तुम्हारे जैसी बहन भगवान किसी को न दे – अर्चना सिंह : Moral Stories in Hindi

” तनु बेटा !  मिठाई खिलाने के साथ – साथ राखी बाँधते समय वचन दो अपने भाई जय को कि कभी उसे किसी परिस्थिति में अकेले नहीं छोडोगी । राखी सिर्फ बांधने का नाम नहीं , निभाने का भी वचन है । ये सब बातें बोलते हुए तनु की मम्मी सीमा की आँखें नम और आवाज़ बोझिल हो रही थी । 

मम्मी ,आप भी न  ! 

 पुराने ख्यालात रखती हैं । ये सब  कहने से क्या फर्क पड़ता है, भाई तो मेरा है और रहेगा ही ।

सीमा ने थोड़ा झुंझलाते हुए कहा…”जब बोला है न तो कुछ सोच के बोला, कभी मान भी लिया कर ।

मम्मी के आदेश का पालन करने के लिए सोचते  हुए मुस्कुराकर  जैसे ही तनु पीछे मुड़ी तो देखा मम्मी नहीं थीं । तेज कदमों से चलते हुए वो घर के कमरों में झाँककर देखने लगी और उसके पीछे – पीछे जय भी था ।

“आखिर मिल ही गयी मम्मी । सीमा पूजा घर में  मंदिर के पास चुपचाप बैठी थी । जय ने खूब तेज़ी से मम्मी को अपने आगोश में भर लिया । तनु खड़े होकर मम्मी की आँखों को पढ़ना चाह रही थी । 

फिर तनु ने मम्मी के साथ बैठकर सीमा का चेहरा अपने हाथ मे लेकर ऊपर करते हुए पूछा..”क्या हुआ मम्मी , क्या कोई बात है ? अचानक आप उदास हो गईं, अब तक तो सब ठीक था । तभी जय की नज़र भी गयी । अब दोनो भाई – बहनों ने जोर लगाकर पूछना शुरू कर दिया । 

सीमा सवालों से बचने के लिए उठकर रसोई में गयी और गैस जलाकर पूरियाँ तलने के लिए कड़ाही चढ़ा दी । 

तनु ने जय को हटाकर ड्राइंग रूम में भेज दिया और खुद मम्मी के गले मे बाँहें डालकर पूछने लगी ..”बताइए न मम्मी, क्या हुआ ? अब खीझ सी रही थी सीमा लगातार एक सवाल से । थाली में अपने और भाई के लिए तनु ने पूरी- छोले, सब्ज़ी और खीर परोस लिया ।

खाकर दोनो भाई – बहन का मन गदगद हो गया ।  क्या बेजोड़ स्वाद है आपके हाथों में ।अब मैं निकलूंगी ऑफिस के लिए मम्मी, आज मीटिंग के दिन ही देर नहीं होना चाहती । ये बोलते हुए तनु माँ की ओर देख मुस्कुराने लगी लेकिन सीमा अभी भी अपने काम मे व्यस्त थी  । 

जय अपनी कोचिंग के लिए निकल गया । तब तक सीमा की कामवाली आ चुकी थी । सीमा ने घर के सारे काम करवा लिए और बाई को भेज के नहा कर जैसे ही नाश्ता निकाला खुद के लिए

उसकी आँखों के कोर आँसुओं से भीगते जा रहे थे ।

तनु जल्दी से मम्मी के पैर छुई और निकल गयी ऑफिस के लिए ।

 पूरा खाना अभी खत्म भी नहीं हुआ था, धीरे – धीरे पुरानी यादों के आगोश में  सीमा  समाहित होने लगी । सीमा , निशा और तेजस तीनों भाई – बहन एक साथ पले बढ़े ।बहुत प्यार था आपस में, सब एक दूसरे के लिए जान छिड़कते थे । सीमा और निशा दोनों बहनों की शादी एक सम्पन्न परिवार में हुई । निशा की शादी अलग शहर में हुई थी किसी खास अवसर पर ही उसका मायके आना जाना होता था । दोनों बहनें बहुत प्यार से इकलौते छोटे भाई तेजस को राखी बांधती थीं । बहनों की शादी के बाद भाई बिल्कुल अकेला पड़ गया । पढ़ने में बहुत अच्छा नहीं था तेजस । मम्मी हर दिन शिकायत करती परेशान कर रखा है, जाने इसकी ज़िन्दगी में क्या लिखा है हमारे जाने के बाद क्या होगा इसका । निशा को सुनकर दुःख हुआ तो उसने भाई को अपने पास बुलाकर रख लिया और इंजीनियरिंग में दाखिला दिलवाया । करीब दो साल वो निशा दीदी के पास रहा । सीमा भी अपनी मम्मी के साथ वहीं जाकर राखी बांध देती ।बचपन से माँ सामने बैठकर देखती और कहती रहती थी.. “सब भाई बहन आपस मे प्रण लो एक दूसरे का साथ कठिन परिस्थितियों में निभाओगे । सीमा निशा दोनो मुस्कुराकर रह जातीं पर राखी बांधने के बाद सीमा जरूर बोलती माँ से..”निभाना होता है माँ, बोलना नहीं होता । 

