पति की हालत देखकर कुसुम जी को दिन में ही तारे नजर आने लगें।उनकी बेटी आन्या और अमय दोनों विदेश में रहते हैं।आएँ दिन उनके पति नीरज जी की तबीयत खराब रहती है।इसे कुसंयोग ही कह सकते हैं कि नीरज जी ने जिन्दगी में कभी शराब नहीं पी,परन्तु लीवर की गंभीर बीमारी से ग्रसित हो गए। इस बीमारी के कारण उन्हें बहुत सारी शारीरिक परेशानियाँ हो गईं।उनका इलाज बड़े अस्पताल के डाॅक्टर की देखरेख में हो रहा था।पिछले साल बेटी और बेटा दोनों बारी-बारी से आएँ थे।
बच्चों के संग काफी खुश थे।बच्चों के सामने तबीयत भी ठीक थी,परन्तु बच्चों के जाते ही नीरज जी की तबीयत काफी बिगड़ गई। उन्हें इनगुइनल और अम्बिलिकल हर्निया की शिकायत थी।उनके पेट में कुल तीन हर्निया थी।एक हर्निया उनकी आँत में फँस गई थी,जिसके कारण नीरज जी दर्द से बेहाल थे।अस्पताल में डाॅक्टर ने उन्हें तत्काल ऑपरेशन की सलाह देते हुए कहा -” कुसुम जी! आपके पति की हालत बहुत गंभीर है।लीवर सिरोसिस के कारण उनके ऑपरेशन में सौ प्रतिशत खतरा है!”
डाॅक्टर की बात सुनकर कुसुम जी को दिन में ही तारे नजर आने लगें।कुसुम जी ने रोते हुए अपने बच्चों से कहा -” मेरे साथ तो इधर कुआँ और उधर खाई वाली स्थिति हो गई है।ऑपरेशन कराओ तब भी रिस्क है और नहीं कराओ तब भी रिस्क है!”
बेटी आन्या ने उन्हें धीरज बँधाते हुए कहा -” मम्मी!चिन्ता मत करो।भाई अमय तो अभी तुरंत भारत से आया ही है,इस कारण मैं आ रहीं हूँ।डाॅक्टर अच्छे हैं,उन्हें अपना काम करने दो।”
उनकी बेटी आनन-फानन में अमेरिका से अकेले आ पहुँची।आन्या ने आकर माँ कुसुम जी तथा परिस्थितियों को बखूबी से सँभाल लिया।उस समय कुसुम जी को मन-ही-मन महसूस हुआ -सचमुच!अगर बेटियों को बेटे के बराबर शिक्षा दी जाएँ,तो बेटियाँ भी बेटों से कम नहीं हैं!”
ईश्वर की कृपा से नीरज जी का ऑपरेशन सफल रहा,परन्तु डिस्चार्ज के समय डाॅक्टर ने चेतावनी देते हुए कहा था -” अभी इनके पेट में एक इनगुइनल हर्निया और एक अम्बिलिकल हर्निया है,जो चिन्ता का विषय है।अगर दर्द शुरु हो,तो पन्द्रह मिनट के अंदर अस्पताल लाना होगा।”
नीरज जी के ठीक होने पर बिटिया आन्या माता-पिता को सारी बातें समझाकर विदेश वापस लौट गई।
दो महीने तक नीरज जी बिल्कुल ठीक रहें,परन्तु उसके बाद ही फिर से अचानक उनके पेट में तीव्र दर्द उठ गया।कुसुम जी बदहवास-सी पति को लेकर अस्पताल पहुँचीं।इस बार भी डाॅक्टर ने सौ प्रतिशत जान का रिस्क बताकर हर्निया का तत्काल ऑपरेशन कराने कहा तथा हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट्स कम होने के कारण उनका इंतजाम करने को कहा।कुसुम जी को एक बार फिर से दिन में तारे नजर आने लगें।पति के बगैर विदेश में बच्चों संग रहने की कल्पना उन्हें डराने लगी।
