर गौरीशंकर उनके पैरों में रोते रोते गिर जाता है ।
उमा भी रोने की आवाज सुनकर दौड़ पड़ती है और सामने महाराज जी को देखकर वो भी उनके चरणों में गिर पड़ती है
और…
महाराज जी …
मेरे बच्चे कहां है?.. ( उमा रोते हुए बोलती है तो महराज जी गौरीशंकर को प्रश्न भरी निगाहों से देखते है)
(गौरीशंकर महाराज जी को बैठने का आग्रह करते हुए उनके जाने के बाद की सारी घटनाएं सुना देता है)
महाराज जी ने आंखे बंद की और सारी घटना चक्र को समझते हुए मुस्कुरा उठे और बोले …
उस चुड़ैल ने खुद के पांव पर कुल्हाड़ी मार ली है…
इस शब्द को सुनने के बाद गौरीशंकर के मन में आशा की किरण जग उठता है
पुत्री ….
उठो और निश्चित होकर जाओ और मेरे खाने की व्यवस्था करो क्योंकि जब तक “महिधर ” वहां है उस चुड़ैल की इतनी साहस नहीं की विष्णु और अपूर्वा को हानि तो छोड़ो उसे छू भी नहीं सकती।
महिधर कौन है महाराज जी ( गौरीशंकर ने पूछा)
वही तांत्रिक जिसने तुम्हारे घर को सुरक्षित कर रखा है गौरीशंकर
परंतु आपको कैसा पता उनका नाम?
हा हा ( मुस्कुराते हुए)
क्योंकि मैंने अपनी शक्ति से उसे देखा वो तो मेरा बचपन का सखा है..
हां महाराज ..
उन्होंने मुझे भी बताया था की मैं तुम्हारे यहां तुम्हारी खातिर नही बल्कि अपने बालसखा की खातिर जा रहा हूं….
वो आपकी मृत्यु की खबर सुनकर व्याकुल हो उठे थे और यहां आपके बारे में उन्होंने ही बताया था की आप जीवित है महाराज…
वो आज भी मेरी चिंता करता है ( महाराज जी उदास स्वर में बोलते है)
गौरीशंकर
मैं , महिधर और मलाकू तीन मित्र एक साथ ही गुरु आश्रम में पढ़ते थे। हम तीनो में घनिष्ट मित्रता थी लेकिन महिधर मुझसे बड़ा प्रेम करता था और मुझे बड़ा भाई समान समझता था जबकि मलाकू मित्र अवश्य था परंतु वो थोड़ा कुटिल भी था और महिधर को हमेशा कुछ उल्टा पुल्टा सिखाता रहता था ।
एक दिन मलाकू ने मेरे घर परिवार के बारे में महिधर को कुछ उल्टा पुल्टा कह दिया जिससे कुपित होकर महिधर ने मलाकू की बुरे तरीके से पिटाई कर दी जिससे गुस्सा होकर मलाकू आश्रम छोड़ कर भाग गया और महिधर पर मैने बहुत ज्यादा गुस्सा कर दिया जिससे उसी दिन महिधर भी वहां से भाग गया और इस तरह से हमारी मित्रता वहीं तक सीमित रह गई।
लेकिन मुझे यह जरूर पता था की महिधर तंत्र विद्या सीख रहा है शिव की अराधना करके जिसका उसने कभी गलतl उपयोग नहीं किया ..
परंतु मलाकू का पता नही चल पाया आज तक
हमने कई बार अपनी शक्ति का भी उपयोग किया उस तक पहुंचने की लेकिन पहुंच नही पाया ….
खैर अब मुझे मेरे बाल सखा से मिलने का समय आ गया है…
लेकिन महाराज वो तो पिछले दो दिनों से गायब हैं उनके कुछ चेले भी आकर पता करके गए लेकिन उनका कही पता नहीं चला
वो मुझसे नाराज़ होकर भागा था गौरीशंकर इसलिए वो मुझसे छुप रहा है नही तो उस चुड़ैल की इतनी शक्ति नहीं की वो उसको कुछ हानि पहुंचा सके….
