मै अपनी सास का हक नहीं छीन सकती। – अर्चना खंडेलवाल   : Moral Stories in Hindi

मानसी रसोई में काम कर रही थी, तभी घंटी बजी, वो दरवाजा खोलने गई और सामने अपनी ननद को अचानक देखकर खुश हो गई।

अरे!! दीदी, आप आपने तो बहुत बड़ा सरप्राइज दे दिया,  ऐसे अचानक से, और मानसी उनका बैग लेकर अंदर कमरे में रखने चली गई।

“अदिति से बातें ही करती रहेगी या मेरी बेटी को चाय भी पिलायेंगी, इतने लंबे सफर से थककर आई है, ममता जी अपने कमरे से निकल आई और उन्होंने खुशी से अदिति को गले लगा लिया।

मम्मी ने ही बुलाया था, कह रही थी, दो-चार दिन रह जा, अभी बच्चे स्कूल टूर पर गये है और तेरे जीजाजी बिजनस टूर पर गये है, तो मै अकेले घर पर क्या करती? चाय का घुंट लेते-लेते अदिति बोले जा रही थी।

तभी खुला दरवाजा देखकर प्रेस वाला अंदर आ गया, भाभी प्रेस के कपड़ों के पैसे दे दीजिए, मुझे जल्दी घर निकलना है, मानसी ने ममता जी की तरफ देखा तो वो बोली, अंदर जाकर मेरा पर्स ले आ, और वो अंदर चली गई।

तभी अदिति बुदबुदाई, मम्मी ये क्या? प्रेस के कपड़ों के पैसे भी आप देते हो, ये जिम्मेदारी भाभी को क्यों नहीं सौंपी? आप आज भी नहीं बदले हो, किसी पर विश्वास नहीं करते हो, फिर ये तो आपकी बहू है, ममता जी कुछ कहती इससे पहले ही मानसी ने पर्स लाकर ममता जी को दे दिया, और उन्होंने रूपये निकालकर प्रेस वाले को दे दियें।

शाम होने वाली थी, मम्मी जी खाने में क्या बनाऊं? जब मानसी ने पूछा तो ममता जी बोली, पनीर बना ले, अदिति और आकाश दोनों भाई-बहन को बहुत पसंद है।

मम्मी जी, पनीर के लिए आप रूपये दे दीजिए, मानसी रूपये लेकर पनीर लेने चली गई।

ये सब देखकर अदिति बौखला गई, मम्मी ये सब क्या है? क्या भाभी पेटीएम काम में नहीं लेती है ? और वो बार-बार आपसे रूपये क्यों मांग रही है?

इतने रूपये तो आजकल सभी रखते हैं, क्या ससुराल में बहूओं का कोई हक नहीं होता है, रसोई की जिम्मेदारी निभाने के साथ ही वो आर्थिक जिम्मेदारी भी उठा सकती है, और आप कौनसे जमाने की सास बनी हो?

आजकल तो ऐसा कोई नहीं करता है, मानसी तो पढ़ी-लिखी समझदार है, फिर वो अपने हक के लिए नहीं लड़ती, जब वो ही ये सब सहन कर रही है तो मै तो क्या बोलूं? 

तू अपना खून मत जला, वो पराए घर से आई है, भला उसको घर पैसे टके कैसे सौंप दूं? कहीं ज्यादा खर्च कर दिये तो मै क्या करूंगी? वैसे भी बहू आये और चूल्हा चौका संभाले बस इतना ही तो काम होता है, बेकार ही रूपये पैसे में क्या उलझना, फिर अभी तो मै बैठी हूं, मैंने सब संभाल रखा है, अदिति भी मम्मी के आगे चुप हो गई।

रात को उसका भाई आकाश घर आया तो सबने मिलजुलकर खाना खाया, बाद में सब बातें करने बैठ गयें, ममता जी जल्दी सोने चली गई तो अदिति ने फिर से बात छेड़ी कि मानसी के हाथ में भी तू कुछ रूपये रखा कर ताकि उसे मम्मी से मांगने नहीं पड़े।

दीदी, मै क्या करूं? मम्मी को पहले भी तनख्वाह आते ही सारे पैसे उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर देता था, और वो अपनी जरूरत के हिसाब से निकलवा लेती थी, मानसी के आते ही मैंने उन्हें कहा कि अब से मै कुछ रूपये मानसी के हाथ में दूंगा, ताकि वो घर चला सकें, पर मम्मी राजी नहीं हुई,

और आपको तो पता है कि पापा के जाने के बाद मम्मी कितनी अकेली हो गई है, मै उनका दिल नहीं दुखा सकता हूं, वैसे मै मानसी को कुछ रूपये  छिपकर देता हूं, पर वो भी मम्मी जी का मान रखने के लिए उनसे ही मांग लेती है, कहती हैं कि मायके में मम्मी से खर्चे के पैसे लेती थी और ससुराल में सास से, मुझे इसमें कोई शर्म महसूस नहीं होती है, बल्कि अच्छा लगता है, मम्मी जी खुश रहती है, घर में उनका मान -सम्मान बना रहता है।”

तभी मानसी बोली, हां, दीदी आप इस बात की बिल्कुल चिंता मत करिये, मुझे खर्चे में कहीं कोई कमी नहीं होती है,  मै खुश रहती हूं, मैं आते ही सब कुछ हासिल कैसे कर सकती हूं, ये घर मम्मी जी का भी तो है, उन्होंने सालों की मेहनत से ये गृहस्थी बसाई है, सालों इस घर को चलाया है, और वो आज भी अच्छे से सब चला रही है,

अपना हक जताने के लिए मै उनका हक नहीं छीन सकती हूं। बहू आते ही अपने हक की बात करती है, पर वो ये भुल जाती है कि इस गृहस्थी और घर पर पहले सासू मां का हक है, और मै ये हक उनसे नहीं छीन सकती। समय के साथ मम्मी जी को लगेगा कि अब मै गृहस्थी चला सकती हूं, तो खुद ही मुझे अपना हक दे देगी, अभी जल्दी भी क्या है  आखिर मुझे इसी घर में तो रहना है, घर सासू मां चलायें या मै मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है।

अपने भाई और भाभी की बातें सुनकर अदिति की आंखें भीग आई, ऐसी भाभी सबको मिलें, जो अपनी सास के मान के लिए सोच रही है, वरना ये तो मेरे पति की कमाई है, इस पर मेरा हक है, ये कहकर तुम कब की सारी तनख्वाह अपने अकाउंट में ले सकती थी, ईश्वर तुम्हें सुखी रखें।

ममता जी भी पानी पीने आई थी, अपने बेटे और बहू की बातें सुनकर उनका भी दिल भर आया, उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद दिया और उन्हें हमेशा सुखी रहने का आशीर्वाद दिया।

धन्यवाद 

लेखिका 

अर्चना खंडेलवाल

मौलिक अप्रकाशित रचना 

सर्वाधिकार सुरक्षित 

#हक

VM

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