इस बार उनका बेटा अमय अमेरिका से तुरंत माँ के पास पहुँच गया।आकर उसने माँ को तथा परिस्थितियों को बखूबी से सँभाल लिया।जिस बेटे को कुसुम जी अभी तक बच्चा और अनुभवहीन समझ रहीं थीं,उसकी समझदारी देखकर कुसुम जी की सीना गर्व से चौड़ा हो उठा।भगवान की दया से इस बार भी नीरज जी का ऑपरेशन सफल रहा।उनके डिस्चार्ज के समय डाॅक्टर ने कहा -” अभी अम्बिलिकल हर्निया नीरज जी के पेट में है,परन्तु इनकी कमजोरी के कारण हम कुछ समय तक इनके ऑपरेशन को टालेंगे।
नीरज जी के ठीक होने पर बेटा अमय अमेरिका चला गया।
अब नीरज जी की तबीयत ठीक रहने लगी।दीवाली की छुट्टियों में बेटी आन्या माता-पिता के पास कुछ वक्त बिताकर वापस विदेश लौट गई। कुछ दिनों बाद बेटा अमय वापस स्वदेश आया।दो महीने तक भारत में रहा।पिता के स्वास्थ्य का भी पूरी तरह ख्याल रखा।आजकल के जमाने में ऐसा बेटा-बेटी पाकर नीरज जी और कुसुम जी गौरवान्वित थे।दो महीने बाद बेटा अमय अमेरिका वापस लौट गया।परन्तु फिर ऐसा संयोग हुआ कि बेटे के जाने के पन्द्रह दिन बाद ही नीरज जी को अम्बिलिकल हर्निया का असहनीय दर्द उठ गया।
फिर से कुसुम जी को दिन में ही तारे नजर आने लगें।बीच रात में पति को लेकर कुसुम जी अकेली अस्पताल पहुँच गईं।रात में उन्होंने पड़ोसियों को तकलीफ देना सही नहीं समझा।इस बार भी डाॅक्टर ने उन्हें स्पष्ट लफ्जों में कहा -” कुसुम जी!आपके पति बहुत कमजोर हैं। इस बार कुछ ज्यादा ही ब्लड और प्लेटलेट्स का इंतजाम करना पड़ेगा।आपके पति की हालत के कारण रिस्क बहुत ज्यादा है।आप अपने बेटे को बुलवा लीजिए। “
कुसुम जी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें?बिटिया शादी के पाँच साल बाद माँ बननेवाली थी,इस कारण उसका आना असंभव था।बेटे को अमेरिका गए अभी मात्र पन्द्रह दिन ही हुए थे।तत्काल तो पड़ोसी सहायता कर रहें थे,परन्तु इतने जटिल ऑपरेशन में वे खुद को और पति को कैसे सँभाल पाऐंगी?
बेटे से चाहकर भी कुछ नहीं कह पा रहीं थीं ,क्योंकि पन्द्रह दिन में अमेरिका से वापस आना आसान नहीं था।उनकी मनःस्थिति को समझकर बेटा अमय पन्द्रह दिनों के अंदर अमेरिका से वापस लौट आया।डाॅक्टरों की निपुणता तथा बेटे की सेवा से नीरज जी एक बार पुनः मौत को धोखा देकर इतने जटिल ऑपरेशन से उबरकर ठीक हो गए।
कुछ दिनों बाद बेटा अमेरिका लौट गया।अभी भी नीरज जी पन्द्रह दिनों में डाॅक्टर के पास चेक-अप के लिए पत्नी के साथ जाते हैं। आज भी नीरज जी की थोड़ी-सी भी तबीयत खराब होने पर कुसुम जी को दिन में तारे नजर आने लगते हैं।
समाप्त।
लेखिका-डाॅक्टर संजु झा(स्वरचित)