मोनू ,राज और रीना का इकलौता पुत्र था ।उसे भरपूर लाड़ प्यार मिला था ,फिर भी वह बचपन से ही चिड़चिड़े और ग़ुस्सैल स्वभाव का हो गया था.
उसके मम्मी पापा उसे समझाते पर उस पर कोई प्रभाव नहीं हो रहा था।मोनू की ज़िद और उसके माता पिता की चिंता बढ़ती जा रही थी कि वह आगे के जीवन में सबके साथ किस तरह से एडजस्ट हो पाएगा।
स्कूल की तरफ़ से दो दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण के लिए मैसूर का कार्यक्रम बना।मोनू ने भी मन मारकर नाम लिखवा दिया।वह सोच रहा था पता नहीं कहाँ ले जाएँगे ,कैसा खाना खिलाएगे।
नियत समय पर सब बच्चे स्कूल पहुँच गए वहाँ से मैसूर के लिए सुबह 8 बजे बस रवाना हो गई।तीन घंटे के सफ़र के बाद बस मैसूर पहुँच गई
जहाँ बच्चों के रुकने के लिए पहले से इंतज़ाम था. कुछ देर बाद सब बच्चे नाश्ते के लिए डाइनिंग हॉल में आ गये। और वहाँ लगा
नाश्ता देखकर मोनू नाक भौं सिकोड़कर एक तरफ़ बैठ गया और उसने नाश्ता नहीं किया।नाश्ते के बाद बच्चों को लेकर बस वृंदावन गार्डन और चिड़ियाघर दिखाते हुए मैसूर पैलेस की तरफ़ जा रही थी ।
दोपहर हो चली थी.मोनू को अब बहुत तेज़ भूख लग आई थी,और अभी तो लंचमें 1 घंटे की देर थी।उसने अपने पास बैठे साथी को ये बात बतायी तो
उसने बैग में से एक बिस्कुट का पैकेट निकाल कर उसे दिया.मोनू उसे जल्दी जल्दी ख़त्म कर गया ,और पानी पीकर तो उसे बहुत अच्छा लगा.
ऐसी भूख तो उसने आज तक महसूस नहीं की थी. अब वह खुश था।पैलेस घूम कर सब बच्चे जब बाहर आए तो टीचर ने सब बच्चों को आइस क्रीम दिलवाई।
वहीं पर फटे हाल एक ग़रीब बच्चा भी खड़ा था और आइसक्रीम की तरफ़ ललचायी नजरो से देख रहा था।मोनू को बहुत दया आयी उसने अपनी आइस क्रीम उस बच्चे को दे दी.
उस बच्चे ने जल्दी से आइस क्रीम खत्म कर दी और खुशी का भाव लिए चला जा रहा था . उसे देखकर मोनू भी बहुत ख़ुश हो गया।
शाम को बस उन्हें एक अनाथ आश्रम लेकर गई.वहाँ पर मूक,बधिर,अंधे,एवं विमन्दित बच्चे थे।सबने वहाँ के बच्चों के रहने का स्थान ,उनकी दिनचर्या,
नाश्ता ,भोजन और खेलने के सामान देखें. वे सब बच्चे बहुत ख़ुशी खुशी खेल रहे थे. उन्हें देखकर मोनू का हृदय भर आया। वह सोचने लगा
कि इतने कम संसाधनों में बच्चे जो मिल रहा है उसमें भी आनंद से है। मोनू सोचने लगा कि इतनी सुविधाओं के बाद भी मैं कभी इतना ख़ुश नहीं
रहा जितने ये बच्चे हैं।क्लास टीचर मेम मोनू के स्वभाव से परिचित थी.वह सुबह से उस पर नजर रखे हुए थी। उसको विचारमग्न देखकर बोली देखो मोनू!
ये बच्चे साधन विहीन होकर भी छोटी छोटी बातों में कैसे अपनी खुशियाँ तलाश रहे हैं. जब हमारे पास कोई चीज़ होती है
तो उसका कोई मूल्य नहीं होता है और जब नहीं होती है तो वहीं छोटी सी चीज मिल जाने पर बड़ी खुशी देती है
जैसे तुम्हें बिस्किट खाकर या उस ग़रीब बच्चे को आईस्क्रीम देकर मिली थी।मोनू तुम छोटी- छोटी बातों में ही ख़ुशियो को तलाश करना सीखो तो जिंदगी अपने आप खुशियों से सराबोर हो जायेगी।
विजय कुमार शर्मा
कोटा राजस्थान
# छोटी -छोटी बातो में ख़ुशियो को तलाश करना सीखो “।।