मां की ममता – सुषमा यादव

#### मायका, बेटी का टूरिस्ट प्लेस ###

,,भाग, एक,,

,,,,,, शादी होने के साढ़े तीन साल बाद  मैं  पेरिस से अपने मायके म, प्र, के एक शहर आ रही थी,,

चूंकि मेरी छोटी बहन दिल्ली में रहती है , इसलिए मैं उसके साथ एयरपोर्ट से सीधे उसके फ्लैट में आ गई,, मुझे अपनी मां के पास जाना था,, मेरे पापा नहीं हैं,, मम्मी, हमारे नानाजी के साथ ही वहीं रहतीं थीं,, मुझे बहुत ही उत्सुकता थी, उनके पास जल्दी पहुंचना था,,

मम्मी बहुत ही उत्साहित थी,,एक महीने की थी, उनकी नातिन,,जब वो वापस लौट आई थी,,अब पूरे डेढ़ वर्ष बाद उसे देखेंगी,, खुशी के मारे उनके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे,, छोटी बहन के बाद पूरे तीस साल बाद हमारे घर में नन्ही परी के रूप में चरम खुशियों

ने हमारे घर पर दस्तक दी थी,,

मेरी मां ने पूरे स्कूल स्टाफ को, अपनी कालोनी के सहेलियों को, सबको हमारे आगमन की सूचना दे दी थी,,

पूरे घर का रंग रोगन किया गया,

इस कहानी को भी पढ़ें:

अपनी अपनी नजर!! – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi




बाहर बरामदे फर्श तुड़वा कर टाईल्स लगी,,,पूरे बगीचे को सही तरीके से माली से व्यवस्थित करवा कर कई प्रकार के रंग बिरंगे फूलों से भर दिया गया,,पूरा घर,बाहर साफ़ करवा कर चमका दिया और सज़ा दिया गया,,लग रहा था कि जैसे घर में बहुत बड़ा कोई कार्यक्रम होने वाला है,,

,,, निश्चित समय पर एयरपोर्ट लेने कार इलाहाबाद पहुंच गई थी,पर हमें देखकर

दुःख और हैरानी हुई कि मम्मी,

हमें लेने नहीं आईं थीं,,पर तीन घंटे का सफर था तो हमारे लिए बहुत सारा नाश्ता और खाना मां ने भेजा था, फलों के साथ,, सुबह सुबह मां ने इतना सब कैसे बनाया होगा,पर मां तो मां होती है ना,,,,,हम शाम को घर पहुंचे,, मम्मी ने एक लोटे में पानी और कुछ फूल लेकर हम सबके सिर से वार करके दूर सड़क पर डाल दिया,हम घर के अंदर गेट से दाखिल हुए,, देखा, गेट से मुख्य द्वार तक रास्ते में फूल बिछे हुए हैं,,,बीच में,, वेलकम, लिखा है,,

दरवाजे के दोनों तरफ खूबसूरत गमलों में पानी भर कर खूब सारे गुलाब और शेवंती के फूल जगमगाते हुए रंगीन कैंडल से सज़ा कर रखा था,, मुख्य दरवाजे पर गुब्बारे लटक रहे थे,,हम सब‌ ये सजावट देखकर आश्चर्य चकित रह गए,,,, अकेले बीमार मम्मी, ये सब कैसे कर लेती हैं,,

इतने में मम्मी आरती का थाल सजाकर ले आईं और हमारी आरती उतारी गई,, टीका लगाया,

अपनी प्यारी नातिन को हार पहनाया,, शादी के बाद पहली बार बेटी दोहरी खुशी के साथ आई थी,,

,, मम्मी ने हम सबके लिए विविध प्रकार की मिठाईयां, नमकीन, और ढेर सारी गुझिया बनाई थी,,

इस कहानी को भी पढ़ें:

लड़कों के साथ बेड टच – प्राची अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

हम सब मिलकर देर रात बातें करते और सुबह देर से उठते,पर मम्मी, अपने नियत समय पर ही उठती, पानी भरती, बगीचा सींचती,, और जब हम सोकर उठते तो हमें गरम गरम चाय और नाश्ता मिलता,, डायनिंग टेबल तरह तरह के लजीज पकवानों से

सज़ा रहता,, रसोई का काम मम्मी ही करतीं थीं,, अपनी नातिन के लिए अलग से तीन,चार

प्रकार के व्यंजन बनातीं,, क्यों कि

पेरिस और यहां के खाने में अंतर था, पता नहीं, बच्ची क्या खायेगी,,हम‌ दोनों बहनें मदद करने को कहते तो कहती,, तुम दोनों बच्ची को देखो, मैं कर लूंगी,



इतना तुम सब कैसे कर लेती हो मम्मी,, वो मुस्कुरा कर रह जाती,,

हमें ऐसा लग रहा था,, जैसे हम कोई विशेष महत्वपूर्ण अतिथि हैं, जिनकी सेवा सत्कार में लगी रहती हैं,,,

,, अपनी नातिन के साथ खेलना, उसकी प्यारी प्यारी तोतली बातें सुनकर निहाल हो जाती थीं,हर दिन बाई से उसकी नज़र उतरवाती,, हमसे मिलने उनके स्कूल की मैडम, कालोनी की आंटियां आती रहती थी ना,,

हमें लग रहा था कि,,हम मायके नहीं, किसी पिकनिक स्पॉट पर आयें हैं,,

,, मम्मी ने हमें शारदा मां मैहर के दर्शन कराए,, मुकुंद पुर में सफेद शेर दिखाये, प्रसिद्ध पुरवा फाल

गोविन्द गढ़ का किला, और विशाल तालाब दिखाया,, तथा

महामृत्युंजय किला जाकर हमने पूजा, अभिषेक किया,,सच में एक महीना कैसे बीत गया,, पता ही नहीं चला,,,,,

इस कहानी को भी पढ़ें:

बिखरता आसमान”-रीमा महेंद्र ठाकुर Moral stories in hindi

,,, बेटियों के लिए मायका एक सुखद अहसास है,, एक प्रकार का स्वर्ग है,, मां के आंचल में,उनकी गोद में बेटी अपना सिर रख कर दुनिया जहान के दर्द को

भूल जाती है,, उसके सारे दुःख, दर्द मां अपने सीने में छुपा लेती है,,

*** सच में एक महीने का मायका मेरा ,,, टूरिस्ट प्लेस,,,बन गया,,

एक कभी ना भूलने वाला, यादगार , जिंदगी का खूबसूरत सफर,,, कितना स्वागत, सत्कार मायके के सिवाय और कहीं हो सकता है क्या??? ,

मैं तो वापस लौट आई,पर इतने सालों बाद भी कुछ नहीं भूला है, उन कीमती पलों को जेहन में आज़ भी सज़ा कर रखा है,,

,,अब पता नहीं कब अपने मायके के,,, टूरिस्ट प्लेस पर आना नसीब होगा,,,

,,, सुषमा यादव,, प्रतापगढ़,,,उ प्र

स्वरचित, मौलिक,,

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!