“प्रतिज्ञा बेटा स्नान कर ले— कई दिन हो गए तुमने स्नान नहीं किया ठंड भी कम हो गई है जा स्नान कर ले—- ।मैने गीजर ऑन कर दिया है ! फिर हम इकट्ठे ही नाश्ता करेंगे,! जल्दी जा अब—–।
अंबिका जी नाश्ता की प्लेट लगाते हुए बोली ।
प्रतिज्ञा बूझे मन से टॉवल ले स्नान करने चली गई।
“सिर्फ 5 मिनट लगे तूने साबुन- वाबुन लगाया भी की नहीं?
अंबिका जी नाश्ता परोसते बोली ।
मां —-!आप हर चीज में मुझे रोका टोका मत करो!
मुझे गुस्सा आता है । “मुझे रोटी और चाहिए । कहते हुए प्रतिज्ञा नाश्ता करने लगी।
बस —बेटा फिर लंच भी तो करनी है अभी नाश्ता हल्का ही ले और आजकल क्या हाल बना रखा है और खाने पर तो तेरा कंट्रोल ही नहीं रहता। जब देखो कुछ ना कुछ खाती रहती है।
कितना वेट बढ़ गया तेरा अंबिका जी प्रतिज्ञा से बोलीं ।
प्रतिज्ञा बिना बोले नाश्ता छोड़, गुस्से सेअपने कमरे में चली गई ।
“पता नहीं क्या हो गया इस लड़की को कई दिनों से कॉलेज भी नहीं जा रही है आजकल मुझे इसका बिहेवियर भी सामान्य नहीं लग रहा है ।”
सोचते- सोचते अंबिका जी दोपहर के लंच में व्यस्त हो गई क्योंकि ऑफिस बगल में होने के कारण अविनाश जी लंच अपने साथ ना ले जाकर घर आकर ही किया करते ।
प्रतिज्ञा बहुत ही मेधावी छात्रा थी पढ़ाई में उसकी रुचि के साथ-साथ शतरंज का भी शौक था ।
प्रेजेंटली मैथ से बीएससी कर रही थी और आगे टीचिंग में ही उसको अपना कैरियर बनाना था ।
वह कभी भी अपनी क्लास को मिस नहीं किया करती ।
वैसे प्रतिज्ञा इंट्रोवर्ट पर्सनालिटी की लड़की थी ।
किसी से ज्यादा बातें करना उसे शुरू से पसंद नहीं था।
ज्यादातर उसका टाइम किताबों के साथ ही बीतता लेकिन इधर कई दिनों से उसकी मनोदशा सही नहीं चल रही थी कॉलेज भी जाने से कतराने लगी थी ।
अंबिका जी के कहने पर भारी मन से कॉलेज तो चली जाती पर अंदर-अंदर चिड़चिड़ा जाती और कभी तो बेवजह अपनी मां पर चिल्लाती । तो कभी कमरे में अकेले-अकेले खुद से बातें भी किया करती ।
यह सारी असामान्य व्यवहार अंबिका जी को खटकने सी लगी थी ।
दिन पर दिन उसकी स्थिति खराब होती जा रही थी।
उन्होंने अविनाश जी को इस बात की जानकारी दी तो वे बोल पड़े कि शायद उसे किसी दोस्त से झगड़ा हो गया होगा या किसी बात की बहस ।
वह अपने आप ही ठीक हो जाएगी । काम में व्यस्तता होने के कारण अविनाश जी बातों को हल्के में ले लिए ।
एक दिन तो अंबिकाजी ने स्नान के लिए प्रतिज्ञा को फोर्स किया तो उसने मना कर दिया इस पर अंबिका जी प्रतिज्ञा पर गुस्सा करते हुए बोली
“देख रही हूं तू इधर कुछ ज्यादा ही मनमौजी हो गई है” । “
“कॉलेज भी —जाना छोड़ दिया है अब क्या—- घर से ही अपना कैरियर बनाएगी।
इतना सुनते ही प्रतिज्ञा जोर-जोर से रोने लगी बोली।
मां—–! आजकल मुझे किसी भी चीज में मन नहीं लगता ।
कुछ करने को जी भी नहीं करता अगर “मैं कुछ करने जाती हूं तो वह मुझसे कहता , इसे मत कर । और वो घंटो आकर मुझसे बातें किया करता है मुझे सपनों की दुनिया की सैर करवाता है।”
” जो मुझे अच्छा लगता है वैसी बातें करता है और मैं उसकी ही बातों पर चली आती हूं ।”
बेटी की ऐसी बात सुनकर अंबिका जी घबरा गई पर बेटा—-!