एक दिन निशा के ससुर की तबियत बिगड़ी तो निशा के पास सास- ससुर रहने आ गए । अब धीरे धीरे उसके लिए मुश्किल हो रहा था भाई को रखना  । उसने सीमा से चर्चा किया इस विषय पर और बहुत सोच समझ के सीमा ने  कहा..” मुझे रखकर क्या मिलेगा, कोई फायदा तो है नहीं । निशा ने चौंकते हुए कहा..” कैसी बात कर रही हो दीदी, हर कुछ फायदे के लिए नहीं किया जाता और फिर मम्मी उसके खर्चे तो उठाती ही हैं , अगर कुछ जरूरत हुई बोलोगी मम्मी से तो वो भी करेंगी । बात निशा ने साधारण रूप से कही लेकिन सीमा ने अपने नज़रिए से समझा और रखने का फैसला किया   ।

कॉलेज यहाँ से काफी पास था । कुल चार साल पूरे हो गए थे लेकिन तेजस का कहीं जॉब नहीं लगा था । उम्मीद करते करते एक दिन हार मानकर तेजस ने शिक्षक परीक्षा के लिए दीदी के शहर में ही  आवेदन दिया और वो पास हो गया । पन्द्रह दिन बाद स्कूल में तेजस जॉइन कर लिया  । सब कुछ अच्छा चल रहा था । सीमा के पति ऑफिस के काम से प्रायः भ्रमण दौरे पर रहते थे । मम्मी की तबियत अब कुछ महीनों से खराब होने लगी थी । तेजस के लिए साधारण घर की लड़की प्रिया को देखकर बिना दहेज लिए शादी कर दिया गया ये सोचकर कि बीमार  सास की सेवा कर सके । बहुत नम्र स्वभाव था प्रिया का, पति और सास दोनो की सेवा करती । 

उस दिन राखी का ही त्योहार था । सुबह डॉक्टर को जाँच करा के सीमा और निशा ने अपनी मम्मी को लाया था । उस दिन ज्यादा लाचार और असहाय महसूस कर रही थीं सीमा निशा की मम्मी ।

फिर भी बहुत हिम्मत बनाते हुए उन्होंने कहा…बेटा ! प्रण ले भाई से साथ हमेशा एक दूसरे का दोगे । सीमा मुस्कुराई और जाने क्या उसके दिमाग मे आया अपनी भाभी प्रिया को पूछने लगी..सम्पत्ति के कागजात किधर हैं, मम्मी के जीवन का कोई भरोसा नहीं है अब । जो भी कागज छूट रहे हैं या किधर रखे हैं मम्मी से पूछ लो । क्या पता कब क्या हो जाए ।

प्रिया और तेजस अपनी सीमा दीदी की मानसिकता को भाप नहीं पाए थे और दोनो ने ढूंढकर सारे कागज़ात ला दिए । तेजस काफी परेशान था माँ के बिगड़ते हालात देखकर । सीमा ने उसका फायदा उठाया और हड़बड़ में तेजस से बोला.. “इसमें माँ के साइन हैं तुम भी अपना कर दो । आखिर सब कुछ तो तुम्हारा ही है । भावावेश में आकर तेजस ने साइन कर दिया । और जिस घर मे वो रह रहा था वो घर सीमा ने अपने नाम करा लिया । 

जब कुछ दिन में सीमा के बदले रुख नज़र आने लगे तेजस को तो उसने पूछा क्या हुआ दीदी उखड़ी हुई दिखती हो ? सीमा ने कागज़ दिखाए । निशा, तेजस और प्रिया के होश उड़ गए । सीमा मुस्कुराते हुए कह रही थी तेजस से..”तुम हमेशा बोलते थे न तेजस कुछ मांगो दीदी, क्या चाहिए । और मैंने भी बोला था एक दिन खुद ले लूँगी । याद है तुम्हें पापा ने मृत्यु से पहले कहा था..”जो मर्जी मांगो, कोई अफसोस नहीं होगा   । मुझे सोसायटी का घर पसन्द नहीं था अब मेरा अपना हो गया । निशा ने सीमा को धक्का देते हुए कहा…”तुम्हारे भी बच्चे हैं दीदी, ये तुम्हें शोभा देता है ? कोई जवाब नहीं दिया सीमा ने न ही अपने पति को बताया और सबसे सम्पर्क बंद कर लिया । वापस अपने पति के घर लौट गई । काफी सालों बाद धीरे धीरे पति को कहानी बताई तो दोनो में खूब आपसी तकरार रहने लगी । तेजस माँ को लेकर किराए के कमरे में रहने लगा । अब किसी के वश में कुछ नहीं था । 