अब तुमलोग केवल मेरा नही मेरे सखा महिधर के लिए भी भोजन बनाओ …
मैं उसे लेकर आता हूं ( कहकर महाराज जी उठकर चले गए)
इधर उमा और गौरीशंकर एकदम अवाक होकर एक दूसरे को निहार रहे थे
तभी गौरीशंकर ने उमा को भोजन तैयार करने के लिए बोला और उमा भोजन बनाने चली गई
उधर महाराज जी रात के दस बजे उसी स्थान पर पहुंचे जहां चंद्रिका से उनकी मुलाकात हुई थी, और धीरे से पुकारा….
महिधर….
ओ महिधर..
देखो मित्र तुमसे मिलने कौन आया है…
चंद्रिका की कानो में ये आवाज जैसे ही टकराई वो एक बार फिर अपने रौद्र रूप में आ गई और महाराज जी के सामने आकर अपने कुटिल मुस्कान और चेहरे पर गुस्से के साथ …
आखिर तुम फिर से लौट ही आए
क्यों … महाबलेश्वर?
महाराज जी ने चंद्रिका की ओर ध्यान न देकर फिर से पुकारा…
मेरे बाल सखा
अब तो मान जाओ मित्र…
तभी महाराज जी पर चंद्रिका एक जोरदार प्रहार करती है और महाराज जी कराह उठते है..
और दर्द भरी आवाज में …… मित्र अहिधर
झन्नाक…..
आह्ह्ह्ह्ह…..( चंद्रिका दर्द से चिल्ला उठी)
शायद इतना दर्द उसके चुड़ैल जीवन में कभी नहीं हुआ होगा जितना अहिधर के इस झन्नाटेदार थप्पड़ से हुआ होगा
ऐ चुड़ैल तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुम मेरे सामने ही मेरे मित्र को हानि पहुंचाओ….
इस रात जितना भी स्वच्छंद रहना है रह लो कल तुम हमारी मुठ्ठी में होगी और खबरदार जो तूने उन दोनो बच्चों की तरफ आंख भी उठाकर देखी तो जल कर खाक हो जायेगी…
चंद्रिका वहां से भागने में ही भलाई समझती है
महाबलेश्वर मेरे मित्र …
अहिधर मेरे सखा……
उन दोनो के पवित्र मिलन से आज पहली बार उस जगह पर एक धनात्मक ऊर्जा का प्रवाह हावड़ा था और ऐसा लग रहा था जैसे सारी नकारात्मक शक्तियां जल कर खाक हो जायेगी..
अहिधर तुम इसके कैद में कैसे चले गए थे तुम तो एक महान तांत्रिक हो….( महाराज जी)
वैसे ही जैसे तुझे इस चुड़ैल ने एक जोरदार प्रहार करके चोटिल कर दिया जबकि तुम एक महान शिव भक्त हो महाबलेश्वर…
तो तुमने केवल स्वांग रचा था …( हा हा हा…. हां ,हंसते हुए अहिधर)
स्वांग नही रचता तो तुम मुझसे मिलने आते क्या महाबलेश्वर?
तो जब मैने तुझे पुकारा तब क्यों नहीं आए ?
इसलिए मैने भी चोटिल होकर मिलने का स्वांग रचा था…
( दोनो हंसते हुए एक दूसरे के गले लग जाते है और गौरी शंकर के घर आ जाते है)
दोनो महान पुरुषों को एक साथ देखकर गौरीशंकर और उमा अपने को धन्य मानने लगती है और उन दोनों की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती
पुत्री..
अब तुम्हारे संकट दूर होने वाले है, तुमने हमारी बहुत निस्वार्थ सेवा की है इसलिए अब तुम्हे उसका फल भी मिलेगा , बस आज रात तक तुम अपने बच्चों से दूर हो।
अब तुम्हारे लिए जो करना पड़ेगा हम दोनो मिलकर करेंगे ……
कहकर उन्होंने गौरीशंकर को अगले सुबह कुछ सामान लेकर रखने को कह दिया और सभी अगली सुबह के लिए सोने चले गए……
शशिकान्त कुमार
अगला भाग
पापी चुड़ैल (भाग – 12)- शशिकान्त कुमार : Moral stories in hindi