” मैं तो 24 घंटे तेरे साथ रहती हूं” पर मैंने तो उस आदमी को इस घर में आते-जाते नहीं देखा।
क्या किसी से तेरी लड़ाई हुई है तो मुझे बता अंबिका जी एक अनजान आशंका से घबराते हुए बोली।
” नहीं नहीं मां –मुझे किसी ने कुछ भी नहीं कहा।
सब मेरे अच्छे दोस्त हैं बस कभी-कभी मैं अपने बस में नहीं रह पाती हूं ऐसा लगता है जैसे कोई और मुझे कंट्रोल कर रहा हो और मैं किसी अलग ही दुनिया में हूं ।
कहते हुए प्रतिज्ञा की आंखें लाल हो गई ।
“मैं तो कुछ और ही सोच रही थी लेकिन यहां तो इसके ऊपर भूत प्रेत का साया तो नहीं आ गया । अंबिका जी ने प्रतिज्ञा को दिलासा दिया और कहा कि सब —ठीक हो जाएगा बेटा ! तू सब्र कर।
रात में अविनाश जी की आने पर अंबिका जी ने सारी बात उन्हें बताई साथ में
बगलके झाड़ फूंक वाले से भी मिलने की भी बात की और बोलीं चलिए हम प्रतिज्ञा को उसके पास लेकर चलते हैं।
इस पर अविनाश जी बोले अंबिका इसे किसी झाड़ फूंक या पंडित की नहीं बल्कि डॉक्टर की जरूरत है ।
“मुझे तो लगता है कि इसकी मानसिक स्थिति सही नहीं है”।चलो चलकर प्रतिज्ञा से बात करते हैं ।
पिता को देखते ही प्रतिज्ञा जोर-जोर से रोने लगी ।
पापा—– ये मेरे साथ क्या हो रहा है? मुझे कुछ पता नहीं !
बेटी का ऐसा व्यवहार देख अविनाश जी चिंतित हो उठे और कल ही डॉक्टर से मिलने का मन बना लिया ।
इधर अंबिका जी ने भी मन में ठान लि कि किसी भी हाल पर शहर में एक बाबा है जो भूत-प्रेत झाड़ते हैं उनके पास कल प्रतिज्ञा को लेकर जाऊंगी जब अविनाशी ऑफिस जाएंगे ।
इधर अविनाश जी ने साइकैटरिस्ट से प्रतिज्ञा के लिए अपॉइंटमेंट ले ली ।
“अंबिका —-! आज शाम 4:00 बजे का अपॉइंटमेंट है डॉक्टर से, प्रतिज्ञा के लिए हमें जल्द से जल्द से डॉक्टर को दिखाना होगा कहीं बात ज्यादा ना बिगड़ जाए ।
“मैं आज 3:00 बजे तक घर आ जाऊंगा “तुम दोनों रेडी रहना अविनाश जी ऑफिस के लिए तैयार होते हुए बोले
और तुम उस झाड़ -फूंक वालों के चक्कर में मत फसना।
” देख रहा हूं कि तुम कुछ और ही सोच रही हो ।
तुम्हारा मन कहीं और भटक रहा है।
” अरे नहीं —!”मैं कुछ भी नहीं सोच रही हूं “आप जाइए । अंबिका जी ने बात को टालते हुए कहा ।
अविनाश जी के जाते ही अंबिका जी प्रतिज्ञा को लेकर झाड़-फूक वाले बाबा के पास पहुंच गई वहां प्रतिज्ञा को देखते ही बाबा बोले कि इस पर किसी दुष्ट आत्मा का प्रभाव है।
” बाबा हम आपकी शरण में आए हैं अब आप ही इसकी रक्षा कर सकते हैं !
