खुशियों का न तो कोई तय शुदा पैमाना होता है और न खुशियों की कोई एक्सपायरी डेट होती है। परंतु ये हमारा बावरा मन कभी कभी पूरी उम्र खुशियों की तलाश में भटकता रहता है और खुशियां हमारे आसपास ही टहलती रहती हैं।बस हम लोग किसी बड़ी खुशी की आस में छोटी छोटी खुशियों को नजरंदाज करते रहते हैं।
लेकिन जब से इस नये मोहल्ले में घर लिया है तब से तो मुझे भी छोटी छोटी बातों पर खुश होने की आदत हो गई है,किरन ने चहकते हुए कहा,जो मास्टर रतनलाल जी के यहां पार्टी में शामिल होने आई थी।
दरअसल मास्टर रतनलाल अकेले रहते है, पत्नी दो साल पहले स्वर्ग सिधार चुकी हैं,और एकलौता बेटा विदेश में सैंटल है। मास्टर जी अकेले रहते हैं,रिटायर हो चुके हैं लेकिन उनकी सेहत उम्र के हिसाब से वे पूरी
तरह चुस्त दुरुस्त हैं। शायद इस सबके लिए उनका छोटी छोटी बातों में खुश रहने का स्वभाव ही जिम्मेदार है ।अब आज का ही वाकया लीजिए , सन्डे की सुबह मास्टरजी ने अपनी गली के दसेक परिवारों को फोन खटका कर अपने घर आने के लिए आमंत्रित किया,पूछने पर बताया कि एक सरप्राइज पार्टी है जिसमें आप सबको शामिल होना है जरूर से।
सभी एक दूसरे से पूछ रहे थे कि मास्टरजी ने भला किस ख़ुशी में पार्टी रखी है ,अब इस उम्र में अपना बर्थडे तो मनाने से रहे।चलो जाकर देखते हैं कि पार्टी किस खुशी में है।
तयशुदा समय पर सभी लोग मास्टरजी के यहां पहुंचे जब सारे लोग अपनी अपनी सीट पर बैठ चुके और मास्टरजी की ओर आश्चर्यजनक तरीके े देखने लगे तो मास्टरजी ने खुलासा किया कि भई न मेरा आज बर्थडे है और न मैं दूसरी शादी कर रहा हूं मुस्कराते हुए कहा।
अभी पिछले सप्ताह मैने अपना फुल बॉडी चैकअक करबया था ,जिसमें ढेर सारे टैस्ट हुए थे, खुशी की बात ये है कि सारे टैस्ट एकदम ठीक निकले हैं ,यानी मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं ।बस इसी खु शी को सबके साथ शेयर करना चाहता था इसीलिए इस पार्टी का आयोजन कर लिया। बैसे तो आजकल कोई किसी से मिलता जुलता नहीं।तो आज इस छोटी सी खुशी का सैलीवरेशन है।
हम लोग अपनी परेशानियों का तो रोना रोते रहते हैं और इन छोटी छोटी खुशियों को नजरंदाज कर देते हैं।
सभी ने ताली बजा कर मास्टरजी की भावना का सम्मान किया कि बात तो ठीक है।
तभी किरन ने खड़े होकर चहकते हुए कहा कि अगले सन्डे की पार्टी मेरे घर पर है,मेरे पोते ने हाईस्कूल की परीक्षा में अपने स्कूल में टॉप किया है,आप सभी को आना है।सभी के चेहरों पर एक उजली सी मुस्कान फैल गई।
उसी गली के एक और सीनियर सिटीजन ने खड़े होकर सुझाव दिया कि मास्टरजी ने छोटी छोटी बातों पर खुश होने का फॉर्मूला दिया है वो अब रुकना नही चाहिये।हम लोग महीने में एक बार जमा होकर पार्टी कर सकते हैं। जिसका सभी ने खुलेदिल से स्वागत किया।
बस तभी से इस मोहल्ले में पार्टी का सिलसिला जारी है,सारे हम उम्र लोग मिलते हैं,अपने अपने अनुभव शेयर करते हैं , हंसते हैं मुस्कराते हैं और अगली पार्टी किसके घर होगी तय करके अपने अपने घर लौटते हैं।
जीवन है तो संघर्ष भी होगा दुख सुख भी आते जाते रहते हैं।बिषम परिस्थितियों में भी खुशी ढूंढने का नाम ही जिंदगी है। प्रायः देखने में आता है कि हम लाइफ की छोटी छोटी खुशियों को तो नजर अंदाज करते हैं और दुख का पिटारा चेहरे पर लिए घूमते रहते हैं। अतः ज़रूरी है छोटी छोटी बातों में खुशियां तलाश कर खुश रहने की आदत डालें।यह कुछ मुश्किल जरूर हो सकता है लेकिन नामुमकिन हरगिज नहीं बस अपनी सोच बदलनेकी जरूरत है।
स्व रचित व मौलिक
माधुरी गुप्ता
नई दिल्ली