वाह पापा.. आपसे तो यह उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी, जब वह लोग आपकी डॉक्टर बेटी को सिर्फ यह कहकर रिश्ते से मना कर गए कि मैं मोटी और बदसूरत हूं
और आपने जाकर जैसे ही अच्छे दाम लगाए उन्हें वही बदसूरत लड़की सुंदर लगने लग गई, इसका मतलब पापा आप किसी भी सूरत में मेरा संबंध उस घर में कर देंगे जहां उन्हें मेरी नहीं सिर्फ हमारे पैसों की जरूरत है, इसका मतलब आपको भी मैं बोझ लगने लगी हूं,
आपने मेरे अंदर जो इतने सारे संस्कार डाले हैं वह अब कोई मायने नहीं रखते, आज तक अपने रंग रूप को लेकर कभी मेरे मन में हीन भावना नहीं आई किंतु आज मुझे लग रहा है कि शायद सुंदर होना ही सबसे महत्वपूर्ण है, किंतु पापा…
मुझ से अब यह रिश्ता नहीं हो पाएगा, मेरा मन उनके प्रति कड़वाहट से भर गया है, पापा आप इस शहर के इतने बड़े डॉक्टर हैं पूरा शहर आपकी इज्जत करता है और आपकी इकलौती बिटिया याने की मैं भी एक काबिल डॉक्टर हूं, हमारा शहर में इतना नाम है,
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सिर्फ इसी नाम की वजह से वह लोग हमारे यहां रिश्ता लेकर आए थे किंतु उन्हें मेरी काबिलियत नहीं नजर आई बल्कि मेरा रूप रंग नजर आया, पापा अगर मैं शादी करूंगी तो किसी ऐसी व्यक्ति से जो मेरी योग्यता को समझे ना की उसका शारीरिक सुंदरता में विश्वास हो,
आपने मुझे पढ़ाया लिखाया इस काबिल बनाया कि आज मैं अपना फैसला खुद कर सकती हूं और पापा आपने उनसे जाकर यह कैसे कह दिया की शादी के बाद आप उनके डॉक्टर बेटे को अपना क्लीनिक दे देंगे, क्योंकि वह आपकी बदसूरत बेटी से विवाह करके आपके ऊपर एहसान कर रहे हैं?
क्यों….अगर उन डॉक्टर साहब में काबिलियत है तो अपने दम पर हॉस्पिटल नहीं खोल सकते, एक बात बताइए पापा.. आपके कहने से अगर मैंने उनसे शादी कर भी ली तो क्या वह मुझे वह सम्मान दे पाएंगे जिसकी आपने या मैंने कल्पना की थी? पापा..
शर्म आती है यह सोचकर की आज भी इस समाज में काबिलियत से ज्यादा रूप रंग मायने रखता है, यह आज साबित हो गया !मैं इस शहर की एक प्रसिद्ध डॉक्टर की बेटी हूं और खुद भी मैं सभी मरीजों का बहुत अच्छे से इलाज करती हूं,
लोग उस समय मेरी शारीरिक कमियों को नहीं देखते बल्कि मेरी योग्यता और व्यवहार को देखते हैं, इसलिए मेरे पास आते हैं और मेरी प्रशंसा करते हैं! आप क्या चाहते हैं मैं उनके घर जाकर बात-बात पर अपमानित होने का दर्द सहन करूं या वह मुझे सिर्फ इस मजबूरी में स्वीकार करें क्योंकि आपने अपना इतना जमा जमाया क्लीनिक उनके नाम कर दिया?
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पापा अगर ऐसा होने लग जाएगा तो कोई भी लड़की किसी क्षेत्र में आगे बढ़ ही नहीं पाएगी बल्कि उसका सारा ध्यान तो केवल अपने आप को सुंदर बनाने में ही रह जाएगा और पापा क्या आप भी अपनी बेटी को बदसूरत मानते हैं और क्या शादी करना ही जिंदगी का सबसे अहम मकसद होता है ?
इसके आगे सारी काबिलियत बेकार है? नहीं पापा.. मुझसे तो यह रिश्ता नहीं होगा और अगर आपने इस रिश्ते के लिए अब कोई भी जबरदस्ती की तो मैं समझूंगी आप भी अपनी बेटी को किसी लायक नहीं समझते, मेरा डॉक्टर होना कोई मायने नहीं रखता!
नहीं नहीं बेटा.. मैं अपनी बेटी के साथ कभी अन्याय नहीं होने दूंगा, चाहे मेरी बेटी मैं कितनी भी कमियां हो लेकिन उसका मन बच्चों की तरह कोमल है, और इस कोमल मन को समझने के लिए कोई कोमल मन का व्यक्ति ही आएगा,
अपनी बेटी डॉक्टर रिचा की बात सुनकर उसके पिता डॉ विष्णु ने कहा और यह सुनकर रिचा अपने पापा की गले से लग गई! क्या वाकई मे शारीरिक सुंदरता के आगे सभी गुण बेकार हो जाते हैं?
हेमलता गुप्ता स्वरचित
कहानी प्रतियोगिता (कड़वाहट)
“क्या शारीरिक सुंदरता ही सब कुछ होती है”