अंबिकाजी हाथ जोड़ते हुए बोली।
“ठीक है बच्ची— अब तुम निश्चित रहो , इस आत्मा से तो मैं निपट लूंगा ।
प्रतिज्ञा के साथ बाबा ने अटपटा काम शुरू कर दिया मिर्च का धुआं लगाकर उसके बाल को जोर-जोर से खींचते हुए बोले निकल तू जो भी है वरना मैं तुझे छोड़ूंगा नहीं प्रतिज्ञा जोर-जोर से चिल्लाने लगी।
” बंद करो अपना ये नाटक” पाखंडी बाबा!
और अंबिका तुम— ।
तुम एक पढ़ी-लिखी होने के बावजूद भी, इन सब पाखंडी पना पर कैसे विश्वास कर सकती हो?
वह तो भगवान का शुक्र है कि मेरी फाइल घर पर ही छूट गई तो,
मैं वापस फाइल लेने घर आ गया तो देखा तुम नहीं थी ।मैंने मेड से पूछा तो वह बोली
” मैडम प्रतिज्ञा को लेकर कहीं गई हुई है ! “मैं तुरंत समझ गया कि तुम इन्हीं बाबा के चक्कर में यहां आई होगी “!
अविनाश जी अंबिकाजी पर चिल्लाते हुए बोले।
” चलो प्रतिज्ञा यहां से।
” आप लोग बिल्कुल सही समय पर प्रतिज्ञा को लेकर आए हैं इनमें शिजोफ्रेनिया के लक्षण दिख रहे हैं। वैसे ये शुरुआती लक्षण है जो, मेडिसिंस और थेरेपी से ठीक हो सकता है डॉक्टर ने प्रतिज्ञा के केस हिस्ट्री को जानते हुए ट्रीटमेंट का प्रक्रिया शुरू किया ।
और कहा घबराने की बात नहीं है प्रतिज्ञा जल्द ही ठीक हो जाएगी । बस आप लोगों का प्यार, भरोसा और पेशेंस हो तो सब ठीक हो जाएगा।
“आई एम सॉरी अविनाश आज अगर तुम नहीं होते तो मैं अपनी बच्ची के साथ कैसा अनर्थ करने वाली थी कहते हुए अंबिका जी फुट फुट के रोने लगी।
” अरे पगली यह बीमारी आज के डेट में कोई बड़ी नहीं है बढ़ते हुए प्रतिस्पर्धा और तनाव मानसिक रोग का कारण बन जाना एक आम सी बात हो गई है” इन सभी चीजों का इलाज अगर टाइम पर हो जाए तो सब सही हो सकता है बस अगर बाबाओ से दूर रहे तो ।
‘हमारी प्रतिज्ञा भी ठीक हो जाएगी हम लोगों ने समय रहते ही उसका इलाज शुरू करवा दिया है।”
6 महीने बाद ।
“थैंक यू सो मच डॉक्टर” अब प्रतिज्ञा एकदम ठीक हो गई है और उसने कॉलेज भी ज्वाइन कर ली है !
अविनाश जी और अंबिका जी डॉक्टर को धन्यवाद देते हुए बोले।
अरे यह सब तो आप लोगों का प्रयास और धैर्य से हुआ है थैंक्स तो मुझे आपको बोलना चाहिए कि आप लोगों ने समय रहते ही, इस बीमारी को समझा और प्रतिज्ञा का इलाज करवाया अब आप लोगों को भी मां-बाप के साथ-सा एक अच्छे दोस्त भी बन कर रहना होगा और समय-समय पर उसको मोटिवेट करना होगा ।
“तो दोस्तों आज भी कई जगह मानसिक बीमारी को लोग भूत -प्रेत का नाम बताते हैं या किसी बुरी आत्मा का साया समझ कर इनको झाड़ -फुक या पंडितो के चक्कर में फंस कर मानसिक रोगियों की स्थिति खराब कर देते हैं ।
ऐसे में मानसिक बीमारी और भी ज्यादा घातक हो जाती है जिसको संभालना मुश्किल हो जाता है ।हमें समय रहते ही डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और इसका एक उचित इलाज करवाना चाहिए जिससे मानसिक बीमारी ठीक हो सके।
आज के युग में मानसिक बीमारी आम बात है बसे उसका सही समय पर, सही इलाज हो जाए तो।
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धन्यवाद ।
मनीषा सिंह।