दरवाजे पर घन्टी बजी तो वापस वर्तमान में सीमा आयी । उसके पति प्रभात थे । आँखें सुजी हुई, जूठे हाथ, आँखों में दुःख का शैलाब ।प्रभात ने घबराते हुए पूछा..”किस दुनिया में हो, तबियत तो ठीक है ? सीमा  प्रभात को तीनो बहनो की राखी उनके हाथों में देते हुए उसके सीने से लगकर खूब ज़ोर – ज़ोर से रोने लगी । 

प्रभात ने सीमा को खुद से अलग करते हुए कहा..”किस बात का अफसोस है तुम्हें? सिर्फ ढोंग है तुम्हारा, अपने भाई और माँ का मुख देख के तुम्हें ज़रा भी तरस आता न तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता । अब पछताना क्या..तुमने ही कहा था न, मैं तुम्हारे घर के लिए कुछ नहीं बोल सकता वरना तुम कुछ कर जाओगी बड़ी मुश्किल से तो तुम्हें ये सुंदर घर का सुख हासिल हुआ था   । माफ करो मुझे.तुम्हारे लिए कुछ नहीं कर सकता ।ये घड़ियाली आँसू किस काम के ?

इन सबकी जिम्मेदार तुम खुद हो ।

 दरवाजे खुला हुआ और ये माहौल देखकर जय और तनु काफी देर से ये सब देख समझ रहे थे ।

तनु ने सवालिया निगाहों से पूछा..”और रोते हुए कहने लगी..हमारे मामा हैं और आपने ये बात छिपा कर रखी पापा ? प्रभात ने तनु को गले लगाते हुए कहा मामा को नहीं छिपा रहा था बेटा, मम्मी की करतूतों को छिपा रहा था । सीमा फिर से आकर प्रभात और तनु को चिपकते देख फिर से  चिपक गयी । फिर से प्रभात ने अलग किया और कहा..”तुम्हारे जैसी बहन भगवान किसी को न दे, क्या वो वापस कर पाओगी तुम तेजस को जो तुमने उससे छीना है।

झट से चप्पल पहनकर आँसुओं को पोछते हुए प्रभात का हाथ पकड़ कर सीमा ने गाड़ी में बिठाया और बोली..” कुछ नहीं चाहिए प्रभात ! बहुत बड़ी गलती हो गयी । अपनो को दुःख देकर मैंने अपनी खुशियाँ पाना चाहा फिर भी खुश नहीं हूँ । ऐसा लगता है हर रोज एक मौत मरती हूँ । मैं लालच में आकर अंधी हो गयी थी अब नहीं, मेरा भाई, मेरे रिश्ते मुझे वापस चाहिए । 

सबके हाथों में ये डोर देखकर मुझे वो मनहूस दिन बहुत कचोट रहा है, अब और अलग होकर सबसे नहीं रह सकती ।

प्रभात ने गाड़ी तेज चलाई और पहुँचा दिया तेजस के घर । प्रिया ने दरवाजा खोला । वहाँ निशा, उसके  बच्चे ,माँ एक सुंदर प्यारा परिवार देखकर उसके शरीर में नई जान आ गयी हो और मन  शिथिल हो गया जैसे। पीछे से तेजस भी आया और उसके मुँह से इतना ही आवाज़ निकला..आ…आ..आप..?

सीमा ने उसे अपने सीने से चिपका लिया और जी भर के रो ली । फिर थोड़ा चुप होकर बोली..”आप नहीं दीदी कहो । तुमसे घर छीन तो लिया पर एक दिन चैन सुकून से नहीं हूँ तेजस । मुझे माफ़ कर दो , अब इसके आगे कुछ बोलने के लायक नहीं हूँ मैं । तेजस ने बिना कुछ बोले दोनो बच्चों को अपने गले से लगा लिया । प्रभात ने माँ के सामने हाथ जोड़कर कहा..”मुझे भी माफ करिए । मैं आपका दामाद होकर भी कुछ नहीं कर सका । सीमा ने माँ की हालत देखी न जीवित न मृत थी । माँ के पैर छूकर बैठी सीमा तो माँ ने कहा…”अब चैन से मर सकती हूँ इसीलिए जी रही हूँ वरना तुम्हारे पापा को क्या जवाब देती जाकर ।

प्रिया ने राखी की थाल सजाकर सीमा के आगे रख दी । सीमा ने इशारे से निशा को बुलाया ।निशा ने कहा..”मैं दिन में ही बांध चुकी हूं । फिर भी ज़बरदस्ती जय और तनु ने मौसी को माँ के साथ बिठाया ।

माहौल खुशनुमा हो रहा था और फिर से वही पहले जैसा खुशियों भरा रक्षाबंधन । सीमा माँ के तरफ देखी तो ऐसा लगा..”माँ फिर से कह रही है..”वचन दो एक दूसरे को, किसी परिस्थिति में अकेला नहीं छोड़ोगे ।

मौलिक, स्वरचित

अर्चना सिंह

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